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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। जिले के प्रख्यात कृष्णधाम श्री सांवलिया मंदिर में बिना सक्षम अधिकारी के हस्ताक्षर के दुकानों की बंदरबांट का मामला अब बढ़ता जा रहा है। एक तरफ जहां मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने आवंटन को शून्य कर दिया और प्रशासन इस पूरे मामले पर नजर रखे हुवे है तो वहीं दूसरी तरफ कस्बे के लोगों ने जिला प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा है। इसमें दुकान आवंटन में धांधली के जांच की मांग की है। वहीं एक तरफ मंदिर बोर्ड अपने चहेतों को दुकान आवंटन करने वाले चहेते कार्मिकों को भी बचाने की कवायद में जुट गया है और आवंटन प्रक्रिया को सही साबित करने का प्रयास किया जा रहा है।
जानकारी में सामने आया कि श्री सांवलियाजी मंदिर की दुकानों का बिना सक्षम स्वीकृति और आदेश के अनाधिकृत कर्मचारियों ने अनाधिकृत लोगों को आंवटित कर दी थी। मामला संज्ञान में आने के बाद मुख्य निष्पादन अधिकारी ने आदेश जारी कर आवंटन को शून्य घोषित कर दिया था। साथ ही एक संविदाकर्मी की सेवाएं खत्म करने और प्रभार बदलने के भी आदेश दे दिए। इससे मंदिर प्रशासन में हड़कंप मच गया है। दुकानों का आंवटन विवादों में पड़ गया है। वहीं अब सोशल मीडिया पर एक आदेश भी वायरल हुआ है। इसमें किन्हें दुकानें आवंटन करनी थी उसकी जानकारी दी है। सूचना के अधिकार के तहत यह पत्र जारी हुआ था। श्री सांवलिया मंदिर मंडल द्वारा इन दुकानों के आवंटन के लिए 18 जून 2023 को सूचना प्रकाशित की गई थी। इसमें मंदिर विकास और विस्तार योजना के भूमि अधिग्रहण से विस्थापित व्यक्तियों को दुकानें आवंटित करने की बात कही थी। इसमें कहा गया था कि न्यू शॉपिंग कॉम्पलेक्स और मेला ग्राउंड में खाली पड़ी नवनिर्मित दुकानें किराए से आवंटित किए जाने के लिए आवेदन पत्र लिए गए है। 30 जून तक आवेदन पत्र प्राप्त करने के बाद 10 जुलाई को लॉटरी से इन दुकानों का आवंटन किया जाना था, लेकिन कुछ दुकानों के आवंटन के बाद शेष आवंटन में गड़बड़झाला हुआ और बिना किसी प्रशासनिक अधिकारी की सहमति के यह आवंटन कर दिया गया। हालांकि इस मामले में मंदिर मंडल के मुख्य निष्पादन अधिकारी ने जांच के आदेश दिये है वहीं सम्पदा प्रभारी और संविदा कर्मचारी को अन्य पदों पर स्थानान्तरित कर दिया है।
पूरे दिन चहेतों को बचाने पर चली चर्चा!
जानकार सूत्रों ने बताया कि यह पूरा मामला सामने आने के बाद जो वास्तव में दुकान आवंटन के हकदार थे उनमें आक्रोश दिख रहा है। वहीं श्री सांवलिया मंदिर बोर्ड के पदाधिकारी इस पूरे मामले में अपने चहेते कार्मिकों को बचाने के लिए चर्चा करते दिखे। किस तरह से दुकानों का आवंटन सही साबित करें और किस तरह अपने चहेतों को जांच में बचाए इस पर चर्चा रही।
धांधली की जांच हो, पात्र को मिले दुकान
इधर, जानकारी में सामने आया कि चहेतों को दुकानों की बंदरबांट का मामला सामने आने के बाद बड़ी संख्या में कस्बे के लोग लामबंद हुवे है। मंदिर के आस-पास के पूर्व दुकानदारों, किरायेदारों और विस्थापित परिवार के सदस्यों ने दुकान आवंटन की धांधली की जांच करने और पात्र व्यक्तियों को दुकान आवंटन करने की मांग की है। इसे लेकर मंडफिया से बड़ी संख्या में महिला-पुरूष चित्तौड़गढ़ पहुंचे और दुकानें आवंटित किये जाने के मामले में गहरा आक्रोश जताया। जिला कलक्टर को ज्ञापन देकर पूरी प्रक्रिया की जांच कराने की मांग की। उन्होंने ज्ञापन में बताया कि सांवलिया मंदिर परिसर में वे सभी लोग प्रसाद, मनिहारी, खिलौना, तस्वीर किराणा आदि की दुकानें लगा कर उनके परिवार का भरण-पोषण करते चले आ रहे है। लेकिन पिछले वर्षों में तत्कालीन मंदिर मंडल प्रशासन ने उनकी अस्थाई दुकानें हटाते हुए आश्वासन दिया था कि उन्हें पक्की दुकान बना कर नियमानुसार आवंटन कर देंगे और इसी कारण उन्होंने दुकानें हटा कर खाली जमीन मंदिर मंडल को सौंप दी। इस पर मंदिर मंडल ने दुकानों का निर्माण किया है।
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टालमटोली और गुपचुप तरीके से आवंटन का आरोप
अपने ज्ञापन में लोगों ने आरोप लगाया कि सांवलिया मंदिर मंडल द्वारा दुकानें निर्मित होने के बाद दुकान आवंटन कमेटी से सम्पर्क कर नियमानुसार आवेदन जमा करा दिए थे। लेकिन मंदिर प्रशासन द्वारा लगातार टालमटोली की गई वहीं गुपचुप तरीके से मंदिर मंडल के अध्यक्ष और बोर्ड सदस्यों और मंडल के कर्मचारियों ने बिना कोई सूचना दिए अपने चहेतों और मिलने वालों को नियमावली से विपरित जाकर दुकानें आवंटित कर दी। वहीं अपात्र व्यक्तियों को दुकानें आवंटित करना गैर कानूनी था। उन्होंने सम्पूर्ण आंवटन प्रक्रिया की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने और पात्र प्रार्थियों को दुकानें आवंटित करने की मांग की है।
भाजपा चुप, कुछ लगे भाजपा कांग्रेस कर मामला उलझाने में
इस पूरे बंदरबांट के मामले में एक बड़ी बात सामने आ रही है। भाजपा इस मामले में पूरी तरह से चुप बैठी हुई है, जबकि श्री सांवलिया मंदिर मंडल में कांग्रेस समर्थित बोर्ड है। वहीं इस मामले के कुछ लोग कांग्रेस समर्थित बोर्ड होने के कारण खींचतान होने की बात कर रहे हैं, जो स्वयं ही कहीं ना कहीं बंदरबांट में लाभांवित हुवे हैं। पूर्व में भी मंडफिया कस्बे की राजनीति में गत कांग्रेस राज में भाजपाइयों के कांग्रेस नेताओं से मिली भगत के जो आरोप लगते थे वे फिर साबित होते दिख रहें है।
बोले प्रशासनिक अधिकारी, फिर से ले रहे कब्जा
अपने चहेतों को दुकानों की बंदरबांट का मामला सबसे पहले सीधा सवाल ने उठाया। इसके बाद प्रशासन हरकत में आया। मंदिर परिसर क्षेत्र से विस्थापित किए गए दुकानदारों ने लगातार अपनी आजीविका को लेकर पूर्व में ज्ञापन दिए हैं। मामला सामने आने के बाद मुख्य कार्यकारी अधिकारी के आदेश के पालन में आवंटित की गई दुकानों को फिर से मंदिर प्रशासन द्वारा कब्जे में लिए जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों, पुलिस बल की मौजूदगी में मंदिर प्रशासन के अधिकारियों ने दुकानों पर ताले लगा कर फिर से कब्जा लेने की कार्यवाही की जा रही है। इस संबंध में मंदिर के प्रशासनिक अधिकारी नंदकिशोर टेलर से बात की है। इसमें उन्होंने बताया कि पूरी जांच प्रक्रिया में समय लगेगा। लेकिन फिलहाल दुकाने जो आवंटित की गई है उन पर ताला लगाने की कार्रवाई की गई है और कब्जा फिर से लिया जा रहा है।