views
एजेंसी। उज्जैन। बाबा महाकाल की नगरी में मंगलवार अलसुबह बड़ी दुखद घटना का समाचार प्राप्त हुआ। उज्जैन के नीलगंगा थाना प्रभारी रहे यशवंत पाल कोरोना से ग्रसित होने के बाद इंदौर के अरविंदो हॉस्पिटल मैं इलाज के दौरान असमय ही काल का ग्रास बन गए। मृदुभाषी कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अधिकारी श्रीपाल पिछले दिनों अंबर कॉलोनी निवासी संतोष वर्मा नामक व्यक्ति के वैश्विक महामारी कोरोना की चपेट में आ जाने के बाद क्षेत्र में आमजन की रक्षा हेतु मुस्तैदी से जुटे हुए थे तभी वे संसाधनों की कमी की वजह से कोरोना पॉजिटिव हो गए। जिसके चलते उन्हें सांस में तकलीफ होने से इंदौर रेफर किया गया तब से वे उपचारत थे। उज्जैन के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हुई उनके स्वास्थ्य पर सतत निगरानी रखे हुए थे लेकिन होनी को कोई नहीं टाल सका और आज तड़के 5:45 पर श्रीपाल ने अंतिम सांस ली। जैसे ही यह खबर उज्जैन शहर पहुंची। कोरोना कर्फ्यू के सन्नाटे मैं आम शहरी सकते में आ गया। समूचे शहर में शोक की लहर फैल गई। इस घटना के बाद उज्जैन की पुलिस प्रशासन का मनोबल भी कमजोर हो सकता है।केंद्र सरकार और मध्य प्रदेश सरकार को चाहिए कि आम जनता की सुरक्षा व्यवस्था के लिए जान जोखिम में डालने वाले पुलिस महकमे को भी सुरक्षा व्यवस्था के संसाधन उपलब्ध करावे। कल की ही बात है इंदौर के थाना प्रभारी श्री चंद्रावत भी कोरोना की चपेट में आकर शहीद हो चुके हैं और आज श्रीपाल शहीद हुए हैं। मध्य प्रदेश के 3 जिले मुख्य रूप से कोरोना वायरस की चपेट में है जिसमें इंदौर भोपाल और उज्जैन रेड जोन की श्रेणी में है। सरकार को अविलंब सबसे पहले आमजन की रक्षार्थ तो मैदान में मोर्चा संभालने वाले सभी वर्ग को सुरक्षा के लिए कोरोना से बचाव के लिए किट उपलब्ध कराना चाहिए। अन्यथा मनोबल कमजोर होगा और सुरक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो जाएंगी। मध्यप्रदेश में 2 दिन में दो निरीक्षक की असमय मौत कहीं ना कहीं सुरक्षा किट की कमी की पोल खुलती जा रही है। कोरोनावायरस की तीसरी स्टेज के दौरान मध्य प्रदेश के दो जांबाज कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों के इस तरह से काल का ग्रास बन जाने पर दुखी है। ऐसे वीर योद्धा को हम सैल्यूट करते हैं जो जनता की रक्षा करते हुए स्वयं शहीद हो गए।