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उद्योग को सस्ता पानी बेच रही नगर परिषद, एक साल में प्रस्ताव पर नहीं किया विचार
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। मानसून की औसत से कम बरसात के कारण जिले में पीने के पानी को लेकर काफी खींचतान है। जिले की कई तहसीलें डार्क जोन में। पीने के पानी को लेकर टैंकर से आपूर्ति करनी पड़ रही है तो उधोगों को चलाने के लिए महंगी दर पर पानी मंगवाना पड रहा है। जबकि नगर परिषद चित्तौड़गढ़ जिले के सबसे बड़े उद्योग को सस्ता पानी बेच रही है। निजी संस्थाओं से उद्योग महंगा पानी जा रहा है लेकिन नगर परिषद चित्तौड़गढ़ अब भी एक साल पूर्व हुवे एग्रीमेंट के अनुसार ही पानी दे है। इससे सरकारी खाते में राजस्व को काफी नुकसान हो रहा है। समय रहते प्रयास किए जाते तो पानी का मूल्य बढ़ाया जाकर एसटीपी प्लांट का पानी महंगे दर पर दिया जाकर राजस्व को बढ़ाया जा सकता था। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने इस और बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया। बड़ी बात यह कि नालों के पानी से आय होने के बावजूद चित्तौड़गढ़ शहर की गंगा कही जाने वाली गंभीरी की दशा को सुधारने को लेकर कोई सार्थक प्रयास नहीं दिखे।
जानकारी के अनुसार चित्तौड़गढ़ शहर में दो अभिमन्यु पार्क व भोईखेड़ा में दो एसटीपी प्लांट है। इसमें शहर के नालों का पानी ट्रीटेड़ किया जाता है। दोनों ही प्लांट की शुरुवात में ट्रीटेड़ हुवे पानी को खेती सहित अन्य उपयोग में लेने का निर्णय हुआ था। बाद में इस पानी को किसी ने नहीं लिया तो पुनः नदी में ही छोड़ा जाने लगा। वहीं पेयजल संकट के दौर में एक उद्योग को पानी की आवश्यकता हुई। इस पर एसटीपी प्लांट से ट्रीटेड़ पानी का नगर परिषद से खरीदा जाने लगा। वैसे तो वर्ष 2021 से यह क्रम जारी था। लेकिन एक वर्ष पूर्व मई 2023 में नया एग्रीमेंट जिला कलक्टर की अध्यक्षता में किया था और 1 जून से ट्रीटेड पानी देना शुरू किया गया था। इसके लिए प्रस्ताव भी उद्योग की और से ही आया था। लेकिन अब जब गर्मी में पीने के पानी का भी कई जगहों पर संकट है। इतना ही नहीं उद्योग इकाई को कई मध्यम से प्लांट चलाने के लिए पानी महंगे दामों पर लेना पड़ रहा है। लेकिन नगर परिषद से जो एग्रीमेंट हुआ उसके अनुसार वर्तमान में ऐसा प्रतित होता है कि नगर परिषद बहुत ही कम दर पर ट्रीटेड पानी इकाई को दे रहा है। एक वर्ष पूर्व की स्थिति और वर्तमान स्थिति का नगर परिषद प्रशासन ने रिव्यू नहीं किया, ऐसा प्रतित होता है।
एक हजार लीटर के केवल आठ रुपए
जानकारी मिली है कि एसटीपी प्लांट के यहां मीटर लगा हुआ है। जितना पानी उद्योग को जाता है, उतना भुगतान हो जाता है। नगर परिषद व औद्योगिक इकाई के मध्य जो एग्रीमेंट हुआ था उसके अनुसार प्रति किलो लीटर 8 रुपए देना तय किया था। 1 केएलडी यानी एक हजार लीटर पानी होता है। एक लीटर पानी केवल 0.008 रूपए में दिया जा रहा है।
तीन माह का भुगतान शेष
नगर परिषद से मिली जानकारी के अनुसार उद्योग इकाई ने ट्रीटेड पानी के बदले नगर परिषद को जनवरी 2024 तक का भुगतान कर दिया है। 1 जून 2023 से जनवरी 2024 तक 5 लाख 74 हजार 054 केएलडी पानी जिंक को दिया था। इसके बदले 45 लाख 92 हजार 432 रुपए का भुगतान नगर परिषद को आ चुका है। वहीं तीन माह का करीब 14 लाख का भुगतान शेष है।
पहले तय था 6 लाख रुपए प्रतिमाह
नगर परिषद से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2021 से ही उद्योग को पानी दिया जाता रहा है। पूर्व में 6 लाख रुपए प्रतिमाह का तय किया हुआ था। इसमें पानी का कितना जाएगा यह तय होने की जानकारी नहीं मिली है। इस दर के अनुसार भी देखें तो 72 लाख रुपए प्रतिवर्ष होता है, जबकि नए एग्रीमेंट में करीब 60 लाख का भुगतान होने की बात ही सामने आ रही है।
अब तक डेढ़ करोड़ का भुगतान, नदी के हालात जस के तस
नगर परिषद से जानकारी मिली है उसके अनुसार अब तक ट्रीटेड पानी के बदले करीब डेढ़ करोड़ का भुगतान हो चुका है 45 लाख रुपए तो नए एग्रीमेंट के अनुसार हुए हैं तथा पूर्व में एक करोड रुपए का भुगतान हुआ है लेकिन गंभीरी नदी के हालात जस के तस बने हुए हैं सबसे बड़ी बात की गंभीरी नदी में कहीं नाले जाकर मिल रहे हैं । जिसका गंदा पानी भी नदी में गिर रहा है इसमें सुधार के कोई प्रयास नहीं हुए
अभी निकल रहा है केवल प्लांट चलाने का खर्चा
नगर परिषद से जो जानकारी मिली है उसके अनुसार वर्तमान में जो नगर परिषद को ट्रीटेड पानी से आय हो रही है उससे केवल एसटीपी प्लांट ऑपरेशन एवं मेंटिनेंस का खर्चा ही निकल पा रहा है। इन दोनों ही प्लांट के सभी खर्च 6 लाख रुपए तक प्रतिमाह है। नगर परिषद ने एसटीपी प्लाट का संचालन ठेके पर दिया हुआ है।
वर्जन....
उद्योग को पानी देने के लिए 30 जून तक का एग्रीमेंट है। इसके बाद रिव्यू का दरो को बढ़ाने पर विचार किया जाएगा।
रविंद्र सिंह यादव, आयुक्त नगर परिषद चितौड़गढ़