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सीधा सवाल। बड़ीसादड़ी। कृषि विज्ञान केन्द्र चितौड़गढ़ जनजाति उपयोजना के तहत जागरुकता प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत एक दिवसीय वर्मी कंपोस्ट उत्पादन तकनीकी पर प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें जनजाति क्षेत्र बड़ीसादड़ी उपखंड क्षेत्र के निकटवर्ती किट खेड़ा रति चंद जी का खेड़ा सबलपुरा गुदलपुर रघुनाथपुरा आदि गांवों से 50 कृषक महिलाओं ने भाग लिया। प्रशिक्षण में डॉ रतनलाल सोलंकी प्रोफेसर वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष ने केंद्र की विभिन्न गतिविधियों एवं जैविक खेती के उद्देश्य एवं महत्व पर प्रकाश डाला गया। जैविक खेती में उपयोग की जाने वाली जैविक कार्बनिक खादों जैसे कम्पोस्ट वर्मी कंपोस्ट वर्मी वाशा डी कम्पोज़र बीजामृत एवं पंचगव्य आदि को तैयार करने की विधि एवं इनके प्रयोग करने का तरीका बताया। साथ ही केविके की प्रदर्शनी इकाई वर्मीकंपोस्ट इकाई में जैविक खाद वर्मी कंपोस्ट एवं वर्मी वाश बनाने की प्रायोगिक जानकारी से अवगत कराया। ताकि जनजाति कृषक जैविक खाद वर्मी कंपोस्ट घरेलू स्तर पर ही तैयार कर सकें रतनलाल सोलंकी ने किसानों को जैविक खेती एवं प्राकृतिक खेती की उपयोगिता के बारे में बताया। साथ ही केविके के द्वारा खेती को प्रोत्साहित करने केलिए केंचुआ खाद बनाने हेतु किसानों को वर्मी कल्चर उपलब्ध करा रहें हैं। केंद्र के शंकर लाल नाई सहायक कृषि अधिकारी सेवानिवृत्ति ने रबी की फसलों में खरपतवार नियंत्रण एवं पोषण प्रबंधन पर तकनीकी जानकारी दी एवं केंद्र पर स्थापित संजीव इकाइयों प्रदर्शन का भ्रमण करवाया। अन्त में रमेश चंद्र माली सेवानिवृत्त अनुभाग अधिकारी ने प्रशिक्षण में पधारे जनजाति क्षेत्र के कृषक एवं कृषक महिलाओं का धन्यवाद ज्ञापित किया।