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छोटीसादड़ी। समाज सुधारक मोहनलाल जोशी ने शिक्षा से राजनीति को दूर रखने के लिए शिक्षा मंत्री को पत्र लिखा। पत्र में लिखा कि राष्ट्र निर्माण के लिए राष्ट्र निर्माता शिक्षक का सम्मान और गौरव बहाल करने के लिए विद्यालयों को राजनीति से मुक्त रखना चाहिए। विद्यालयों में होने वाले किसी भी आयोजन में कोई भी राजनीतिक व्यक्ति उपस्थित नहीं हो। पंच हो, सरपंच हो, प्रधान हो, एमएलए हो, मंत्री हो या कोई भी पद धारण किए हुए हो। अन्य विभागों से संबंधित कोई भी आयोजन, मीटिंग, रैली आदि विद्यालय में नहीं किया जाना चाहिए। विद्यालयों का निरीक्षण शिक्षा जगत से जुड़े हुए अधिकारी ही करें। इतर विभाग के अधिकारियों को विद्यालय में आने का अधिकार नहीं दिया जाए, लेकिन विभागीय निरीक्षण बार-बार करते हुए आवश्यक दिशा निर्देश प्रदान किए जाते रहना चाहिए। पत्र में यह भी लिखा है कि अवकाश सहित अन्य अवकाश यथावत रखते हुए शिक्षा सत्र 1 जनवरी से 31 दिसंबर किया जाना चाहिए तथा शिक्षा विभाग से संबंधित समस्त स्थानांतरण 31 दिसंबर से पहले सुनिश्चित कर दिए जाने चाहिए। एसएमसी, एसडीएमसी आदि ऐसी किसी भी प्रकार की समितियों की विद्यालय में आवश्यकता नहीं है। अध्यापक को ईमानदार मानना चाहिए उसे चोर समझकर पहरे नहीं बैठाना चाहिए। उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य को उस गांव से संबंधित समस्त विभागों के कार्यालयों का निरीक्षण करने का अधिकार होना चाहिए। प्राकृतिक आपदा के अलावा शिक्षक की ड्यूटी कहीं नहीं लगाई जावे। विद्यालय में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में विद्यार्थी भाग लेंगे लेकिन पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, म्ऋदा संरक्षण, स्वास्थ्य समस्याएं, पल्स पोलियो, मतदाता जागरूकता, एड्स जागरूकता आदि के लिए किसी भी प्रकार की रैलियों में विद्यार्थियों को विद्यालय से बाहर नहीं ले जाया जाना चाहिए। विद्यालयों में छात्र-छात्राओं शिक्षक-शिक्षिकाओं संबंधी यौन अपराधों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। मानव संसाधन होने से मनोवैज्ञानिक तरीके से हल निकाला जाना चाहिए। जोशी ने विद्यालय में इन सब बदलाव को लेकर और विद्यालय वातावरण को राजनीति मुक्त करने की मांग की है।