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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। राज्य के चित्तौड़गढ़ स्थित सैनिक स्कूल में बुधवार को भारतीय नौसेना दिवस प्राचार्य कर्नल अनिल देव सिंह जसरोटिया एवं उप प्राचार्य लेफ्टिनेंट कर्नल पारुल श्रीवास्तव के निर्देशन में मनाया गया। इस अवसर पर स्कूल के शंकर मेनन सभागार में आयोजित हुए समारोह के मुख्य अतिथि स्कूल के पूर्व छात्र एवं भारतीय नौ सेना के सेवानिवृत अधिकारी कैप्टन (आई एन) आर एस सुरन थे। स्कूल के सीनियर मास्टर ओंकार सिंह एवं एनसीसी के एएनओ विकास चौबे ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। स्कूल के जनसंपर्क अधिकारी बाबूलाल शिवरान ने बताया कि स्कूल में भारतीय नौसेना दिवस बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया। एनसीसी के कैडेट मधुसुदन ने भारतीय नौसेना की जबरदस्त क्षमता का महिमामंडन करते हुए नौसेना की उपलब्धियों का बखान किया। इस अवसर पर कैडेट्स को भारतीय नौसेना पर आधारित एक शॉर्ट डॉक्युमेंट्री दिखाई गई। मुख्य अतिथि ने इस अवसर पर अपने स्कूल के दिनों को याद किया और अपने संबोधन में 1971 के युद्ध में भारतीय नौसेना द्वारा किए गए ऑपरेशन ट्राइडेंट का उल्लेख किया, जिसमें उन्होनें स्वयं भाग लिया था और ऑपरेशन पायथन के बारे में कैडेट्स को जानकारी दी। मुख्य अतिथि ने भारतीय नौसेना की महत्ता और हमारे राष्ट्र की रक्षा में उसकी भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने नौसेना के अद्वितीय साहस, समर्पण और त्याग की सराहना की और कैडेट्स को भारतीय सशस्त्र बलों की शौर्य गाथाओं से प्रेरणा लेने के लिए प्रोत्साहित किया।
मुख्य अतिथि ने कहा, नौसेना दिवस भारत की समुद्री शक्ति को मान्यता देने का दिन है। यह हमारे समुद्रों की सुरक्षा और राष्ट्र की अखंडता की रक्षा में भारतीय नौसेना द्वारा किए गए अभूतपूर्व योगदान का प्रतीक है। हमें गर्व है कि हमारे नौसैनिक न केवल समुद्र में बल्कि वैश्विक मंच पर भी अपनी शक्ति का परिचय देते हैं। उन्होंने भारतीय नौसेना के समर्पण और शौर्य की सराहना करते हुए यह भी कहा कि हमारे नौसैनिक हर स्थिति में अपना कर्तव्य निभाने में सक्षम हैं, चाहे वह प्राकृतिक आपदाएं हों या सीमा पर सुरक्षा चुनौती। उन्होंने कैडेट्स से आह्वान किया कि वे भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की तरह राष्ट्रसेवा के लिए हमेशा तैयार रहें। इस अवसर पर स्कूल के समस्त स्टाफ एवं छात्र उपस्थित थे।