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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। महाराणा प्रताप राजकीय पी जी महाविद्यालय में मंगलवार को 'संधारणीय विकास ' थीम पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की जानकारी साझा करते हुए समन्वयक एवं आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ की निदेशक प्रो. पूनम शैरी ने कहा कि उक्त कार्यक्रम का आयोजन पी जी महाविद्यालय एवं नैशनल एजुट्रस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में किया गया जिसमें उत्तर भारत के विभिन्न उच्चतर शिक्षा संस्थानों के प्रतिभागियों ने सहभागिता की, 14 शोधार्थियों ने अपने शोध पत्रों का ऑनलाइन वाचन किया।
उक्त कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. हेमेंद्र नाथ व्यास व नेशनल एजुट्रस्ट ऑफ इंडिया के कार्यकारी अधिकारी समर्थ शर्मा ने संयुक्त रूप से की। इस मौके पर बोलते हुए प्राचार्य प्रो. व्यास ने संधारणीय भविष्य की कल्पना को विस्तारपूर्वक उल्लिखित किया। साथ ही नगरीय विकास की अवधारणा में पर्यावरणीय संतुलन को दृष्टिगत रखते हुए बदलाव लाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता मीरा कन्या महाविद्यालय उदयपुर के प्राणीशास्त्र विभाग के प्रो सुनील दत्त शुक्ला ने अपने उद्भोधन में बताया की सतत संधारणीय विकास महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और समाज की जरूरतों को संतुलित करने में मदद करता है, संधारणीय विकास यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों से समझौता किए बिना वर्तमान पीढ़ी की जरूरतें पूरी हों। इस अवसर पर संगोष्ठी की एब्सट्रैक्ट पुस्तक का भी विमोचन किया गया। कार्यक्रम के तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रो. दुर्गेश शर्मा तथा सह अध्यक्षता प्रो. अरुण चौधरी ने की, सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र वाचन का पारितोषिक खालसा कॉलेज की कनिका शर्मा ने प्राप्त किया। संगोष्ठी के अंत में समन्वयक प्रो पूनम शैरी ने आयोजन सचिव प्रो संदीप शर्मा तथा प्रो भारती वीरवाल, रिपोर्टी प्रो बालकृष्ण लढढा, संचालक डॉ संजू बलोत, डॉ कंचन वर्मा सहित पूरी टीम के प्रति आभार व्यक्त किया।