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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। दूध सप्लाई के आवश्यक सेवाओं में शामिल होने के चलते इसकी आड़ में किये जा रहे भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े की चपेट में केवल चित्तौड़गढ़ डेयरी नही है। बल्कि इसके तार भीलवाड़ा डेयरी से भी जुड़े हुए हैं। इस घपले और धांधली में शामिल ठेकेदार चित्तौड़गढ़ में संचालित डेयरी के साथ- साथ भीलवाड़ा डेयरी के साथ भी धोखाधड़ी कर रहे हैं। बड़ी बात यह है कि लगातार मामले सामने आने के बाद भी जांच के नाम पर जो कार्रवाई चल रही है वह केवल कछुआ चाल से अधिक कुछ भी साबित नहीं हो रही है। मामले की जांच का दावा किया जा रहा है लेकिन चलती जांच में भी गड़बड़ी लगातार जारी है। इससे लगने लगा है कि डेयरी प्रबंधन ठेकेदारों का आगे नतमस्तक है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि आगामी वर्ष के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और वर्तमान में डेयरी के ठेका लेकर मनमर्जी करने वाले यह ठेकेदार एक बार फिर इस दौड़ में शामिल है। ऐसी स्थिति में डेयरी में अंदर खाने चल रहे ठगबंधन की पोल भी खुलकर सामने आ रही है। इस पूरे मामले में साफ हो गया है कि न केवल राजनीतिक बल्कि कहीं ना कहीं प्रबंधन के साथ जुड़े कुछ लोगों का इन्हें समर्थन प्राप्त है। और यह संभावना भी प्रबल है कि इस समर्थन के बदले उन्हें उपकृत किया जा रहा हो क्योंकि जिस तरह से आवश्यक सेवा की आड़ लेकर जांच जारी होने के बावजूद गैर अनुबंध वाहनों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है इससे साफ है कि पूरे कुएं में भांग खुली हुई है। और दाल में काला नही है बल्कि पूरी की पूरी दाल काली है।
स्वर सांवर के गीतकार ओम !
चित्तौड़गढ़ डेयरी में चल रहे खेल को देखकर लगता है कि यहां भ्रष्टाचार करने में सब की मिली भगत है मानो किसी फिल्म का निर्माण चल रहा है जिसमें संगीत किसी और का है तो गीतकार कोई और है लेकिन फायदा सबको हो रहा है। चित्तौड़गढ़ के इस भ्रष्टाचार से भीलवाड़ा डेयरी भी अछूती नहीं है। दरअसल चित्तौड़गढ़ के जोन 2 में चित्तौड़गढ़ मार्ग तीन के लिए सांवरलाल जाट के नाम पर टेंडर दिया गया है जिसमें वाहन संख्या आर जे 06 जीसी 9561 अनुबंध पर है। वही यही वाहन भीलवाड़ा डेयरी में ओम प्रकाश जाट के नाम पर भीलवाड़ा डेयरी से आसींद मार्ग पर दूध वितरण करने के लिए जा रहा है। भीलवाड़ा डेयरी से जारी हुआ गेट पास और चित्तौड़गढ़ डेयरी में इस अनुबंध किया गया है। इससे साफ है कि ठेकेदारों की जोड़ी मिलकर इस धांधली को अंजाम दे रही है। सूत्रों का कहना है कि अनुबंध में मोटर मालिक ठेकेदार का होना अनिवार्य है जबकि स्थितियां बिल्कुल उलट दिखाई दे रही है। इससे साफ है कि केवल चित्तौड़गढ़ नहीं बल्कि भीलवाड़ा डेयरी में भी मिली भगत से इस गड़बड़ी को बखूबी संचालित किया जा रहा है। ऐसे में प्रदेश स्तरीय जांच होने पर सामने आ सकता है कि ठेकेदारों की धांधली में चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा के कितने जिम्मेदार शामिल है।
कमीशन के खेल में 'ब्रेकडाउन' नियम
गाड़ी के रजिस्ट्रेशन नंबर के अतिरिक्त दूसरी गाड़ी चलाने को लेकर यह बताया जाता है कि व्यावहारिक रूप से गाड़ी खराब हो जाती है या तकनीकी समस्या आ जाती है तो गाड़ी बदली जाती है। लेकिन इस मामले में सारे नियम लंबे समय से ब्रेकडाउन है जिसे लेकर वर्षों से इस इंडस्ट्री से जुड़े अनुभवी भी इस गड़बड़ी की गाड़ी को ग्रीन सिग्नल दे रहे हैं।
सिक्योरिटी से लेकर मार्केटिंग तक सब पर उठे सवाल
इस पूरे मामले में नए केवल मार्केटिंग बल्कि डेयरी की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। डेयरी में पहले भीलवाड़ा डेयरी फिर निजी दूध कंपनी और अब सरस को अपने सालों के अनुभव का लाभ दे रहे मार्केटिंग के प्रभारी अरविंद गर्ग की भूमिका शुरू से ही सवालों के घेरे में है। गर्ग भीलवाड़ा डेयरी से मार्केटिंग विभाग से सेवानिवृत हैं। और इस गड़बड़ी के तार अब सरस की भीलवाड़ा डेयरी से भी जुड़ गए हैं। ऐसी स्थिति में गड़बड़ी के इस गठजोड़ को समझने के लिए जांच को भीलवाड़ा तक ले जाना आवश्यक है और ऐसे में प्रशासनिक अथवा प्रदेश स्तरीय जांच कमेटी से संभव है कि इस पूरे घोटाले का खुलासा हो सकता है। साथ ही भ्रष्टाचार से जुड़े इस मामले में प्रदेश की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की इकाई को भी जोड़ा जाना चाहिए। जिससे सरकार की बिन सहकार नहीं उद्धार की ग्रामीण विकास की परिकल्पना को अपने निजी फायदे के लिए पलीता लगाने वाले लोगों के विरुद्ध कार्रवाई की जा सके।
कही बिल्ली को तो नहीं दे रहे हैं दूध की रखवाली!
इस पूरे मामले में लगातार चित्तौड़गढ़ डेयरी से जांच करने के दावे के बाद जांच टीम के बारे में जानकारी मांगे जाने पर कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है। सूत्रों का कहना है कि इस मामले में जांच को मार्केटिंग प्रभारी गर्ग के निर्देशन और मार्गदर्शन में करवाया जा रहा है। जिनकी पूरे मामले में शुरू से ही भूमिका ठेकेदारों के फायदे की प्रतीत हो रही है। ऐसे में कहीं ऐसा तो नहीं है की तीन जिलों चित्तौड़गढ़ प्रतापगढ़ और भीलवाड़ा के किसानों के कल्याण के लिए बनाए गए इस संघ को चूना लगाने की जांच के नाम पर बिल्ली को दूध की रखवाली दे दी गई है।
अब तक किसी मामले में कोई कार्रवाई नहीं
एक और जहां डेयरी एमडी प्रमोद चारण इस मामले में जांच की बात कही है वहीं दूसरी ओर जिले के बेगू में ठेकेदार कवि शंकर आचार्य के अनुबंधित इन्सुलेट वाहन से एक निजी वन में बिना इंसुलेशन के दूध ले जाने के वीडियो और 4 साल से इस गड़बड़ी की जानकारी सामने आने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उल्टे एक आदेश जारी कर दिया गया है कि किसी भी तरह की शिकायत होने पर अपने मार्ग प्रभारी को बताएंगे और उसके बाद कार्रवाई नहीं होती है तो अनुभवी गर्ग को बताएंगे। यदि कोई आदेश का पालन नहीं करता है तो उसकी एजेंसी निरस्त की जाएगी। ऐसी स्थिति में संदेश साफ है कि मनमानी बर्दाश्त करो वरना काम छोड़ दो। लेकिन इस आदेश के पीछे भी कहीं ऐसा तो नहीं है कि गर्ग खुद को बचाने के लिए ऐसी कवायद कर रहे हैं।
इसलिए कर रहे हैं सरस का काम
दरअसल चित्तौड़गढ़ में ही नहीं बल्कि पूरे राजस्थान में सरस के सहकारिता से जुड़े उपक्रम होने के कारण स्थानीय निकायों से प्रमुख चौराहों मुख्य मार्गों पर केबिन लगाने स्वीकृति मिल जाती है। जिसका 20 सालों के लिए सालाना हजार रुपए से भी कम किराया जमा होता है। इसलिए छोटा-मोटा सरस के उत्पादों का विक्रय कर इनकी आड़ में चाय जूस गुटखा तंबाकू बेचा जाता है। कही बूथ तो ऐसे है जहां नाम मात्र के सरस के उत्पाद बेचे जा रहे हैं और उन्हें किराए पर दे दिया गया है जिनका मासिक किराया 8 से ₹10000 वसूल हो रहा है। ऐसे में सरस का बूथ अतिक्रमण का सहज और सुलभ माध्यम है। और ऐसी स्थितियों पर भी अनुभवी गर्ग के अनुभव की नजर नहीं पड़ रही है। हालांकि जानकारी में यह भी सामने आया है कि चित्तौड़गढ़ मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब अन्य कंपनियों ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली है जो आने वाले समय में ऐसे अनुभव की बदौलत सरस की बर्बादी के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
