views
प्रतापगढ़ जिले के धरियावद थाने का मामला
सीधा सवाल। प्रतापगढ़/ चितौड़गढ़। समाज की खाप पंचायत के फरमान को नजरअंदाज कर लेना एक दंपति के जीवन पर भारी पड़ गया। एक साल पहले हाईकोर्ट ने जिस दंपति को सुरक्षा देने के लिए प्रतापगढ़ जिले की दो थाना पुलिस को पाबंद किया था, लेकिन दोनों ही थाना पुलिस सुरक्षा देने में नाकाम रही। दंपत्ति की हत्या करने वाले हत्यारों को तीन साल की मासूम पर भी रहम नहीं आया और उसे भी हत्यारो ने मौत की नींद सुला दिया। हत्या करने के बाद हत्यारों ने पिता को पत्थर बांधकर एनीकट में फेंक दिया। वही गर्भवती माँ ओर बेटी का कत्ल कर के मां के पीठ पर बांधकर एनीकट में फेंक दिया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस ने दो आरोपियों को डिटेन कर लिया है, वहीं एक आरोपी फरार हो गया। मामला प्रतापगढ़ के धरियावद उपखंड क्षेत्र के मूंगाणा टांडा गांव का है।
गौरतलब है कि रविवार शाम को सूरजमल लबाना उसकी पत्नी लछिबाई और तीन साल की बेटी लापता हो गई थी। परिवार की हत्या की बात फैलने पर पुलिस मौके पर पहुंची थी। जिले के चार थानों की पुलिस, बांसवाड़ा एफएसएल टीम, डॉग स्कवायड की टीम के साथ जिले के एसपी लकमण दास ने तलाश शुरू की। देर रात तक पुलिस पता नहीं लगा पाई है। सोमवार दोपहर करीब डेढ़ बजे पति, पत्नी और बेटी के शव एनिकट में मिले हैं।
दंपती ने आरोप लगाए थे कि बाजार में निकलने पर उन्हें गांव छोड़ने की धमकी दी जाती थी। रविवार शाम को लच्छी देवी और सूरजमल के लापता होने के बाद से ही मूंगाणा गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। पुलिस दंपती और उसके मासूम का पता लगाने के लिए प्रतापगढ़ के अलावा अन्य जिलों की पुलिस से भी संपर्क कर रही थी व मामले के खुलासे में लगी हुई थी।
सूरजमल लबाना ने दिसंबर दो हजार बीस में आर्य समाज गुरुकुल चीत्तौड़गढ़ में विवाह किया था। इसके बाद से लच्छीदेवी के ससुराल पक्ष सहित समाज के कुछ लोगों ने इस विवाह से नाराज होकर उन दोनों को परेशान करना शुरू कर दिया। इस पर समाज ने ग्यारह लाख रुपए के आर्थिक दंड की सजा सुनाई और प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था। समाज से बहिष्कृत करने का फरमान सुनाने के बाद दंपती ने जोधपुर हाईकोर्ट की शरण ली थी। हाईकोर्ट ने जुलाई दो हजार इक्कीस में प्रदेश के गृह सचिव, प्रतापगढ़ एसपी सहित धरियावद और पारसोला एसएचओ सहित पंद्रह जनों को पक्षकार बनाते हुए दंपती को परेशान नहीं करने के लिए पाबंद करने और सुरक्षा दिलाने के आदेश दिए थे। करीब सवा दो साल पुराने इस आदेश के बावजूद उन्हें न्याय नहीं मिल पाया। दो साल पहले तक न्याय की गुहार लगाने वाले इस परिवार के अब शव मिलने के बाद पुलिस के होश उड़ गए। पुलिस अब अपनी नाकामियों को पर्दा डालने के लिए मीडिया से दूरी बनाए हुए है। पूरे मामले में अब तक कोई भी अधिकारी मुंह खोलने को तैयार नहीं है। हालांकि मीडिया ने बांसवाड़ा रेंज आईजी से बात करना चाही, लेकिन उन्होंने भी यह कह कर मामले को टाल दिया कि अभी कुछ पता नहीं चल पाया है, जांच जारी है।