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देश-दुनिया के इतिहास में 27 फरवरी की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह वही तारीख है जब क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद चिरनिद्रा में लीन हो गए। 1931 में 27 फरवरी को प्रयागराज (तब इलाहाबाद) के अल्फ्रेड पार्क में ब्रितानी हुकूमत की पुलिस से घिरे आजाद ने खुद को गोली मार ली थी। आज अल्फ्रेड पार्क को चंद्रशेखर आजाद पार्क या चंद्रशेखर आजाद उद्यान के रूप में जाना जाता है। यह उद्यान आजाद को हरदम नमन करता है। उनके क्रांतिकारी जीवन के शुरुआती दिनों में गांधी जी का प्रभाव दिखाई देता है। बाद में चंद्रशेखर आजाद खुद एक सोच बन गए और अंग्रेजों की नाक में दम करके रख दिया।
आजाद की क्रांतिगाथा और विचारधारा ने आजादी की दीवानों की पूरी पीढ़ी को प्रभावित किया है। सरदार भगत सिंह भी उनके मुरीद थे। आजाद का जन्म मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में हुआ था। 15 साल की उम्र में गांधी जी के असहयोग आंदोलन में गिरफ्तार होने के बाद जज को दिए गए जवाबों ने उन्हें मशहूर कर दिया था। उन्होंने जज के पूछने पर अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतंत्रता, घर का पता जेल बताया था। इससे नाराज होकर जज ने उन्हें 15 कोड़ों की सजा दी। हर कोड़े पर वो वंदे मातरम और महात्मा गांधी की जय कहते रहे। इसके बाद से ही उनका नाम आजाद पड़ गया।
असहयोग आंदोलन के दौरान जब चौरीचौरा कांड के चलते गांधीजी ने आंदोलन वापस ले लिया, तब आजाद का गांधी जी से मोहभंग हो गया। इसके बाद उनकी बिस्मिल से मुलाकात हुई। आजाद ने बिस्मिल और अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर 9 अगस्त, 1925 को काकोरी में चलती ट्रेन को रोककर ब्रिटिश खजाने के लूटा। काकोरी कांड ने ब्रिटिश हुकूमत को हिलाकर रख दिया। ब्रिटिश हुकूमत आजाद और उनके साथियों के पीछे पड़ गई, लेकिन आजाद बार- बार पुलिस को चकमा देने में पूरी तरह से सफल होते रहे।
इसके बाद 1928 में लाला लाजपत राय की लाठीचार्ज में मौत के बाद आजाद ने सांडर्स को मारने की योजना बनाई। आजाद, भगत सिंह और राजगुरु लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए 17 दिसंबर, 1928 को लाहौर के पुलिस अधीक्षक दफ्तर के बाहर जमा हुए। जैसे ही सांडर्स अपने अंगरक्षकों के साथ निकला तो भगत सिंह और राजगुरु ने उसपर ताबड़तोड़ फायरिंग कर उसे मार दिया। इसके बाद सांडर्स के अंगरक्षक भगत सिंह और राजगुरु का पीछा करने लगे तब आजाद ने उन अंगरक्षकों को गोली मार दी।
आजाद ताउम्र अपने नाम के मुताबिक आजाद ख्याल रहे। उन्होंने संकल्प लिया था कि वे कभी अंग्रेजों के हाथ नहीं आएंगे और उन्हें फांसी लगाने का मौका अंग्रेजों को कभी नहीं मिल सकेगा। अपने इस वचन को आजाद ने पूरी तरह निभाया। मौत को गले लगाते समय आजाद की आयु मात्र 24 साल थी।
महत्वपूर्ण घटनाचक्र
1879ः रूस के रसायनशास्त्री कॉन्सटैंटिन फालबर्ग ने आर्टिफिशियल स्वीटनर सैकरीन की खोज की।
1932ः ब्रिटिश भौतिकशास्त्री जेम्स चैडविक ने न्यूट्रॉन की खोज की।
1951: अमेरिकी संविधान में 22वां संशोधन किया गया। इसमें तय हुआ कि कोई भी व्यक्ति सिर्फ दो कार्यकाल तक ही राष्ट्रपति बन सकता है।
1999: नाइजीरिया में 15 साल में पहली बार असैन्य शासक चुनने के लिए वोटिंग हुई।
2001ः गोधरा (गुजरात) में अयोध्या से रेल से वापस लौट रहे कारसेवकों के डिब्बे में मुसलमानों ने आग लगाई। 59 हिंदू कारसेवकों की मौत।
2001ः अफगानिस्तान में तालिबान ने सभी देव प्रतिमाओं को नष्ट करने का आदेश दिया।
2004: फिलीपींस में आतंकवादी ने एक नाव को बम से उड़ाया। 116 लोगों की मौत।
2005ः मारिया शारापोवा ने 'कतर ओपन' खिताब जीता।
2008ः पाकिस्तान सरकार ने आसिफ अली जरदारी के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के सभी आरोप वापस लिए।
2010: आठवीं कॉमनवेल्थ शूटिंग प्रतियोगिता में भारत ने 35 गोल्ड, 25 सिल्वर और 14 ब्रॉन्ज समेत 74 मेडल जीतकर पहला स्थान हासिल किया।
2012ः भारत 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा।ऊर्जा क्षेत्र की वैश्विक कंपनी बीपी का अनुमान।
जन्म
1912ः मराठी साहित्यकार विष्णु वामन शिरवाडकर कुसुमाग्रज।
1925ः भारतीय राजनीतिज्ञ श्यामा चरण शुक्ल।
1934ः उड़िया साहित्यकार मनोज दास।
1943ः भारतीय राजनीतिज्ञ बीएस येदयुरप्पा।
1952ः चर्चित फिल्मकार प्रकाश झा।
निधन
1931ः क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद।
1956ः लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष गणेश वासुदेव मावलंकर।
1997ः फिल्म गीतकार इंदीवर।
2010ः प्रख्यात समाजसेवक और चिंतक नानाजी देशमुख।
दिवस
1-चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि
2-नानाजी देशमुख की पुण्यतिथि
3- गणेश वासुदेव मावलंकर की पुण्यतिथि