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लेखक- जगदीश साँखला, सिरोही
मो.8947976637
सफलता कोई बाजारू बिकाऊ चीज नहीं जिसे जो चाहे खरीद ले या किसी कि पुस्तैनी जागीर नहीं जो पीढ़ी दर पीढ़ी बिना परिश्रम के यूँही मिलती ही रहती हैद्य सफलता प्राप्त करने के लिए या सफल होने के लिए हमें अपने जीवन में बड़े बड़े बलिदान देने पड़ते हैद्य दूसरे शब्दों में कहे तो हमें भीड़ से अलग चल कर संघर्ष करना पड़ता हैद्य लेकिन हम अपने लक्ष्य तक पहुंचेगे कबए यह हमारे बस में नहींद्य हमारे बस में केवल सही दिशा की तरफ परिश्रम पूर्वक आगे बढ़ना ही हैद्य कई बार व्यक्तियों को अपने लक्ष्यों को हासिल करने में कई कई वषों तक का समय लग जाता हैए और कई बार किसी व्यक्ति को उसकी मंजिल जल्दी मिल जाती हैए इसमें भाग्य का भी हाथ होता हैद्य ईश्वर आपको कोई भी वस्तु देने से पूर्व जाँचता परखता है तथा पूर्ण रूप से आपको पका कर या काबिल बना कर ही वह वस्तु सौंपता है ताकि उसका कोई गलत प्रयोग न होद्य जो भी विद्यार्थी किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करता है उसको पता है कि उसको उसके जीवन में किन किन चीजों का बलिदान देना पड़ता ताकि वह अपने लक्ष्य को हासिल कर सके क्योंकि जीतने के लिए किसी को हराना तो पड़ता ही है या दूसरे से ज्यादा मेहनत करनी पड़ती हैद्यबिना संघर्ष के ही सफलता मिल जाती तो महाराणा प्रताप को जंगलों में नहीं भटकना पड़ताए शिवाजी को अपना दोस्त खोना नहीं पड़ताए मेवाड़ को बचाने के लिए पन्ना धाय को अपने पुत्र को नहीं खोना पड़ताद्य ऐसे अनगिनत उदाहरण है जो हमें इस बात की तरफ इशारा करता है कि सफलता प्राप्त करने के लिए हमें अपनेकई अरमानों को कुछ समय के लिए त्याग करना पड़ेगाद्य यह बात भी सहीहै कि जब आप किसी राह पर निकलेंगे तो आलोचकों का सामना करना पड़ेगाद्य यहअलोचक आपके मित्र है क्योंकि यही आपको बार बार याद दिलाते रहेंगे की आपने अभी तक अपने काम को अंजाम नही दिया हैद्य जब तक आप अपनी मंजिल तक नही पहुंचेंगे तब तक यह सभी अलोचक आपको सोने नही देंगेए हर जगह आपको नीचा दिखाने का प्रयास करेंगेद्यआलोचकों का तो काम ही यही हैआलोचना करनाएअच्छे करने वाले और नही करने वाले दोनों कीद्य आप अपने दिल की सुने और अपने लक्ष्य की तरफ ध्यान देद्य जब आप अपनी मंजिल पर पहुँच जायेंगे तब भी यह आपकी चर्चा बंद नही करेंगे लेकिन तब वह चर्चा आपके हित की होगीद्यअतः आपको अपनी सफलता के लिए यह बलिदान तो करना ही पड़ेगाद्य जरा सोचिये उस मटके के बारे में जो कितना तपने के बाद ही एक अच्छे स्थान पर पहुँचता हैद्य उस हीरे बारे में भी सोचना जरा किए वह यूँही हीरा नही बनाद्य कितनी रगड़ खाई होगी उस हीरे को हीरा बनने के लिएद्यमेरा सभी से यही कहना है कि बलिदान से डरो मतए निडर अपने लक्ष्य कि तरफ आगे बढ़ते रहोए आज नही तो कल मंजिल आपके कदम चूमेगीद्य परिश्रम के बाद मिली सफलता का आनंद कुछ ओर ही होता हैद्य इतिहास उठा कर देख लीजियेए जिन्होंने संघर्ष कियाए जीवन का सच्चा भोग भी उन्होंने ही कियाद्य अंत में मेरा यही कहना है कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना तो पड़ेगा हीद्य यदि अभी कुछ नही खोया तो आप अपनी आने वाली पीढ़ी को क्या जवाब दोगेद्य अतः संघर्ष करो मंजिल तुम्हारी राह देख रही है