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दो सप्ताह से नहीं खुला भंवरमाता मंदिर का ताला, खराब होने लगी मां को चढ़ाई गई श्रद्धा
सीधा सवाल। छोटीसादड़ी। शिक्षकों की कमी को लेकर स्कूल की तालाबंदी विभिन्न मांगों को लेकर कॉलेज में तालाबंदी विद्युत कटौती को लेकर जीएसएस पर तालाबंदी आए दिन सामने आने वाली जानकारी है। लेकिन प्रतापगढ़ जिले के छोटीसादड़ी उपखंड मुख्यालय पर पिछले दो सप्ताह से सब की समस्याओं के ताले खोलकर खुशियों की ओर ले जाने वाली मां जगत जननी के प्रसिद्ध शक्तिपीठ भंवर माता मंदिर की तालाबंदी की गई है। इस तालेबंदी को खुलवाने के लिए प्रशासन कोई प्रयास नही कर रहा है। पिछले एक पखवाड़े पूर्व ट्रस्ट और पुजारी के बीच हुए न्यायालय में चल रहे विवाद के चलते इस मंदिर के मुख्य द्वार और गर्भ गृह पर ताला लगा दिया गया था जो अब तक नहीं खोला गया है। श्रद्धा स्वरूप मां को अर्पित किए जाने वाले पुष्प अब खराब होने लगे हैं। इनमें कीड़े पड़ने लगे हैं। लेकिन मानो मां की श्रद्धा और आस्था से किसी को कोई लेना-देना नहीं है। ना तो प्रशासन इस मंदिर के दरवाजे खुलवाने का कोई प्रयास कर रहा है और ना ही ट्रस्ट नई व्यवस्था कर इस मंदिर को भक्तों के लिए खोलने की दिशा में सार्थक पहल कर रहा है। इसका नतीजा यह हो रहा है कि यहां आने वाले श्रद्धालु माता के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं।
ना तो हुआ श्रृंगार ना हुई कोई व्यवस्था
उल्लेखनीय है कि समय-समय पर माता के मंदिर में विराजमान माता की मूर्ति पर श्रृंगार किया जाता है। साथ ही श्रद्धालु यहां माता को विशेष तौर पर केवड़े का पुष्प अर्पित करते हैं। यह मानता है कि केवड़े का पुष्प अर्पित करने पर मां का आशीर्वाद मिलता है। ऐसे में जो पुष्प अर्पित किए गए हैं वह पुष्प खराब होने लगे है और उनमें कीड़े पड़ने लगे हैं। लेकिन ना तो माता का श्रृंगार हो पा रहा है और ना ही श्रद्धालु अपने श्रद्धा मां को अर्पित कर पा रहे हैं। ऐसी परिस्थितियों में मां के द्वार पर आने वाले श्रद्धालुओं को बैरंग लौटना पड़ रहा है और यहां आने वाले श्रद्धालु माता के दर्शन के बजाय ताले का दर्शन कर कर लौट रहे हैं।
आपसी खींचतान में हुई तालेबंदी
भंवर माता मंदिर ट्रस्ट और पुजारी के बीच न्यायालय में विवाद चल रहा है। हाल ही में हरियाली अमावस्या से पूर्व ट्रस्ट ने मुख्य मंदिर पर ताला जड़ दिया। अब पक्षो के बीच चल रही कानूनी लड़ाई का खामीयाजा यहां आने वाले श्रद्धालुओं को भुगतना पड़ रहा है। लेकिन जिम्मेदार इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
धर्म और प्रकृति का अंगूठा संगम है भंवरमाता मंदिर
ऐसा नहीं है कि छोटीसादड़ी क्षेत्र में बने इस मंदिर में केवल यही के श्रद्धालु आते हैं बल्कि यह एक पर्यटक स्थल के रूप में भी अपनी पहचान रखता है। इस मंदिर के पास एक जलप्रपात स्थित है, जो इस स्थान को धार्मिक होने के साथ-साथ पर्यटन स्थल भी बनता है। मुख्य मंदिर में त्रिमूर्ति रूप में मां विराजमान है। प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक आस्था का अनूठा संगम इस मंदिर के अतिरिक्त आसपास में कहीं देखने को नहीं मिलता है। 70 फीट ऊंचाई से गिरने वाला जलप्रपात जहां लोगों का मन मोह लेता है। वही यहां बना पवित्र कुंड लोगों को आत्मिक और मानसिक शांति देता है। लेकिन मंदिर ट्रस्ट और पुजारी में चल रही वर्चस्व की कानूनी जंग लोगों की आस्था पर भारी पड़ रही है।
प्रशासन ने भी नहीं की कोई पहल
पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण और धार्मिक दृष्टि से अति विशिष्ट भंवर माता मंदिर में की गई तालाबंदी श्रद्धालुओं पर भले ही भारी पड़ रही हो। लेकिन इससे प्रशासन को भी कोई लेना-देना नहीं है। लगभग एक पखवाड़ा पूरा होने के बावजूद अब तक इस मंदिर के दरवाजों को खुलवाने और इस मंदिर पर वर्चस्व की लड़ाई में की गई तालेबंदी को खोलने की कोई सार्थक पहल प्रशासन द्वारा भी नहीं की गई है। ऐसी स्थिति में जहां श्रद्धालु बैरंग लौट रहे हैं। वहां प्रशासन द्वारा भी कोई पहल नहीं किया जाना मामले को और गंभीर बना रहा है।
सरकार ने कर रखी है स्थाई व्यवस्था
ऐसा नहीं है कि सरकार को ऐसी परिस्थितियों की जानकारी नहीं हो इससे निपटने के लिए महामहिम राज्यपाल के आदेश से एक स्थाई परिपत्र जारी किया गया है जिसके अनुसार उपखंड अधिकारी को अध्यक्ष, तहसीलदार को उपाध्यक्ष, पंचायत समिति विकास अधिकारी और संबंधित थाने के अधिकारी को सदस्य और देवस्थान विभाग के एक अधिकारी को समन्वयक बनाते हुए स्थाई कमेटी बनाई गई है, जो मंदिर से संबंधित भूमि की देखभाल मंदिरों के व्यवस्थाओं को देखने का काम करेगी। समस्त अराजकीय मंदिरों के लिए यह आदेश महामहिम राज्यपाल की आज्ञा से निकाला गया है। लेकिन इसके बावजूद सारे जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साथ कर बैठे हुए हैं।