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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। वनों के संरक्षण को लेकर कार्य कर रहे वन विभाग चित्तौड़गढ़ की छवि श्रमिकों को भुगतान करने के मामले में सही नहीं रही और पूर्व में भी विवाद हुवे थे। वहीं अब श्रमिकों को एक बार फिर भुगतान नहीं करने को लेकर चर्चा में आया है। उप वन संरक्षक कार्यालय की और से लव कुश वाटिका और हथनी ओदी में काम करवाए लेकिन साढ़े पांच लाख से ज्यादा का भुगतान अटका हुआ है। ऐसे में कई श्रमिक वन विभाग कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। इसमें से अधिकांश महिलाएं हैं।
जानकारी में सामने आया कि गत सरकार के कार्यकाल के आखिरी महीनों में चित्तौड़गढ़ वन विभाग की और से दो बड़ी योजनाएं शुरू की गई थी। इसमें एक तो शहर में ही घटियावली मार्ग पर हथनी ओदी के यहां पर स्थित मोहर मंगरी के यहां पर जिप लाइन और लव कुश वाटिका का निर्माण शुरू करवाया था। जिप लाइन का उद्घाटन कर शुरू कर दिया था, जबकि लव कुश वाटिका में कार्य जारी था। दिसंबर से पहले यहां निर्माण पूरा हो गया था। यहां काम करने वाले श्रमिकों को भुगतान नहीं किया गया। वन विभाग ने श्रमिकों का भुगतान ही रोक दिया। इसी तरह हथनी ओदी में भी पुरानी शिकारगाह की मरम्मत कर ट्री हाउस निर्माण और ट्रेक निर्माण आदि करवाए थे। यहां पर भी निर्माण के लिए लाखों रुपए का भुगतान अटक गया है। स्थिति यह है कि श्रमिक भुगतान के लिए भटक रहे हैं। वन विभाग के उच्च अधिकारियों को भी भी अवगत करवाया है। लेकिन अब तक भुगतान नहीं हुआ। वन विभाग की इन दिनों ही योजनाओं में कार्य करने वाली महिला श्रमिक सोमवार को जिला मुख्यालय पर स्थित वन विभाग के कार्यालय पहुंचे और लिखित में शिकायत दी है। इधर, उपवन संरक्षक विजय शंकर पांडे ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुवे नीचे के स्टाफ को इसके लिए जिम्मेदार बता दिया। वहीं चित्तौड़गढ़ रेंजर राजेंद्र शर्मा ने बताया कि दोनों ही स्थानों पर हुवे कार्यों के बिल बनवा कर मार्च के पहले ही उच्च अधिकारियों को प्रेषित कर दिए थे। भुगतान हुआ या नहीं, इसकी जानकारी नहीं है।
यह हुवे थे कार्य
वन विभाग में अधिकांश कार्य वन सुरक्षा प्रबंध समिति के माध्यम से काम होते आए हैं। इसके तहत लव कुश वाटिका में एक हजार गड्ढे खोद कर पौधे लगाए, नाड़ी खोदी, इक्को शॉप के शटर लगवाने आदि कार्य हुवे। इसी तरह हथनी ओदी में इक्को ट्रेक निर्माण, चबुतरा निर्माण, भराव, समतलीकरण, गार्डन तैयार करना आदि कार्य हुवे। यह कार्य जुलाई 2023 से चल रहे थे।
बिल भेजे उपवन संरक्षक कार्यालय, मार्च भी निकला
जानकार सूत्रों ने बताया कि संबंधित कर्मचारियों ने समितियों के माध्यम से कार्य करवाए थे। श्रमिकों के बिल रेंज कार्यालय में दिए थे, जहां से उपवन संरक्षक कार्यालय भेज दिए थे। लेकिन यहां से बिल ही स्वीकृत नहीं किए गए। मार्च माह भी निकल गया है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि बिल गए कहां और मार्च माह भी निकल गया। ऐसे में अब श्रमिकों को भुगतान कैसे होगा।