views
एनएचएआई दर पर मुआवजा देने की मांग
सीधा सवाल। छोटीसादड़ी। जहां केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण के लिए किसानों की अधिग्रहण की गई भूमिका का मुआवजा एक लाख रुपये प्रति आरी के दर से तय कर किसानों को भुगतान किया गया।वही 10वर्ष बाद भी जब किसानों की खेती की भूमि में रेलवे लाइन निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण के बाद उचित मुआवजा नहीं मिलने से नाराज किसानों का धरना-प्रदर्शन गुरुवार को 21 वे दिन भी जारी रहा। किसानों के धरने और उनकी मांगों की अनदेखी करना गंभीर चिंता का विषय है। यह स्थिति न केवल किसानों के हितों को प्रभावित कर रही है, बल्कि महत्वपूर्ण रेलवे परियोजना में भी बाधा डाल रही है।
किसानों का कहना है कि एनएचएआई द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण के लिए उचित मुआवजा दिया गया, लेकिन रेलवे परियोजना के लिए ऐसा नहीं हुआ। यह भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण किसानों की नाराजगी का मुख्य कारण है।
मुआवजे का हो पुनर्मूल्यांकन
भूमि अधिग्रहण के लिए समान मुआवजा नीति लागू की जानी चाहिए। यदि एनएचएआई ने उचित दरों पर मुआवजा दिया है, तो रेलवे को भी उसी मानक का पालन करना चाहिए।
समस्या का हो न्यायपूर्ण समाधान
किसानों के अधिकारों की रक्षा करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। एक स्वतंत्र समिति गठित करके मुआवजे और किसानों की मांगों की जांच कराई जा सकती है।
कड़ाके की ठंड के बीच प्रदर्शन कर रहे किसानों की कठिनाइयों को देखते हुए, प्रशासन को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए और उनकी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति का ध्यान रखना चाहिए।
इस तरह की स्थितियों से निपटने के लिए सरकार को अधिक सक्रिय और संवेदनशील रवैया अपनाने की आवश्यकता है, ताकि किसानों का विश्वास बना रहे और विकास परियोजनाओं में बाधा न आए।