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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। पर्याप्त जल भराव होने के बावजूद घोसुण्डा डेम से सिंचाई हेतु न्यूनतम जल बहाव नहीं बनाये रखने से प्रभावित आस पास के क्षेत्रवासियों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर उचित कार्यवाही की मांग की। दिये गये ज्ञापन में बताया कि बेड़च नदी पर बने घोसुण्डा डेम की भराव क्षमता 2600 एमएफटी है तथा समय समय पर बांध की भराव क्षमता के अनुसार पानी के आवंटन/ बंटवाड़े के संबंध में सरकारी आदेश/निर्देश जारी किये हुए हैं। वर्ष 1993 में इस बाबत् एक समझौता भी हुआ था। वर्तमान में बांध 2200 एमएफटी क्षमता तक भरा हुआ है तथा आदेशों के अनुरूप बांध में 1500 एफएफटी पानी निजी औद्योगिक और निर्धारित विभागों के अतिरिक्त पानी का सिंचाई, पेयजल व पशुओं के उपयोग में लेने का प्रावधान है। इसके विपरीत सम्पूर्ण पानी को हिन्दुस्तान जिंक द्वारा रोका हुआ है।
अभी पानी को रोके रखने से घोसुण्डा, मिश्रों की पिपली, धनेतकलां, परलिया, हापावास, घाघसा, देवरी, ठुकरावा, लालजी का खेड़ा गांव प्रभावित हो रहे हैं। पूरा पानी रोका हुआ है जिससे एनिकट खाली पड़े हुए है तथा कुँए, ट्यूबवेल का स्तर गिरा रहा है। दिसम्बर माह में ही जल स्तर खत्म हो गया और पशुओं के पीने के लिए भी पानी भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तो जनवरी-फरवरी में तो हाहाकार मच जायेगा। खेतों की नमी चली गई।
ज्ञापन में बताया गया कि राष्ट्रीय जल नीति के अनुसार भी कहीं पर भी न्यूनतम बहाव को रोके जाने का कोई प्रावधान भी नहीं है तो ऐसे में अपनी निर्धारित अथवा बंधी हुई क्षमता से अधिक भरे हुए बांध का पानी कैसे रोका जा सकता है। समस्त ग्रामवासियों ने उत्पन्न हो रही पेयजल की गंभीर समस्या सहित कईं समस्याओं से अवगत कराते हुए पानी का बहाव जारी किये जाने की मांग की।