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12 जनवरी से 3 फरवरी 2025 तक प्रयागराज में होगा महाकुंभ का आयोजन
सीधा सवाल। कपासन। मेवाड़ क्षेत्र के परम तपस्वी तेजस्वी वयोवृद्ध महन्त श्री चेतन दासजी महाराज द्वारा स्थापित सांवलिया धाम आश्रम मुंगाणा तहसील कपासन एक तीर्थ स्थल के रूप में विकसित हो चुका है। महाराज श्री ने अपनी तपस्या के बल पर आश्रम परिसर को ऐसा स्वरूप प्रदान कर दिया है जिससे यहां आने वाले हर श्रद्धालु को आत्मिक शान्ति का आभास होता है।प्रभु श्री सांवलिया श्याम की भक्ति के प्रताप से महाराज श्री ने अपने जीवन ऐसे कई अलौकिक कार्य सम्पादित किए हैं।जो जन साधारण के बल बूते से बाहर का विषय है।मेवाड़ महामंडलेश्वर महंत श्री चेतन दास जी महाराज बाल्यावस्था में श्री बिहारी दासजी महाराज की सेवा में समर्पण के बाद हृदय में प्रज्वलित हुई अध्यात्म ज्योति के प्रकाश से आज सम्पूर्ण मेवाड़ क्षेत्र ही नहीं, समीपवर्ती प्रदेश भी आलोकित हो रहे हैं।
आश्रम स्थापना के साथ नित्य संत सेवा एवं धार्मिक परंपरा के अनुसार मनाए जाते हैं त्योहार
मुंगाणा गांव में आश्रम की स्थापना के बाद से निरन्तर सन्त सेवा, अभ्यागत सेवा,विद्या दान आदि परोपकारी कृत्यों के साथ ही प्रत्येक पर्व को धार्मिक मान्यता के अनुरूप मनाया जा रहा है।प्रतिवर्ष गुरु पूर्णिमा पर हजारों की तादाद में भक्त गुरु पूजन कर महाप्रसादी ग्रहण करते हैं। रामानन्द जयन्ती, राम नवमी, कृष्ण जन्माष्टमी, जल झूलनी एकादशी,नवरात्रि, शिव रात्रि,हनुमान जयन्ती,सावन माह के अनुष्ठान आदि कई पर्वो तथा गांव गांव में प्रभात फेरी, कथा कीर्तन, सत्संग के माध्यम से आम जन को अध्यात्म जगत की ओर अग्रसर करने के लिए आप श्री सदैव प्रयासरत रहे हैं।आश्रम पर प्रत्येक माह की कृष्णा चतुर्दशी को मन्दिर में रात्रि जागरण का आयोजन किया जाता हैं।जिसमें क्षेत्र के ख्यातनाम भजन गायक अपने भाव पुष्प समर्पित करते हैं। प्रत्येक अमावस्या को साधु ब्राह्मणों के लिए महाप्रसादी का आयोजन किया जाता है। प्रतिदिन आश्रम में आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु का बड़े भाव के साथ सत्कार किया जाता हैं।तथा महाप्रसाद हेतु भण्डार नित्य चलता रहता हैं।जिसमें कई लोग प्रतिदिन प्रसाद ग्रहण करते हैं ।
महंत चेतनदासजी द्वारा महाकुंभ में 2001 से मेवाड़ मीरा खालसे हो रहा का संचालन
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) महाकुम्भ में मीरा मेवाड़ खालसे का संचालन प्रथम बार गंगा पट्टी, वैरागी केम्प मुक्ति मार्ग प्लॉट नं. नौ पर हुआ था। छ जनवरी से आठ फरवरी 2001 ई. (वि. सं. 2057 पौष शुक्ला एकादशी शनिवार से माघ शुक्ला पूर्णिमा गुरुवार) तक खालसे का संचालन किया गया। नौ जनवरी 2001 ई. को महाराज श्री अपने लगभग दो सौ शिष्यों के काफिले के साथ प्रयाग पहुंच गए।तेरह जनवरी 2001 ई. को कुम्भ में पधारे सभी प्रमुख सन्तों महन्तों को खालसे में आमन्त्रित कर स्वागत किया गया। छबीस जनवरी 2001 ई. (वि. सं. 2057 माघ शुक्ला द्वितीया शुक्रवार) को दिगम्बर अखाड़ा के श्री महन्त श्री रामचन्द्र दासजी परमहंस, निर्मोही अखाड़ा के श्री महन्त श्री राम आश्रय दासजी, निर्वाणी अखाड़ा के श्रीमहन्त श्री शिव नन्दन दासजी, डाकोर खालसा के अधिकारी महन्त श्री हरिओंम शरण दासजी, चित्रकूट के नागाजी श्री नृसिंह दासजी और केवटकुटी खालसा के श्रीमहन्त श्री पुरुषोत्तम दासजी सहित सभी प्रमुख खालसों के श्रीमहन्तों की उपस्थिति में मीरा मेवाड़ खालसा को मान्यता प्रदान की गई। एवं इस दौरान परम पूज्य गुरुदेव श्री चेतन दासजी महाराज को सन्त समाज द्वारा श्रीमहन्त की विशिष्ट उपाधि से सम्मानित किया गया।उस दिन से लेकर आज दिन तक भारत में प्रयाग, हरिद्वार, नासिक व उज्जैन में लगने वाले प्रत्येक कुम्भ पर्व पर महाराज श्री के सानिध्य में मीरा मेवाड़ खालसा सन्त सेवा के साथ प्रत्येक आगन्तुक के लिए समर्पण भाव से अन्न क्षेत्र संचालित कर भोजन व आवास व्यवस्था सुलभ कराने के लिए संकल्प बद्ध समर्पित है। प्रत्येक कुम्भ मेले में संचालित होने वाले मीरा मेवाड़ खालसे में अनवरत धार्मिक अनुष्ठान जैसे अखण्ड कीर्त्तन, रामायण पाठ, भागवत कथा, सन्तों के प्रवचन, राम लीला, रास लीला, यज्ञ हवन आदि गतिविधियां सतत जारी हैं। विगत पच्चीस वर्षों से सतत सेवा में समर्पित मीरा मेवाड खालसा आज सन्त समाज में अपना विशिष्ट स्थान बना चुका है। उल्लेखनीय है कि मेवास क्षेत्र में कुम्भ मेलों को लेकर सर्वथा अनभिज्ञता थी।यह मान्यता थी कि कुम्भ मेले केवल सन्तों के लिए ही लगते हैं।लेकिन महाराज श्री द्वारा खालसा स्थापित किए जाने के बाद लोगों को कुम्भ पर्वो का महत्व समझ में आया।
महंत श्री द्वारा हजारों की तादाद में मन्दिरों का जीर्णोद्धार
इसी प्रकार मेवाड क्षेत्र में स्वामी रामानन्द सम्प्रदाय के प्रवर्तक आद्यगुरु स्वामी श्रीरामा नन्दाचार्यजी महाराज के बारे में भी किसी प्रकार की जानकारी सुलभ नहीं थी।यहां तक कि अधिकांश सन्त समाज भी इस उत्सव को लेकर सुषुप्त ही थे। लेकिन आप श्री द्वारा प्रतिवर्ष माघ कृष्णा सप्तमी को आने वाली श्रीरामानन्दाचार्य जयन्ती को विशेष उत्सव के रूप में मनाये जाने का प्रचलन प्रारम्भ किया गया।उसके बाद ही इन महाभाग के बारे में भी जन जाग्रती देखने को मिली।महाराज श्री द्वारा हजारों की तादाद में मन्दिरों का जीर्णोद्धार,नवीन निर्माण, प्रतिमा स्थापन, यज्ञ, भण्डारों आदि के आयोजन कर सनातन धर्म ध्वजा को सदैव ऊंचाईयों पर पहुंचाने का कार्य किया गया जो आज भी अनवरत जारी है।
महाकुंभ में दायित्वों के निर्वहन के लिए कमेटियों का गठन
आगामी 14 जनवरी 2025 से प्रयागराज उत्तर प्रदेश में प्रारम्भ होने वाले कुम्भ महोत्सव की पूर्व तैयारियों को लेकर मन्दिर परिसर में खालसे के अधिकारीजी महन्त श्री राम सागर दासजी महाराज (नृसिंह मन्दिर हमीरगढ़) के सानिध्य में सांवलिया धाम आश्रम ट्रस्ट एवं स्थानीय प्रबुद्धजनों की बैठक सम्पन्न हुई।जिसमें सर्वप्रथम खालसे के मन्त्री महन्त श्री महेश दासजी महाराज (नृसिंह मन्दिर माझावास) के साकेतवास हो जाने पर दो मिनिट मौन रह कर श्रद्धांजली समर्पित की गई। आश्रम के उत्तराधिकारी सन्त श्री अनुज दासजी महाराज एवं सन्त श्री राम पालजी महाराज ने बैठक के प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में अवगत कराया तथा बैठक में खालसा लगाये जाने को लेकर आवश्यक व्यवस्थाओं एवं वांछित सुविधाओं के प्रबन्धन के बारे विचार विमर्श किया।बैठक में विभिन्न दायित्वों के निर्वहन के लिए पृथक् पृथक् कमेटियों का निर्माण किये जाने तथा एक महीने तक प्रयागराज में चलने वाले विभिन्न पर्वों को हर्षोल्लास से मनाये जाने के बारे में चर्चा की गई। श्रीरामानन्दाचार्य जयन्ती भी कुम्भ पर्व के दौरान 21 जनवरी 2025 ई. को आ रही हैं।अतः इसे भव्यता प्रदान करने हेतु योजना पर विचार किया गया।सन्त श्री अनुजदासजी महाराज ने आश्रम परिसर में संचालित 'चेतन वेदगुरुकुलम् की गतिविधियों के बारे में भी जानकारी दी। उल्लेखनीय है कि यहां संचालित गुरुकुल में वर्त्तमान में लगभग 20 विद्यार्थी वेद की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। आगामी सत्र में संख्या वृद्धि के साथ ही संचालन व्यवस्था में अपेक्षित वांछित सुधार किए जाने की योजना है। क्षेत्र के सभी प्रबुद्धजनों का सहयोग बना रहा तो मुंगाणा धाम को आध्यात्मिक नगरी का स्वरूप प्रदान प्राप्त करने में कोई समय नहीं लगेगा।बैठक में नगर के प्रबुद्धजनों ने सारी व्यवस्थाओं को सुचारु रूप से निर्विघ्न सम्पन्न कराने के लिए अपने अपने सुझाव दिये। सारी व्यवस्थाओं में तन मन से समर्पण भाव से अपनी भागीदारी निभाने हेतु आश्वान्वित करते हुए महन्त श्री राम सागर दासजी महाराज के आशीर्वाद स्वरूप उद्बोधन के साथ बैठक सम्पन्न हुई।