1008
views
views
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। सारे तीर्थ कर लो, सब नदीयों में स्नान कर लो, कितना ही पुण्य-दान कर लो, कितनी ही भागवत-कथा सुन लो लेकिन माता-पिता की सेवा नहीं की तो सब बेकार है। बांसवाड़ा (घाटोल) में चल रही भागवत-कथा के षष्ठम-दिवस की कथा में अक्रूर द्वारा कृष्ण-बलराम को मथुरा लेकर आने की कथा के क्रम में श्री अनुजदासजी महाराज ने बताया कि जीवन में माता-पिता का सर्वोपरी स्थान है । विभिन्न कथानकों द्वारा आज के युग में वृद्ध माता-पिता की दयनीय स्थिति का विवेचन करते हुए व्यासजी ने बताया कि यदि आप अपने जीवन में सफल साबित होना चाहते हैं तो माता-पिता के अहसान को कभी मत भूलना । जगदीशजी झांकी वालों द्वारा कंस का सजीव अभिनय मन-मोहक रहा । कंस-वध, गोपी-सवाद, जरासंध-वध, कृष्ण के विभिन्न विवाह, द्वारिका-निर्माण सहित कृष्ण भगवान् की विभिन्न लीलाओं का विस्तार से विवेचन किया गया । रुकमणी-विवाह एवं प्रसंगानुरूप समय-समय पर भजनों की प्रस्तुतियों के साथ वाद्य-यंत्रों की संगत पर स्त्री-पुरुष नृत्य करते हुए भाव-विभोर हो गये । कथा के प्रारंभ में मेवाड़ महामंडलेश्वर श्री महंत श्री 1008 श्री चेतन दास जी महाराज मुगाना धाम,महंत श्री रामदास जी महाराज केलुखेड़ा, व पधारे समस्त संतो का आशीर्वचन समस्त भक्तों को प्राप्त हुआ,आरती व प्रसाद वितरण के साथ आज की कथा का विश्राम हुआ ।