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पूर्व पेश इमाम मरहूम नजर मोहम्मद सरल, संजीदा और संवेदनशील इंसान थे: मौलाना सिद्दीकी
बाड़मेर। हूजूर सल्लल्लाहों अलैहे वसल्लम की मोहब्ब्त ही ईमान है। अपनी औलाद और आने वाली नस्ल के लिए मौहब्बत ए रसूल की मीरास जरुर छोड़ कर जाऐं। प्यारे आका सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की जिंदगी को अपने लिए आईडियल बनाऐं।नफरतें, खतम करें। मौहब्बत का पैगाम आम करें। यही इस्लाम और पैगम्बर ए इस्लाम का मिशन है। यह बात दारुल उलूम जियाउल मुस्तफा मदरसा रेलवे कुआं नंबर तीन के सदर ए मुदर्रिश मौलाना मोहम्मद उर्स सिद्दीकी सिकंदरी ने जामा मस्जिद के पूर्व साबिक पेश इमाम मरहूम नजर मोहम्मद के इसाले सवाब में आयोजित महफिल ए मिलाद कार्यक्रम के दौरान बतौर मुख्य अतिथि के रूप में कही।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जामा मस्जिद के पेश इमाम हाजी लाल मोहम्मद सिद्दीकी ने कहा कि जामा मस्जिद के पूर्व साबिक पेश इमाम मरहूम नजर मोहम्मद साहब एक सरल, संजिदा व संवेदनशील इंसान थे। जिन्होंने सत्रह सालों तक जामा मस्जिद में फी-सबिलिला इमामत करते हुये शरियत की पाबन्दी को महफूज रखा। शरियत की पाबन्दी उनके नस नस में बसी हुई थी। शरियत के खिलाफ वर्जी वह कभी बर्दाश्त नहीं करते थे। अपनी इमामत के दौर में बाड़मेर में अमन-अमान की हिमायत करते हुये जामा मस्जिद को बद अकीदगी की वबा से महफूज रखा और अहले सुन्नत को मजबूती प्रदान करते हुये संजीदगी के साथ सबको आपसी भाईचारे के बंधन में बांधे रखा। मुस्लिम इंतजामिया कमेटी के संयुक्त सचिव हारून भाई कोटवाल ने नात ए शरीफ सुनाकर अपनी अकीदत पेश की।
साबिक पेश इमाम के ज्येष्ठ पुत्र गुलाम मोहम्मद सिपाही ने कहा कि उनके पिता पेश इमाम नजर मोहम्मद साहब रेलवे में पम्प ड्राइवर के पद पर कार्यरत थे। उनके पास आलिम की कोई डिग्री नहीं थी। बावजूद इसके उनके पास बहुत इल्म था व शरीयत के पक्के थे। इसी कारण वह जामा मस्जिद में निःशुल्क सत्रह साल तक इमामत की। शाह मोहम्मद सिपाही ने कहा कि उनकी याद में प्रतिवर्ष महफ़िल ए मिलाद कार्यक्रम आयोजित कर समाज में तालीम को बढ़ावा देने का कार्य किया जाएगा।
कार्यक्रम के प्रारंभ में मौलाना शेर मोहम्मद सिद्दीकी ने कुरान ए पाक की तिलावत की। कार्यक्रम के अंत में अल्माए किराम द्वारा सलातो सलाम पढ़कर देश की खुशहाली, अमनो अमान, आपसी भाईचारे की दुआएं की गई।
इस अवसर पर गुलाम मोहम्मद, शाह मोहम्मद सिपाही, सफी मोहम्मद, चांद मोहम्मद, रईश मोहम्मद, शकील मोहम्मद, जाकिर हुसैन, हुसैन शेख, मुस्लिम युवा कमेटी के सदर अबरार मोहम्मद, अजरूदीन कुरेशी, अम्मू मिस्त्री, शाहिद हुसैन, हारून भाई कोटवाल, बरकत हुसैन, वसीम शेख, सफी नियारगर, शेरू भाई, शरीफ मोहम्मद, इकरार मोहम्मद, शेर मोहम्मद, साबिर, हसन, इक़बाल, आशिक, अहार्निश, यासिर सहित कई मोमीन भाइयों ने शिरकत की।