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सीधा सवाल। निंबाहेड़ा। बांग्लादेश में लगातार हालात खराब होते जा रहे हैं शेख हसीना की सरकार के तख्ता पलट के बाद वहां रह रहे अल्पसंख्यकों खासतौर पर हिंदू समाज को चिन्हित कर उनके साथ हिंसक घटनाएं की जा रही है। बिना कारण हिंदू संतों की गिरफ्तारी की जा रही है इसके विरोध में निंबाहेड़ा में सर्व हिंदू समाज ने आक्रोश रैली निकालकर महामहिम राष्ट्रपति के नाम उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सोपा। बाबा रामदेव व्यायाम शाला से शुरू हुई आक्रोश रैली मण्डी चौराहा होती हुई निंबाहेड़ा उपखंड अधिकारी कार्यालय पहुंची। इस दौरान रैली में शामिल सर्व हिंदू समाज के लोगों और बड़ी संख्या में उपस्थित महिलाओं ने नारेबाजी कर बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की।
ज्ञापन में बताया कि बांगलादेश प्रशासन द्वारा वहां के इस्कॉन मंदिर के मुख्य पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी, वहाँ अल्पसंख्यक समुदाय पर विशेष रूप से हिन्दू समुदाय पर अनवरत एवं अमर्यादित अत्याचार वहां के प्रशासन की कायरतापूर्ण और अलोकतांत्रिक घटना है। हम वहाँ के प्रशासन की इस कायरता पूर्ण और अलोकतांत्रिक घटना का पुरजोर विरोध करते हैं। इस्कॉन ने या अन्य हिन्दू समाज के संगठनों ने अभी तक अपने उत्पीड़न के विरोध में जितनी भी कार्यवाहियां की है, समस्त लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन किया है। किसी भी प्रकार की हिंसा का उन्होंने प्रतिहिंसा के रूप में अभी तक कोई उत्तर नहीं दिया है। इस प्रकार के पूर्ण शान्तिप्रिय और लोकतांत्रिक रूप से अपनी बात रखने वाले समाज के किसी नेतृत्व को, जो एक वर्ग का भी नेतृत्व करते हैं, इस प्रकार से अलोकतांत्रिक तरीके से गिरफ्तार करना, उनको बन्द करना उनकी आवाज को दबाने की कुचेष्टा करना अलोकतांत्रिक है, अमानवीय है और हिन्दू समाज के मानवाधिकारों का हनन भी है। ज्ञापन में बताया कि बांग्लादेश में जो घटनाक्रम चल रहा है उसमें वामपंथी, इस्लामिक तत्वों के साथ मिलकर वहां के हिंदू समाज का दमन कर रहे है। दुर्भाग्य की बात है कि पूरे विश्व समुदाय ने, वैश्विक संगठनों ने इस घटनाक्रम पर जितनी चिन्ता
व्यक्त करनी चाहिए थी जैसी रोक लगानी चाहिए थी, वैसी रोक नहीं लगाई है। हम यह अपेक्षा करतें हैं कि वहाँ पर हो रहे घटनाक्रम को ध्यान से देखे, उसकी गम्भीरता को समझे और बांग्लादेश के प्रशासन पर दबाव बनाए कि हिन्दुओं के मानवाधिकारों की रक्षा की जाए सुरक्षा की जाए। भारत सरकार का प्रत्युत्तर इस विषय में बहुत ही सावधानी पूर्वक और न्यूनतम रहा है। यह सही है कि एक संप्रभुत्वशाली देश की स्वायत्तता को किसी भी प्रकार से चुनौती देना दूसरे देश की सरकार के लिए ठीक नहीं है परन्तु एक बड़े हिन्दू समुदाय का इस प्रकार का उत्पीड़न पूरा विश्व, सारे पड़ौसी देश, भारत सरकार सिर्फ देखते रहे और कुछ भी कार्यवाही नहीं करे यह भी एक सीमा तक तो स्वीकार्य है लेकिन लम्बे समय तक यह भी स्वीकार नहीं किया जा सकता। सविनय निवेदन है कि भारत सरकार इन सब घटनाओं को उनके संज्ञान में ले, बांग्लादेश के प्रशासन पर दबाव बनाए कि हिन्दुओं के उत्पीड़न को रोके। तुरन्त प्रभाव से इस्कॉन के मुख्य पुजारी श्री चिन्मय कृष्ण दास प्रभु जी की रिहाई की मांग ज्ञापन में की गई। इस दौरान सर्व हिंदू समाज के गणमान्य नागरिक मौजूद रहे, वहीं बड़ी संख्या में महिलाओं ने भी भागीदारी कर इस अत्याचार के विरुद्ध विरोध के स्वर मुखर किए हैं।