views
- सांसद जोशी ने लोकसभा में किया मीरा स्मारक को लेकर प्रश्न, चित्तौड़ दुर्ग पर पूर्वी प्रवेश द्वार को लेकर भी पूछा प्रश्न
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी ने सोमवार को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान सभा की कार्यवाही में भाग लेते हुवे ताराकिंत प्रश्न के माध्यम से संस्कृति मंत्रालय से जुड़ा हुआ पूरक प्रश्न किया। इसमें उन्होंने भक्तशिरोमणी मीराबाई के स्मारक के निर्माण एवं चित्तौड़ दुर्ग पर पूर्वी प्रवेश द्वारा के संबध में प्रश्न किए। इसमें केंद्रीय मंत्री ने जवाब देते हुवे कहा कि जिला कलक्टर के पत्र के आधार पर राज्य सरकार से डीपीआर बनाने को कहा है। नियम के अनुसार इसमें निर्णय होगा।
लोकसभा में सांसद जोशी ने प्रश्न करते हुवे कहा की चित्तौड़ दुर्ग विश्व में अपनी पहचान रखता हैं, कहावत हैं की ’’गढ़ तो चित्तौड़ बाकी सब गढै़या’’। चित्तौड़ दुर्ग एशिया का सबसे बड़ा दुर्ग हैं तथा यहां का एक गौरवशाली इतिहास भी हैं। इस दुर्ग पर मीरा, पन्ना, पद्मिनी एवं महाराणा प्रताप का गौरवषाली इतिहास भी हैं। सांसद जोशी ने सदन के माध्यम से मंत्री से प्रश्न किया की प्रधानमंत्री ने मीराबाई के 525वें जन्मोत्सव वर्ष पर देश में विभिन्न ऐतिहासिक महत्व के स्थलां पर मीराबाई से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों को करने का निर्णय किया हैं। इससे क्या चित्तौड़गढ़ में भी मीराबाई के नाम से कोई स्मारक बनेगा क्या?
इसके साथ हीं चित्तौड़ दुर्ग में पूर्वी दिशा में भी द्वार के खोले जाने की लम्बे समय से मांग है, तो उसके लिये क्या सरकार विचार कर रही हैं क्या?
सांसद जोशी के प्रश्न के जवाब में केन्द्रीय संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया की भक्त शिरोमणी मीराबाई के 525वें जन्म जयंति के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने मीराबाई के जीवन से जुड़े 4 स्थलों जन्म स्थल मेड़ता, विवाह स्थल चित्तौड़गढ़, भक्ति स्थल वृन्दावन, निर्वाणस्थली द्वारिका, जहां पर वे भगवान में समाहित हो गयी थी, वहां पर बड़े कार्यक्रमां को करने का निर्णय लिया गया हैं। इसके तहत चित्तौड़गढ़ में भी आगामी 21 ,22 एवं 23 दिसम्बर को कार्यक्रम का आयोजन किया जाना हैं।
दुर्ग पर वैकल्पिक मार्ग के लिए बनेगी डीपीआर
मंत्री ने कहा कि दुर्ग पर वैकल्पिक मार्ग के लिए सांसद एवं जिला कलक्टर ने मंत्रालय को पत्र लिखा हैं। मंत्रालय ने राज्य सरकार से उस पत्र के आधार पर उसकी डीपीआर को तैयार करने का आग्रह किया हैं। इसके बाद पुरातात्विक सर्वेक्षण अपने नियमां के अनुसार उसमें निर्णय कर पाएंगे।