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संस्था प्रधान को मामला सामने आने को लेकर जारी किया नोटिस

सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। जिला मुख्यालय के समीप स्थित महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय गिलुंड में गत 5 सितंबर को पोषाहार में मरा हुआ मेंढक मिलने के मामले में विभाग की रिपोर्ट में जहां किसी को दोषी नहीं माना गया वही इस घटना की जानकारी सामने आने पर संस्था प्रधान को कारण बताओं नोटिस जारी किया गया है जिसमें उनसे इस बात का जवाब मांगा गया है कि यह जानकारी सोशल मीडिया पर किस प्रकार आई जबकि संस्था प्रधान ने जिम्मेदारी से काम करते हुए अपने विद्यालय में कक्षा 1 से 5 के स्कूली बच्चों को वितरित किया जाने वाले पोषाहार में मेंढक मिलने की जानकारी देने के बाद अपने क्षेत्र के अन्य संस्था प्रधानों को सूचित करते हुए लगभग 300 बच्चों को यह दूषित भोजन करने से बचाने का काम किया। लेकिन अक्षय पात्र फाउंडेशन द्वारा निर्मित इस पोषाहार में मेंढक मिलने के मामले में शिक्षा विभाग की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद साफ हो गया कि इसका दोषी कोई नहीं है। लेकिन यह पूरा प्रकरण सोशल मीडिया और मीडिया में आने को लेकर अब संस्था प्रधान से जवाब मांगा जा रहा है। इधर इसे लेकर शिक्षक संगठनों के पदाधिकारीयो ने भी इसे गलत बताया है और नोटिस दिए जाने की कार्यवाही को शिक्षकों का मनोबल तोड़ने वाली घटना करार दिया है।

यह है मामला और यह मिली रिपोर्ट

राजकीय महात्मा गांधी विद्यालय गिलूंड में शिक्षक दिवस के दिन पोषाहार वितरण करने के समय मरा हुआ मेंढक खिचड़ी में दिखाई दिया। इसके बाद पोषाहार का वितरण रूकवाते हुए संबंधित संस्था प्रधान ने अन्य विद्यालयों को इस बारे में सूचित करते हुए पोषाहार वितरण रुकवाने काम किया इसके बाद विभाग की टीम ने अगले दिन सुबह इस प्रकरण की जांच की जिसमें विभाग द्वारा बताया गया कि अक्षय पात्र फाउंडेशन के सारे इंतजाम अति उत्कृष्ट हैं और यह मेंढक भोजन उतारने के दौरान बर्तन खोलते समय गिरने की संभावना जताई गई। लेकिन विभाग की रिपोर्ट पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि इस पूरी जांच में ना तो दूषित भोजन का कोई सैंपल लिया गया ना ही भोजन निर्माण के स्थान पर फूड इंस्पेक्टर को बुलाते हुए किसी प्रकार की कोई जांच या कार्यवाही अमल में लाई गई। केवल जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा राजेंद्र शर्मा ने इस मामले में अक्षय पत्र के किचन में पहुंचकर गुणवत्ता जांच उत्कृष्ट होने की निरीक्षण रिपोर्ट जारी कर दी। ऐसी स्थिति में जहां खुले भोजन का हवाला देते हुए मेंढक गिरने की बात जांच रिपोर्ट में कहीं जा रही है तो इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा की कोई विषैला पदार्थ भी भोजन में गिर सकता है लेकिन विभाग ने अपने स्तर पर सारी घर में पूरी करते हुए प्रकरण में किसी को दोषी नहीं माना है।

इसलिए दिया संस्था प्रधान को नोटिस

महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय के संस्था प्रधान के नाम मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से एक नोटिस जारी किया गया इसमें बताया गया कि इस प्रकरण के फोटो और समाचार सोशल मीडिया पर प्रसारित हो गए जबकि उच्च अधिकारियों को सूचना नहीं दी गई। वहीं इसके विपरीत जिले के उच्च अधिकारियों ने जानकारी सामने आने पर प्रकरण की जानकारी होने को स्वीकार करते हुए अपना बयान जारी किया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा राजेंद्र शर्मा पूरे जिले में पोषाहार वितरण कार्यक्रम के नोडल प्रभारी है जिन्होंने अधिकृत रूप से बयान जारी करते हुए मामले में कार्रवाई की बात कही थी। और उन्होंने ही बाद में मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को दूरभाष पर नोटिस जारी करने के लिए निर्देशित किया जिसका उल्लेख नोटिस में किया गया है। पूरे मामले में बड़ी बात यह है कि महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय गिलुंड में पोषाहार में मेंढक मिलने के बाद संस्था प्रधान ने अन्य विद्यालयों में पोषाहार का वितरण रुकवाने का काम करते हुए बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए त्वरित कार्रवाई की थी। इसलिए जब इस मामले में कोई दोषी नहीं पाया गया तो संस्था प्रधान को नोटिस दिया जाना किसी के भी गले नहीं उतर रहा है।

शिक्षक या "शक्तिमान"

इस पूरे नोटिस शिक्षकों की असीमित शक्ति का अंदाजा भी लगाया जा सकता है क्योंकि इस नोटिस में संस्था प्रधान से 6 सितंबर सुबह 11 बजे तक स्पष्टीकरण मांगा गया है जबकि इसी प्रकरण में जिला स्तरीय जांच टीम के सुबह विद्यालय में इसी समय पहुंचने की सूचना भी अन्य कार्यालय द्वारा दी गई है। एसएमएस स्पष्ट है कि शिक्षक शक्तिमान है जो पहले तो अपनी उंगली ऊपर उठकर गोल-गोल घूम कर जांच टीम के साथ जांच करेगा और उसी के बाद उसी तेजी से घूमते हुए कार्यालय को नोटिस का जवाब भी प्रेषित करेगा। इसे लेकर पूरे विभाग में चर्चा आएगी शिक्षक शक्तिमान है जो छुटकी बताते ही सारे काम कर सकते हैं वहीं इसके पीछे अन्य कारण यह भी बताया जा रहा है कि विभाग को कोई दोषी नहीं मिला क्योंकि ना तो जिम्मेदार अपनी जांच में किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी पकड़ पाए और ना ही किसी को अपनी रिपोर्ट में उन्होंने इसके लिए दोषी माना है ऐसे में विभाग की प्रतिष्ठा का हवाला देकर जांच से जुड़े लोग अपनी इज्जत बचाने का काम कर रहे हैं।


इनका कहना

शिक्षक संघ राष्ट्रीय के जिला मंत्री राम लक्ष्मण त्रिपाठी ने इस मामले में बताया कि संस्था प्रधान को नोटिस दिया जाना अप्रासंगिक है। यह शिक्षकों के मनोबल को गिराने वाला काम है।


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