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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। चित्तौड़गढ़ जिले के प्रख्यात कृष्णधाम श्री सांवलियाजी मंदिर के बोर्ड को बदलने को लेकर चर्चाओं का दौर है। वहीं वर्तमान में कांग्रेस समर्थित बोर्ड में दुकानों के बंदरबांट की जानकारी सामने आ रही है। जो लोग दुकान प्राप्त करने के हकदार थे उन्हें दुकानों का आवंटन नहीं हो पाया है। जानकार सूत्रों ने बताया कि मंदिर बोर्ड के पदाधिकारी और कर्मचारियों ने आपस में दुकानों की बंदरबांट कर ली। सबसे बड़ी बात सामने यह आई है कि प्रशासनिक अधिकारी ने एक भी दुकानदार को आवंटन को लेकर हस्ताक्षर भी नहीं किए और जिन लोगों को दुकानों की बंदरबांट की उन्हें चाबियां तक सौंप दी गई। मिली भगत इस कदर है कि संविदाकर्मी की पत्नी तक को दुकान का आवंटन की बात सामने आई है। फिलहाल इस पूरे मामले में लिखित में कोई शिकायत नहीं आई लेकिन अंदर खाने इस चीज को लेकर मंडफिया कस्बे में और मंदिर मंदिर मंडल के कर्मचारियों में चर्चाओं का दौर भी है। अतिरिक्त जिला कलक्टर का स्थानांतरण हो जाने के कारण बंदरबांट पर नकेल कसने को लेकर भी कोई कार्यवाही फिलहाल अमल में नहीं आई है।
जानकारी में सामने आया कि चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित प्रख्यात कृष्णधाम श्री सांवलियाजी मंदिर प्रशासन की और से निर्मित दुकानों का गत दिनों आवंटन हुआ था। वहीं कुछ दुकानदारों को अभी दुकानों का आवंटन शेष था। चुनाव आचार संहिता लग जाने और बाद में सरकार बदलने और अधिकारियों के स्थानांतरण के कारण प्रक्रिया रुकी हुई थी। वहीं भाजपा की सरकार बनने के बाद भाजपा का बोर्ड बनने की चर्चाओं का दौर भी शुरू हो गया था। वर्तमान में कांग्रेस समर्थित बोर्ड श्री सांवलियाजी मंदिर मंडल में कार्यरत है। गत दिनों ही आदेश जारी होकर श्री सांवलियाजी मंदिर मंडल के मुख्य निष्पादन अधिकारी का भी स्थानांतरण हो चुका है। वही इन सब के बीच दुकानों के बंदरबांट की बात सामने आई है। दो दिनों में ही दुकानों की यह अवैध बंदरबांट हुई है। यहां 32 से 35 लोगों को अवैध तरीके से दुकान देने की बात सामने आ रही है, जिसकी पुष्टि प्रशासनिक स्तर पर जांच के बाद ही होगी। अवैध तरीके से जिन लोगों को दुकान दे दी उसमें से तो कुछ मंदिर बोर्ड पदाधिकारियों के रिश्तेदार है वहीं कुछ कर्मचारियों के रिश्तेदारों के नाम पर भी गलत तरीके से दुकान देने की बात सामने आई है। यहां तक कुछ को तो चाबी तक सौंप दी गई, जबकि मंदिर मंडल के प्रशासनिक अधिकारी एवं मुख्य निष्पादन अधिकारी के हस्ताक्षर भी नहीं हुए हैं। अंदर खाने चर्चा है कि वर्तमान मुख्य निष्पादन अधिकारी ने नियम विरुद्ध होने के कारण इन दुकानों का आवंटन नहीं किया है। ऐसे में संभावना है कि नए आने वाले मुख्य निष्पादन अधिकारी भी अवैध तरीके से दुकान पाने वाले लोगों को नियम विरुद्ध आवंटन नहीं करते।इसी आशंका के चलते अपने स्तर पर ही मंदिर बोर्ड के पदाधिकारी और कर्मचारियों ने दुकानें ही आपस में बांट ली। इसे लेकर 2 दिन से मंडफिया कस्बे में चर्चाओं का दौर है। जानकारी मिली है कि श्री सांवलियाजीजी मंदिर मंडल के मुख्य निष्पादन अधिकारी का स्थानांतरण हो चुका है। इसी का फायदा उठाते हुए मंदिर बोर्ड के पदाधिकारी और कर्मचारियों ने आपस में ही दुकान बांट ली और जो लोगों दुकान आवंटन के वाजिब हकदार थे उन्हें वंचित कर दिया गया है।
जांच हो, जिम्मेदार कर्मचारियों पर गिरे गाज
दुकान आवंटन के जो लोग वाजिब हकदार थे वह कई बार मंदिर कार्यालय के चक्कर लगा चुके हैं। लेकिन कर्मचारियों की मिली भगत से उन्हें अपना हक नहीं मिला है। वहीं अब गलत तरीके से दुकान दे दी गई है। ऐसे में प्रशासनिक स्तर पर कमेटी का गठन कर के जांच की जाए। इस मामले में जो भी कर्मचारी दोषी हो उनके खिलाफ पुख्ता कार्यवाही भी हो, जिससे भविष्य में कोई भी इस प्रकार की हिकामत नहीं करें।
निजी गेस्ट हाउस में बिठाई कड़ी
जानकार सूत्रों का कहना है कि अवैध तरीके से जो दुकान आपस में बांटी गई है यह निर्णय भी मंदिर कार्यालय में नहीं हुआ है। कस्बे के ही एक निजी गेस्ट हाउस में इस तरह के आवंटन की बात सामने आ रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसी क्या मजबूरी आ गई कि निजी गेस्ट हाउस में बैठ कर इस तरह का निर्णय करना पड़ा और बिना किसी अधिकारी के हस्ताक्षर दुकानों की चाबियां तक दे दी।
विस्थापित करते रह गए इंतजार
जानकारी में सामने आया कि दुकानों के आवंटन को लेकर कई विस्थापित अब भी इंतजार कर रहे हैं। आचार संहिता लगने के दिन ही पूर्व में दुकानों का आवंटन किया था। पूर्व में जो विस्थापित थे, जिन्हें दुकानों का आवंटन नहीं हुआ और रिंग रोड में जिन लोगों की कृषि भूमि गई उनमें से भी कई लोग दुकान आवंटन से वंचित रहने की जानकारी सामने आई है। मंदिर बोर्ड पधिकारियों और मंदिर में एक प्रभारी के रिश्तेदारों को तीन से चार तक दुकानों के आवंटन की बात सामने आई है।