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अधिग्रहण ने अटकाया काम - प्रस्ताव लेने के बाद भी नहीं दिखाई गंभीरता
(अखिल तिवारी)
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। चित्तौड़गढ़ नगर परिषद क्षेत्र में गंभीरी नदी पर हजारेश्वर कजवे के यहां पर सबमर्सिबल पुल निर्माण का कार्य अटक कर रह गया है। यह निर्माण करीब 12.50 करोड़ की लागत से यूआईटी को करवाना था। पुल के दोनों ही तरफ निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण का कार्य नगर परिषद को करना था। इसे लेकर नगर परिषद व यूआईटी के बीच एमओयू भी हुआ। लेकिन पौने दो साल के बीच में जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई नहीं हो पाई है। ऐसे में पुल का निर्माण अटक कर रह गया और करीब 14 माह से रास्ता बंद हो जाने से चित्तौड़गढ़ की जनता परेशान दिख रही है। नगर परिषद के अब तक शुरुवात नहीं करने और जमीन अधिग्रहण की लंबी प्रक्रिया होने के कारण आगामी कुछ माह में भी यह पुल का निर्माण पूरा होता दिख नहीं रहा है। दोनों ही विभाग आपस में पत्राचार में व्यस्त दिख रहे हैं।
जानकारी में सामने आया कि चित्तौड़गढ़ शहर में पावटा चौक से कीरखेड़ा की ओर जाते समय गंभीर नदी पर एक काजवे बना हुआ है, जिसे हजारेश्वर पुलिया के नाम से भी जानते हैं। यहां पर नगर विकास न्यास चित्तौड़गढ़ की ओर से करीब 12.50 करोड़ की लागत से यह पुल निर्माण शुरू किया। पुल निर्माण के दौरान नदी के दोनों ही तरफ की जमीन का अधिग्रहण नगर परिषद चित्तौड़गढ़ को करना था। इसके लिए नगर परिषद व यूआईटी के बीच में एमओयू साइन हुआ था। इसके बाद यूआईटी ने टेंडर लगा दिए और आनन-फानन में काम भी शुरू कर दिया। यह। यहां काफी हद तक निर्माण पूरा हो चुका है। नदी के दोनों किनारो पर निर्माण को लेकर जिन लोगों की जमीन है वहां से सहमति नहीं बन पाई, या यूं कहें की जमीन अधिग्रहण का कार्य नहीं हुआ। ऐसे में पुल का निर्माण कार्य अटक कर रह गया है। दो माह से यहां पर कार्य पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ है। इन दोनों ही विभागों में जिसकी भी लापरवाही रही हो लेकिन उसका सीधा खामियाजा चित्तौड़ की जनता को उठाना पड़ रहा है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि चित्तौड़गढ़ शहर के भाईखेड़ा एवं कीरखेड़ा से शहर में आने का एक प्रमुख रास्ता है। पावटा चौक स्थित सब्जी मंडी में आने के लिए किसान एवं सब्जी विक्रेता भी इसी रास्ते का उपयोग करते हैं और लंबे समय से रास्ता बंद पड़ा हुआ है, जो कि आम जनता के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।
बोर्ड बैठक में प्रस्ताव लेने के बाद भी नहीं दिखे गंभीर
सबमर्सिबल ब्रिज निर्माण को लेकर नगर परिषद चित्तौड़गढ़ से 4 अप्रैल 2022 को एक आदेश यूआईटी सचिव चित्तौड़गढ़ को लिखा गया है। इसमें नगर परिषद चित्तौड़गढ़ के आयुक्त ने बताया है कि नगर परिषद मंडल की बैठक में लिए निर्णय के अनुसार सबमर्सिबल ब्रिज बनाए जाने को लेकर सर्वे सहमति से निर्णय लिया गया है। ब्रिज के निर्माण के लिए दोनों और प्रस्तावित मार्ग में आने वाली निजी खातेदारी भूमि की अवाप्ति के संबंध में सभापति के निर्देशानुसार संपूर्ण प्रक्रिया नगर परिषद द्वारा की जाएगी। उक्त निर्माण में अवाप्त की जाने वाली निजी खातेदारी की भूमि के संबंध में संपूर्ण प्रक्रिया, जिसमें मुआवजा देना, भूमि के बदले भूमि देना, भूमि के बदले भूखंड दिए जाने आदि की कार्रवाई नगर परिषद की ओर से की जाएगी। लेकिन पौने दो साल बाद भी नगर परिषद जमीन अधिग्रहण की कार्यवाही अमल में नहीं ला पाई।
14 माह से बंद पड़ा है रास्ता
नगर परिषद और नगर विकास न्यास दोनों ही विभागों को समय पर अपना कार्य पूरा करना था। लेकिन पौने दो साल में जमीन अधिग्रहण नहीं करने का दंश क्षेत्र की जनता भुगत रही है। लोगों को लंबा चक्कर लगाकर कीर खेड़ा चौराहा से पावटा चौक आना पड़ रहा है। ऐसे में ऐसे में लोगों को अपने गंतव्य पर जाने के लिए समय भी अधिक लग रहा है और पेट्रोल व डीजल की खपत भी ज्यादा हो रही है। आर्थिक रूप से भी लोगों को इसमें नुकसान उठाना पड़ रहा है।
ऐसे तो कैसे कम होगा शहर में यातायात का दबाव
हजारेश्वर पुलिया निर्माण के पीछे शहरी क्षेत्र में यातायात के दबाव को भी कम करना था। कीरखेड़ा चौराहे से किसी भी वाहन को पावटा चौक अथवा बूंदी मार्ग पर जाने के लिए शास्त्रीनगर चौराहा, कलेक्ट्रेट चौराहा गंभीर नदी पुलिया होते हुए सुभाष चौक तक जाना पड़ता है। कई वाहन हजारेश्वर पुलिया से होकर जाते थे। लेकिन अब रास्ता बंद कर देने के कारण शहर में फिर से यातायात का दबाव बढ़ गया है। अगर पुलिया का निर्माण शीघ्र पूरा होता है तो लोगों के आवागकन में तो सुविधा होगी ही साथ ही यातायात का दबाव भी कम होगा।
परिषद के आदेश में राज्य मंत्री की अनुशंसा का हवाला
जानकारी सूत्रों ने बताया कि नगर परिषद चित्तौड़गढ़ आयुक्त की ओर से यूआईटी सचिव को जो पत्र लिखा गया है उसे पत्र में जमीन अधिग्रहण एवं पुल निर्माण को लेकर तत्कालीन राज्य मंत्री सुरेंद्र सिंह जाड़ावत की अनुशंसा होने का हवाला भी दिया गया है। तत्कालीन राज्य मंत्री की अनुशंसा के बावजूद समय पर काम नहीं होना कहीं ना कहीं विभागों की लेटलतीफी भी को उजागर करता है। विधानसभा चुनाव से पहले जो पत्राचार हुए हैं उसमें जिला कलक्टर के साथ ही एक प्रतिलिपि तत्कालीन राज्य मंत्री को भी भेजी गई थी।
जमीन अधिग्रहण से पहले निर्माण शुरू करना कहां तक उचित
हजारेश्वर काजवे पर बन रहे इस पुलिया निर्माण में गंभीर लापरवाही सामने आ रही है। नियम क्या कहता है यह अलग विषय है लेकिन दोनों ही विभाग फिलहाल अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। वही बात की जाए तो जब जमीन का अधिग्रहण ही नहीं हुआ तो उससे पहले निर्माण कार्य शुरू करना कहां तक उचित है। सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि कहीं ना कहीं विधानसभा चुनाव में लाभ लेने के लिए आनन-फानन में कार्य शुरू करवा दिए गए और समय पर पूरे नहीं हुए हैं। ऐसे में इन सभी का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।
वर्जन....
हजारेश्वर काजवे के यहां पर पुलिया निर्माण को लेकर नगर परिषद से एमओयू हुआ था। यहां पर हमने अब तक 12 स्पान का निर्माण कर दिया है। लेकिन किनारो पर जमीन का अधिग्रहण नहीं हो पाया है। ऐसे में दो माह से काम अटका हुआ है। उच्च अधिकारियों के साथ ही नगर परिषद से पत्राचार कर रहे हैं। जमीन अधिग्रहण पूरा होता है तो इस कार्य को जल्दी पूरा किया जाएगा।
आरसी बलाई, अधिशासी अभियंता नगर परिषद चित्तौड़गढ़
नगर परिषद व यूआईटी के बीच पुल निर्माण को लेकर मो हुआ था। एमओयू के तहत जमीन अधिग्रहण करने का प्रयास किया जा रहा है। कई बार भूमि मालिकों से संपर्क भी किया गया था। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया काफी जटिल है। शीघ्र भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरा करेंगे।
रविंद्र यादव, आयुक्त नगर परिषद चित्तौड़गढ़।