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छोटीसादड़ी। नगर के सदर बाजार स्थित आदिनाथ जैन मंदिर में प्रतिदिन प्रवचन चल रहे हैं। आचार्य मृदु रत्न रत्न सागर के शिष्य रत्न नमीरत्न सागर एवं मुनि पवित्ररत्न सागर निश्रा में चल रहे प्रवचन के दौरान मंगलवार को आचार्य नवरत्न सागर सुरेश्वर महाराज की पंचम पुण्यतिथि गुणानुवाद सभा के रूप में मनाई गई। जहां मुनि प्रवचन रत्न सागर ने बताया कि व्यक्ति को अपने जीवन में महापुरुषों के जीवन चरित्र से प्रेरणा लेनी चाहिए। महापुरुष का जीवन अत्यंत ही कठोर होता है। वह तब तपस्या कर अपने जीवन को धन्य बनाते हैं। उन्होंने बताया कि महापुरुषों के गुण गाने से जीभ पवित्र होती हैं, महापुरुषों के गुण सुनने से कान पवित्र होते हैं। और महापुरुषों के गुणों को आचरण में लाने से जीवन पवित्र होता है। जिस व्यक्ति के रजाई के अंदर अन्य पुरुषों के गुणों के प्रति आदर भाव होता है। बहू मान भाव होता है। उन व्यक्ति को तीर्थंकर की पदवी भी दुर्लभ नहीं होती। आचार्य नवरत्न सागर ने राजगढ़ की नगर की धन्य धरा पर पर जन्म लिया और 11 साल की उम्र में उन्होंने दीक्षा प्राप्त की। नवरत्न सागर जात अर्थात स्वयं के लिए कठोर थे। लेकिन जगत के लिए फूलों से भी कोमल थे। वही, संघ के श्रावक और सेविकाओं ने भी आचार्य के जीवन पर प्रकाश डाला और उनके किए गए उपकारो के बारे में बताया। वही मुनि ने गुरुदेव के तप महिमा पर कई दृष्टांत दिए। साथ ही सैकड़ों मंदिरों की अंजनशला प्रतिष्ठा भी करवाई। गुणानुवाद सभा में सैकड़ों की संख्या में श्रावक-श्राविका मौजूद थे। वही, नवरत्न सागर की पुण्यतिथि निमित्त एवं पिंकी बेन भोपराज नागोरी की 108 उपवास निमित्त सकल जैन श्री संघ में 150 से अधिक आयम्बिल की तपस्या की गई। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में श्रावक-श्राविका द्वारा सामायिक की गई।