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सीधा सवाल। चिकारड़ा। यूरिया खाद की किल्लत ने एक बार किसानों को फिर से रुलाने का काम किया है। जहां देखो जिस शहर गांव में देखो किसान यूरिया के लिए भट्कता दिखाई दिया। किसान उदयलाल ने बताया कि फसलों की बुवाई के बाद जब यूरिया की जरूरत पड़ती है तब तब यूरिया की किल्लत सामने आती है। उड़िया को लेकर किसानों को पता चलना चाहिए कि यूरिया कहां मिल रहा है उसके लिए 50-50 किलोमीटर तक दौड़ पड़ता है। किसान रामचंद्र ने बताया कि यूरीया को लेकर दुकानदार यूरिया के साथ सप्लीमेंट लेने को बाध्य करता है। तो कई दुकानदार किसानों के सप्लीमेंट नहीं लेने से खाद का ऑर्डर भी नहीं दे पा रहे है । खाद की कमी से किसानों को दो-दो हाथ करने पड़ रहे हैं। चिकारड़ा क्षेत्र में लंबे समय से खाद की कमी के चलते किसान वर्ग परेशान है। डूंगला उपखंड में यदा कदा एक दो ट्रक खाद आने से ऊंट के मुंह में जीरे वाली कहावत चरितार्थ होती दिखाई दी। हालांकि जिसको मिला वह किसान खुश दिखा तो जिसको नहीं मिला वह मायूस होकर घर लौटा। पीक सीजन के चलते गेहूं के साथ अन्य फसलों में भी खाद लगाना किसानों की मजबूरी बन गई। चिकारड़ा या आसपास के किसान एक कट्टा चित्तौड़ निंबाहेड़ा से लाने पर मजबूर है। कहते हैं कि मरता क्या नहीं करता। खाद को लेकर किसान वर्ग एक दूसरे के संपर्क में आकर खाद के लिए पहुंच रहे हैं।बात करें डूंगला उपखंड की तो बड़वाई सेमलिया डूंगला मैं पिछले दिनों में लगभग कई स्थानों पर खाद की उपलब्धता रही है। लेकिन चिकारड़ा में खाद की उपलब्धता नहीं होने के कारण किसानों को दूर-दूर से लाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। वहीं बात करें तो किसान वर्ग भी यूरिया की आवश्यकता नहीं होने पर भी खरीद लेता है । और आवश्यकता होने पर एक दूसरे को ऊंचे दामों पर बेच देता है। ऐसी स्थिति के चलते भी यूरिया की खपत के मुकाबले मार्केटिंग ज्यादा होती दिखाई दी। डबल एओ मुकेश मेहता द्वारा बताया गया कि खाद की उपलब्धता निरंतर बनी हुई है। पिछले एक सप्ताह में बड़वाई सहकारी समिति सेमलिया डूंगला मंगलवाड़ मैं खाद की उपलब्धता बनी रही।