views
जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका पर भी उठ रहे सवाल

सुभाष चंद्र बैरागी
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। सहकारिता के जरिए किसानों के उत्थान के लिए प्रतापगढ़ और चित्तौड़गढ़ में संचालित प्रतापगढ़ दुग्ध उत्पादक संघ का उपक्रम चित्तौड़गढ़ डेयरी भ्रष्टाचार का नया ठिकाना प्रतीत होने लगा है। ठेकेदारों द्वारा लिए जाने वाले दूध सप्लाई के ठेके में नहीं खुलासे सामने आ रहे हैं। वही डेयरी में वितरण व्यवस्था की जिम्मेदारी उठा रहे जिम्मेदार अब उनकी कार्यशैली को लेकर सवालों के घेरे में है। हालत यह है कि डेयरी में कागज खर्च नहीं हो इसलिए सब कुछ मौखिक चलाया जा रहा है। डीजल बचाने के लिए दो गाड़ियों का दूध एक में भरना, अनुबंध की नई गाड़ियों के स्थान पर पुरानी गाड़ियां लगाकर टेंडर शर्तों का उल्लंघन करना जैसे कई मामले हैं। जिनमे ठेकेदार फर्म नाम भले ही अलग-अलग हो लेकिन कार्य शैली सबकी एक जैसी है जिसका सीधा सा उद्देश्य घपला घोटाला और अपना फायदा कमाना है। मामला सामने आने के बाद जांच की बात कही जा रही है लेकिन जांच इस बात की जरूरी है कि इन ठेकेदारों के इस फायदे में किसानों के हित रक्षक देरी से जुड़े अधिकारी और ठेकेदारों सबने मिलकर किसानो के इस संघ को कितना चूना लगाया है और कितना फायदा उठाया है। नए मामले में बीते 4 सालों से ठेकेदार द्वारा बिना अनुबंध के आधार पर उसको दिए गए ठेके को संचालित करने के लिए दूसरे वाहन में दूध भरना और तय बिंदु के स्थान पर हाईवे और अलग स्थान पर सप्लाई देकर गड़बड़ी करना सामने आया है।
नाम अलग-अलग काम एक 'घपला'
चित्तौड़गढ़ डेयरी में सप्लाई के लिए कवि शंकर आचार्य, पूजा आचार्य, राजेश ककड़ा, ओम प्रकाश जाट, अशोक उपाध्याय, सांवरमल जाट, मुरली स्टोर के नाम से चित्तौड़गढ़ प्रतापगढ़ जिले के साथ-साथ मध्य प्रदेश में दूध सप्लाई के ठेके दिए गए हैं। कहने के लिए अलग-अलग फर्म है लेकिन कार्य प्रणाली सबकी एक जैसी है। अनुबंध में पंजीकृत वाहन के स्थान पर दूसरे वाहन लगाना, डीजल बचाने के लिए दो गाड़ियों का माल एक में भेजना, तय समय अवधि के नए वाहनों के स्थान पर पुराने वाहन लगाना सभी ठेकेदारों की कार्यप्रणाली में शामिल है। हालत यह है कि लंबे समय से अधिकारी कोई भी आए या अध्यक्ष कोई भी बने इनका एक अधिकार बना हुआ है। नए वाहनों के लिए कम दर पर ठेके लेना और पुराने वाहन चलाना मनमर्जी कर चांदी कूटना इनका पुराना धंधा है। नियमों की पालना नहीं करने पर इन पर कार्यवाही करने का प्रावधान है लेकिन जब कार्रवाई करने वाले ही इनको बचाने की कवायद में जुटे हुए हैं तो इस बेईमानी पर ईमानदारी से नियमानुसार कार्रवाई होने की सोचना भी बहुत बड़ी बेईमानी होगा। जानकारी में यह भी सामने आया है कि न केवल वितरण अपितु दूध के संकलन के ठेके भी कवि शंकर आचार्य और सांवरलाल जाट को दिए गए हैं। ऐसे में लगातार दूध की गुणवत्ता को लेकर बूथ संचालकों की शिकायत पर कार्रवाई नहीं होना भी एक बड़ी मिली भगत की ओर इशारा कर रहा है क्योंकि सूत्रों की माने तो दूध खराब होने की स्थिति में संबंधित सप्लायर जो दूध इकट्ठा करता है उसका नुकसान होता है। ऐसे में यह भी एक बड़ी जांच का विषय है कि आखिर दूध खराब होने को लेकर किस प्रकार की कार्रवाई की गई है।
खबर पर गंभीर प्रबंधक, जांच का दावा
सीधा सवाल समाचार पत्र में खबर प्रकाशन होने के बाद डेयरी प्रबंधक प्रमोद चारण ने मामले को गंभीरता से लिया है। इस मामले में उन्होंने पूरी जांच और ठोस कार्रवाई की बात कही है।
पूरे कुएं में भांग कैसे होगी जांच
चित्तौड़गढ़ में जिस तरह की स्थिति सामने आ रही है उससे लगने लगा है कि राजनीतिक मिली भगत के बिना इतना बड़ा खेल संभव नहीं है। और इस मामले में चित्तौड़गढ़ के डेयरी के कार्मिकों और अधिकारियों की टीम बनाकर जांच की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि संघ के पास स्थाई कर्मचारी नहीं है और जो कर्मचारी काम कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश राजनीतिक जुगाड़ से सेवा दे रहे हैं ऐसी स्थिति में यह जांच किस प्रकार होगी यह भी एक बड़ा सवाल है। क्योंकि अपरोक्ष रूप से इन ठेकेदारों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है और उन्हें संरक्षण देने वाले लोग ही इन कार्मिकों के नियोक्ता है ऐसी स्थिति में कोई नौकर भला अपने मालिक के खिलाफ कैसे जांच कर सकता है, यह जांच का विषय है। इसलिए आवश्यक है कि जिला प्रशासन इस पूरे मामले में हस्तक्षेप करते हुए किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए यदि जांच करवाएं तो पूरे मामले में और भी घोटाले खुलकर सामने आ सकते हैं।
'अनुभवी गर्ग' कर रहे हैं बेड़ा गर्क!
चित्तौड़गढ़ डेयरी में भीलवाड़ा जिले से एक अनुभवी सेवानिवृत्ति 65 वर्षीय अरविंद गर्ग को मार्किंग प्रभारी लगाया गया है। जो लगातार दूध के आवश्यक सेवा में शामिल होने की दुहाईदेते हुए, इस अनियमितता पर पर्दा डालने में जुटे हुए हैं। बूथ संचालक तक दूध नहीं पहुंचने हाईवे पर दूध लेने के लिए बुलाने और बीते 4 साल से बिना पंजीकृत वाहन में दूध भेजने के मामले के सामने आने के बाद जब बस्सी बेग क्षेत्र में मार्केटिंग का प्रभाव देख रहे सावन सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इन सारी चीजों की जानकारी मौखिक रूप से उनके प्रभारी अरविंद गर्ग को दी गई है। केवल दूध पहुंचना प्राथमिकता है और यह आवश्यक सेवा में शामिल है इसकी आड़ लेकर गर्ग ठेकेदारों की मनमानी को छुपाने में जुटे हुए हैं। इससे लगने लगा है कि डेयरी की बेहतरीन के लिए लगाए गए गर्ग खुद ही डेयरी का बेड़ा गर्क करने में जुटे हुए हैं। इसलिए आवश्यक है कि जांच प्रक्रिया से ऐसे व्यक्ति को दूर रखा जाए तब ही जांच सही हो सकती है। यहां यह भी उल्लेखनीय है की भीलवाड़ा से सेवानिवृत होने के बाद अरविंद गर्ग एक निजी दूध कंपनी में कार्यरत रहे और कार्य के दौरान उसे कंपनी के दूध को बेचने के लिए प्रेरित किया गया जिसका नतीजा यह हुआ कि दूसरे ब्रांड सारस की टक्कर में आकर खड़े हो गए। तो कहीं ऐसा तो नहीं की सरस से जुड़कर अंदर खाने दूसरी कंपनियों को फायदा पहुंचाने की सेटिंग चल रही है यह भी एक जांच का विषय है।
कहीं दिया दूध कहीं बदली गाड़ी
वितरण व्यवस्था को लेकर अनुभवी जिम्मेदार सेवानिवृत्त अरविंद गर्ग की कप्तानी में व्यवस्था पूरी तरीके से बिगड़ चुकी है। टेंडर प्रक्रिया के नियम जहां पूरी तरह से बाईपास हो चुके हैं वहीं दूसरी ओर ना तो नियमों में दूध पहुंच रहा है और ना ही वितरण व्यवस्था प्रभावी साबित हो रही है। इस क्रम में बस्सी में सीधा सवाल के प्रतिनिधि प्रवीण कुमार खटीक ने धरातल पर जांच की तो सामने आया कि हाईवे पर संचालकों को दूध लेने के लिए बुलाया जा रहा है जिन्होंने बताया कि इसकी शिकायत उनके द्वारा की गई है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि बस्सी में खपत अधिक होने के चलते अलग से वाहन लगाया गया है। ऐसे में यह जांच का विषय है कि इस मार्ग पर यदि अलग गाड़ी का भुगतान किया जा रहा है तो उसकी रिकवरी किस प्रकार होगी और कितने समय से यह प्रक्रिया मिलभगत से संचालित की जा रही है। इसी के साथ बेगु क्षेत्र में सीधा सवाल के प्रतिनिधि मोहित बिल्लू द्वारा काटूंदा मोड पर पहुंच कर वितरण व्यवस्था को देखा तो पाया कि पंजीकृत वाहन से दूसरे वाहन में दूध भरा जा रहा है। जानकारी ली गई तो एवजी वाहन चालक ने बताया कि 4 साल से वह इस तरह से कम कर रहा है और जोगणिया माता सहित चार पॉइंट का दूध लेकर जाता है जिसका कलेक्शन भी वह लेकर आता है ऐसे में सवाल यह है कि आखिर डेयरी में हो क्या रहा है और इसको शरण कौन दे रहा है। वहीं शहरी क्षेत्र में भी हालात ऐसे ही हैं जहां ठेकेदारों की मनमर्जी चरम पर है। उल्लेखनीय है कि 75 पैसे शहरी क्षेत्र में और एक रुपया 25 पैसा प्रति लीटर के हिसाब से ग्रामीण क्षेत्र में इन ठेकेदारों को भुगतान किया जाता है। वहीं डीजल की दर बढ़ने पर 25 पैसा प्रति लीटर स्वत वृद्धि हो जाती है। अनियमिता करने वाले ठेकेदारों के विरुद्ध अमानत राशि और इएमडी जप्त करने का प्रावधान है। अब ऐसे में सवाल यह है कि क्या इन लोगों के विरुद्ध आर्थिक दंड जब्ती या ब्लैक लिस्टेड करने कोई कार्रवाई की जाएगी या फिर इस गड़बड़ घोटाले को जांच का नाम देकर दबा दिया जाएगा। यदि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए तो अर्थदड की राशि लगभग ढाई करोड़ बनती है जो डेयरी पर चल रहे लोन का 50% है।
मामला संज्ञान में आया है पूरे मामले में कमेटी गठित कर जांच कर रहे हैं अनुबंध शर्तों का उल्लंघन होने पर अमानत राशि और ईएमडी जप्त करने की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही ऐसे लोगो को ब्लैक लिस्टेड भी किया जाएगा।
प्रमोद चारण प्रबंधक चित्तौड़गढ़
