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सीधा सवाल संवाददाता जैसाराम के खिलाफ पुलिस ने की थी कार्यवाही
सीधा सवाल। सिरोही। यूं तो आए दिन पुलिस की मनमानी सामने आती रहती है लेकिन जब पुलिस ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर मनमानी की तो न्यायपालिका ने गिरफ्तारी को ही न्याय संगत नहीं मानते हुए अग्रिम कार्रवाई के लिए अनुसंधान अधिकारी के विरुद्ध उच्च अधिकारियों को निर्देश दिया है। मामला शिवगंज में पत्रकारिता से जुड़े सीधा सवाल संवाददाता जैसा राम माली का है जिन्हें पूछताछ के बहाने बुलाकर पुलिस ने जबरन गिरफ्तार कर लिया। वहीं पुलिस की मनमानी केवल यही तक नहीं रुकी बल्कि जानकारी लेने आए पत्रकार के पुत्र को भी जबरन थाने में रोककर उसके विरुद्ध भी शांति भंग की धाराओं में कार्रवाई कर दी। पूरे प्रकरण में पुलिस को कार्रवाई करना भारी पड़ गया जब सक्षम न्यायालय में पेश करने पर न्यायिक अभिरक्षा मांगने पर संबंधित जांच अधिकारी के विरुद्ध ही माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देश की पालना नहीं करने पर उच्च अधिकारियों को कार्यवाही करने के निर्देश दिए है। ऐसे में साफ हो गया है कि पुलिस थानों में भले ही अपनी मनमानी कर ले लेकिन न्यायालय के समक्ष पुलिस की अवैधानिक कार्रवाई दम तोड़ देती है।
यह है मामला
जानकारी के अनुसार सिरोही जिले के शिवगंज क्षेत्र में कार्यरत सीधा सवाल के संवाददाता जैसा राम माली को एक प्रकरण में पूछताछ के बहाने बुलाकर पुलिस ने थाने में बंद कर दिया। पत्रकार और उसके भांजे को थाने में बंद करने की सूचना मिलने पर पत्रकार का पुत्र जहां जानकारी लेने पहुंचा तो थाना अधिकारी अचल दान चारण ने मनमानी की पराकाष्ठा करते हुए पीड़ित के पुत्र को शांति भंग में बंद कर दिया अगले दिन परीक्षा होने की बात कहने पर भी थाना अधिकारी अपनी मनमानी पर जुटे रहे और अगले दिन तहसीलदार के समक्ष पेश किया गया जहां से उसे जमानत पर रिहा किया गया। वहीं दूसरी और पत्रकार को न्यायालय में पेश करने पर न्यायालय ने पुलिस कार्रवाई को गलत मानते हुए निजी मुचलके पर पत्रकार को जमानत पर रिहा करने की आदेश दिए हैं।
थाने में कर ली मनमानी, न्यायालय में पुलिस ने खाई मुँह की
शिवगंज थाने में पूछताछ के बहाने बुला कर गिरफ्तारी की मनमानी करने वाले थाना अधिकारी अचलदान चारण को न्यायालय में मुंह की खानी पड़ी। न्यायालय में पेश कर 15 दिन की न्यायिक अभिरक्षा जांच में मांगी गई थी लेकिन न्यायालय ने पत्रावली का अवलोकन करने के बाद पुलिस की मनमानी की पोल खोल दी। पुलिस द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय के गिरफ्तारी को लेकर दिए गए दिशा निर्देशों की पालना नहीं करने की बात अपने आदेश में कही है धारा 41(क) की पालना नहीं की गई है ना ही पत्रावली पर इस संदर्भ में कोई साक्ष पुलिस द्वारा पेश किए गए हैं। न्यायालय ने अपने आदेश में पत्रकार गिरफ्तारी को विधि विरुद्ध मानते हुए 20000 रुपए के जमानत मुचलके पर रिहा करने के आदेश दिए वही संबंधित अनुसंधान अधिकारी द्वारा उच्चतम न्यायालय के आदेश की पालना नहीं करने के संदर्भ में पुलिस अधीक्षक सिरोही को अनुसंधान अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
पत्रकारों ने पुलिस की मनमानी का किया था विरोध
इधर पत्रकार के विरुद्ध पुलिस की मनमानी को लेकर क्षेत्र के पत्रकारों ने भी आक्रोश व्यक्त किया था, इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट शिवगंज व आबूरोड द्वारा इस पूरे प्रकरण में ज्ञापन देकर आक्रोश व्यक्त किया गया था।