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छोटीसादड़ी। अभिमानी व्यक्ति को परब्रम्ह जल्दी ही उसके कर्मो की सजा दे देता है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मित्र सुदामा को वैभव के रूप में द्वारिकापुरी दी थी। परब्रम्ह के चरणो में जो शरणागत हो गया उसको प्रभु के चरणों के शरण मिल जाती है। हर व्यक्ति को अपने जीवन में एक सच्चा मित्र अवश्य रखना चाहिए जो हमारे सुख-दुख में सहभागिता निभाकर सच्ची मित्रता का परिचायक बन सके। यह सारगर्भित विचार कथा मर्मज्ञ पं. पुरणदास बैरागी ने जलोदिया केलूखेड़ा के आमली बावजी प्रागण में ग्रामवासियों के सहयोग से आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव के दौरान शनिवार को अंतिम दिन धर्म पांडाल में उपस्थित श्रृद्धालुओ को धर्मज्ञान गंगा प्रवाहित करते हुए कहे। सुदामा चरित्र प्रसंग सुनाते हुए श्रीमद् भागवत कथा पांडाल में उपस्थित श्रोताओं को ज्ञान वर्षा प्रवाहित करते हुए कहा कि मित्र में आध्यात्मिकता होना जरूरी है ताकि हम भी आध्यात्म से जुड़ जाए। मित्रता में अमीर-गरीबी, जाति भेदभाव नहीं होना चाहिए। भेदभाव भुलकर समानता को महत्व देने वाला सच्चा मित्र होता है। सात दिवसीय कथा का प्राण ही श्रीमद भागवत है। जीवन में कभी भी परमात्मा की कृपा हो जाए तो अभिमान मत करना। क्योकि अभिमानी व्यक्ति को परब्रम्ह जल्दी ही कर्मो की सजा दे देता है। श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा अलौकिक कथा का श्रवण करने दूरदराज क्षेत्रो से बड़ी संख्या में जनसेलाब उमड़ा और धर्म गंगा में खुब गोते लगाए। श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा प्रवचन के अंतिम दिन सुदामा चरित्र, सुखदेव परिक्षित, जरासंन वध, शिशुपाल वध का प्रंसग का वृतांत कथा प्रवचन पं. श्री बरागी के मुखारविंद से किए गए। श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा प्रवचन के अंतिम दिन हवन, महाआरती एवं महाप्रसादी के साथ पुर्णाहुति हुई। इस मौके पर कथा पांडाल से ढोल-ढमाको के साथ गांव के विभिन्न मार्गो से भव्य शोभा यात्रा निकली जो चारभुजानाथ मंदिर पहुंची तत्पश्चात शोभा यात्रा विसर्जन हुई।