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देश-दुनिया के इतिहास में 24 अप्रैल की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। इस तारीख का महत्व भारत की गोरखा रेजिमेंट से भी है। अपनी बहादुरी के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध गोरखा 24 अप्रैल, 1815 को ईस्ट इंडिया कंपनी से जुड़े थे। ब्रिटिश सरकार ने कुछ समय बाद गोरखा योद्धाओं की अलग रेजिमेंट बनाई और आजादी के बाद गोरखा भारतीय सेना का हिस्सा बनें। भारतीय सेना के फील्ड मार्शल जनरल मानेकशॉ कहा करते थे- “अगर कोई व्यक्ति कहता है कि उसे मौत से डर नहीं लगता, तो वह या तो झूठ बोल रहा है या फिर गोरखा है।” दरअसल बात 1814 की है। भारत अंग्रेजों के कब्जे में था। अंग्रेज चाहते थे कि नेपाल पर भी उनका कब्जा हो जाए। इसलिए अंग्रेजों ने नेपाल पर हमला कर दिया। करीब डेढ़-दो साल युद्ध चलता रहा। आखिरकार सुगौली की संधि हुई और युद्ध थमा। पूरे युद्ध में ब्रिटिश जनरल डेविड ओक्टलोनी गोरखा सैनिकों की बहादुरी से खासे प्रभावित हुए। उन्होंने सोचा कि इतने बहादुर सैनिकों को क्यों न ब्रिटिश सेना में भर्ती किया जाए? नेपाल से समझौते के बाद 24 अप्रैल, 1815 को नई रेजिमेंट बनाई गई जिसमें गोरखाओं को भर्ती किया गया। इसके बाद से गोरखा ब्रिटिश सेना में भर्ती होते रहे।
साल 1947 में भारत ब्रिटिश हुकूमत से आजाद हुआ। आजादी के वक्त तक ब्रिटिश सेना में 10 गोरखा रेजिमेंट थी। अंग्रेजों ने फैसला किया कि 10 में 6 रेजिमेंट भारत को दे दी जाएंगी और बाकी चार अंग्रेज अपने साथ ले जाएंगे। उन चार रेजिमेंट के गोरखाओं ने अंग्रेजों के साथ जाने से इनकार कर दिया। भारत ने 11वीं रेजिमेंट बनाई। 1950 में भारत गणराज्य बना तब इसका नाम गोरखा राइफल्स रखा गया। भारत, नेपाल और अंग्रेजों के बीच एक समझौता हुआ। उसके मुताबिक भारत की सेना में गोरखाओं की भर्ती होती रहेगी।
भारत के लिए गोरखा जवानों ने पाकिस्तान और चीन के खिलाफ हुई सभी लड़ाइयों में शत्रु को अपनी बहादुरी का लोहा मनवाया। गोरखा रेजिमेंट को इन युद्धों में कई परमवीर चक्र तथा महावीर चक्र मिले। गोरखा सैनिकों ने भारतीय शांति सेना के रूप में भी विभिन्न देशों में अपनी बहादुरी का परिचय दिया। इस रेजिमेंट का आदर्श वाक्य है “कायर हुनु भन्दा मर्नु राम्रो” यानी "कायर होने से मरना बेहतर है"। हालांकि, नेपाल से आने वाले सभी नेपाली बोलने वाले जवानों को गोरखा नहीं माना जाता। गोरखा वे हैं जो लिम्बू, थापा, मगर्स आदि जातियों से संबंध रखते हैं। इन सभी गोरखा जातियों की अपनी बोलियां हैं।
महत्वपूर्ण घटनाचक्र
1877: रूस ने ओटोमन साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई की घोषणा की।
1898: स्पेन ने अमेरिका के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।
1920: पोलैंड की सेना ने यूक्रेन पर हमला किया।
1926: बर्लिन संधि पर हस्ताक्षर।
1954: ब्रिटिश सरकार ने कीनिया के विद्रोहियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आदेश दिया।
1954: आस्ट्रेलिया और सोवियत संघ ने राजनयिक संबंध समाप्त किए।
1960: दक्षिण पर्सिया में भूकंप। 500 लोगों की मौत।
1962: एमआईटी ने पहली बार सेटेलाइट से टीवी सिग्नल भेजा।
1967: सोवियत संघ के अंतरिक्ष यात्री व्लादिमीर कोमारोव अंतरिक्ष अभियान के दौरान दम तोड़ने वाले पहले व्यक्ति।
1970: चीन का पहला उपग्रह डांग फांग हांग लॉन्च।
1982ः पंद्रह वर्ष के इजरायली आधिपत्य के बाद सिनाई प्राय:द्वीप क्षेत्र मिस्र को वापस।
1998ः क्लोन भेड़ डोली ने स्वस्थ मेमने बॉनी को जन्म दिया।
2002ः अर्जेन्टीना में बैंक अनिश्चितकाल के लिए बंद।
2003ः तमिल विद्रोहियों का थाइलैंड वार्ता में हिस्सा लेने से इनकार।
2006ः नेपाल में संसद बहाल।
2007ः हमास ने इजरायल पर हमला कर युद्धविराम को तोड़ा।
2008ः माओवादी नेता पुष्पकमल दहल उर्फ प्रचंड ने भारत-नेपाल के मध्य 1950 में हुई संधि को समाप्त करने की घोषणा की।
2013: बांग्लादेश की राजधानी ढाका में इमारत गिरने से सैकड़ों लोगों की मौत।
जन्म
1888ः असम के पूर्व मुख्यमंत्री विष्णु राम मेधी।
1908ः भारतीय अधिवक्ता और पत्रकार वायलेट अल्वा।
1909ः राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री टीका राम पालीवाल।
1928ः प्रसिद्ध कन्नड़ अभिनेता राजकुमार।
1940ः मिजोरम के पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी।
1945ः अमेरिकी कम्प्यूटर वैज्ञानिक लैरी टेस्लर।
1956ः छत्तीसगढ़ की 'पंडवानी' गायिका तीजनबाई।
1973ः गोवा के मौजूदा मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत।
1973ः भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर ।
निधन
1942ः मराठी रंगमंच के प्रसिद्ध अभिनेता दीनानाथ मंगेशकर।
1944ः समाचार पत्र दैनिक आज के संस्थापक शिवप्रसाद गुप्त।
1960ः प्रसिद्ध लेखक अन्ना साहब भोपटकर।
1972ः भारत के प्रसिद्ध चित्रकार जामिनी रॉय।
1974ः हिंदी के प्रखर कवि रामधारी सिंह 'दिनकर'।
2009ः यशस्वी कवि और ओजस्वी वक्ता महात्मा रामचन्द्र वीर।
दिवस
-मानव एकता दिवस
-रामधारी सिंह 'दिनकर' की पुण्यतिथि