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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। पोक्सो कोर्ट चित्तौड़गढ़ क्रमांक-1 के न्यायाधीश ने 13 साल की मासूम के अपहरण और दुष्कर्म के मामले में अभियुक्त को दोषी माना और 20 साल का कठोर कारावास तथा कुल 40 हजार रुपए अर्थदंड सुनाया। इस मामले में महत्वपूर्ण बात यह रही कि पीड़िता के परिवार के सदस्य ही कोर्ट में बयानों से मुकर गए थे। लेकिन न्यायालय ने पीड़िता के बयानों को महत्वपूर्ण माना। अनुसंधान अधिकारी को बयान और अन्य साक्ष्य को देखते हुवे अभियुक्त को सजा से दंडित किया। पोक्सो कोर्ट चित्तौड़गढ़ क्रमांक-1 के विशेष लोक अभियोजक शोभालाल जाट ने बताया कि जिले के भूपालसागर थाना क्षेत्र में रहने वाले एक व्यक्ति ने 23 फरवरी 2021 को थाने पर रिपोर्ट दी थी। इसमें बताया कि करीब 25 दिन पहले प्रार्थी मजदूरी पर गया था। पीछे घर पर प्रार्थी की पत्नी और पुत्री ही थे। शाम को मजदूरी से घर लौटा तो पत्नी ने बयाया कि पुत्री दिन में कहीं चली गई, जिसका कहीं पता नहीं चला। करीब 25 दिन प्रार्थी ने तलाश की और थाने में दी गई रिपोर्ट में आकोला थाना क्षेत्र में आने वाले रायपुरिया निवासी रोशन लाल पुत्र वरदा उर्फ वृद्धिचंद भील पर अपहरण कर ले जाने की शंका जताई थी। इस रिपोर्ट पर पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर अनुसंधान शुरू किया। अभियुक्त रोशनलाल को गिरफ्तार कर लिया, जिसे न्यायालय के आदेश पर जेल भेज दिया। पुलिस ने मामले में अनुसंधान के बाद अभियुक्त के खिलाफ चालान पेश किया। प्रकरण की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की और से कोर्ट में 11 गवाह और 28 दस्तावेज प्रदर्शित करवाए गए। मामले में न्यायाधीश ने सोमवार को फैसला सुनाते हुवे अभियुक्त रोशनलाल को दोषी माना। न्यायाधीश ने अभियुक्त को धारा 363 आईपीसी में 5 वर्ष का कठोर कारावास व 5 हजार अर्थदंड,
धारा 366 आईपीसी में 7 वर्ष का कठोर व 10 हजार अर्थदंड तथा धारा 5एल/6 पोक्सो एक्ट में 20 वर्ष का कठोर कारावास और 25 हजार रुपए अर्थदंड सुनाया। इस तरह अभियुक्त को 20 साल की सजा और कुल 40 हजार रुपए अर्थदंड सुनाया। विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि न्यायालय ने पीड़िता के बयानों को महत्वपूर्ण माना। पीड़िता के रिश्तेदारों ने बयान बदल दिए थे लेकिन पीड़िता के बयान पहले ही हो चुके थे। अनुसंधान अधिकारी ने भी महत्वपूर्ण साक्ष्य रखे। साथ ही वारदात के दौरान पीड़िता की उम्र भी मात्र 13 साल थी। इसे न्यायालय ने गंभीर माना और अभियुक्त को 20 साल की सजा सुनाई।