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कनेरा घाटा क्षेत्र के सरसी पटवार हलके के चोलनी गांव का मामला
सीधा सवाल। निंबाहेड़ा। पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में गलत तरीके से चारागाह भूमि आवंटन का मामला अब एक बार फिर चर्चाओं में है। इस मामले में तत्कालीन उपखंड अधिकारी सहित तहसीलदार, भू अभिलेख निरीक्षक, नायब तहसीलदार और पटवारी को तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने दोषी माना है। मगर बड़ी बात यह है कि जांच पूरी होने के बाद भी अब इन अधिकारियों पर कार्रवाई का इंतजार है। जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर की दो सदस्य खंडपीठ के आदेश के बाद बनी कमेटी ने जांच में दोषी मानते हुए कार्रवाई की अनुशंसा की है।
लगभग 400 बीघा चारागाह भूमि का हुआ था अवैध आवंटन
दरअसल पिछली कांग्रेस सरकार में प्रशासन गांव के संग अभियान के तहत नियमों की आड़ लेते हुए अधिकारियों ने राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते कनेरा घाटा क्षेत्र के पटवार क्षेत्र सरसी के ग्राम चोलनी में लगभग 400 बीघा चारागाह भूमि गलत तरीके से कतिपय लोगों को आवंटित कर दी थी। नामांतरण होने के बाद साल 2022 में इस आवंटन के विरुद्ध राजस्थान उच्च न्यायालय में डबल बेंच के समक्ष जनहित याचिका क्रमांक 13377/2022
दर्ज करवाई जिसने उच्च न्यायालय ने आवंटन आदेश क्रमांक 25.11.2021 और 17.12.2021 की जांच के लिए जिला कलेक्टर को आदेशित किया इसके पश्चात तीन सदस्यीय तहसीलदार स्तर के अधिकारियों की कमेटी बनाई गई और उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट पेश की। अब इस रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई का इंतजार है।
इनको माना दोषी
तीन सदस्यो की जांच कमेटी ने इस पूरे प्रकरण में तत्कालीन उपखंड अधिकारी निंबाहेड़ा, तहसीलदार निंबाहेड़ा, नायब तहसीलदार कनेरा, भू अभिलेख निरीक्षक सरसी, पटवारी पटवार हलका सरसी को दोषी माना। रिपोर्ट में सामने आया कि बिला नाम भूमि की आड़ में चारागाह भूमि को आवंटित कर दिया गया था जो विधि विरुद्ध है। और इन सभी के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जानी चाहिए।
कांग्रेस राज में हुआ घोटाला, भाजपा राज में कार्रवाई की आस
चारागाह भूमि आवंटन का यह घोटाला पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुआ था जहां जमकर जमीनों की बंदरबांट की गई। लोगों का यह भी आरोप है कि इस जमीनों के आवंटन में जमकर लेनदेन किया गया और कई सफेदपोश इस आवंटन में लाभ कमाने वालों में शामिल है। तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय में लोगों ने शिकायतें भी की थी लेकिन सत्ता के प्रभाव में यह पूरा प्रकरण दबकर रह गया, अब इस पूरे प्रकरण में वर्तमान में भाजपा सरकार से लोगों को आस है कि पशुधन के उपयोग की भूमि को निजी लाभ कमाकर आवंटित करने वाले इन अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हालांकि जमीन का यह गड़बड़ झाला कर पशुधन के अधिकार की भूमि को अवैध तरीके से आवंटित करने वाले अधिकारियों में शामिल उपखंड अधिकारी का स्थानांतरण हो गया है, वही तहसीलदार राजकीय सेवा से सेवानिवृत हो चुके हैं लेकिन निचले पदों पर बैठे नायब तहसीलदार, भू अभिलेख निरीक्षक और पटवारी वर्तमान में भी इसी पटवार हलका क्षेत्र में कार्यरत है। विधि नियमों के जानकारों का कहना है कि कार्रवाई के अनुशंसा होने के बाद इन अधिकारियों का विभागीय जांच के अतिरिक्त पृथक से फौजदारी प्रकरण भी पंजीबद्ध कराया जाना चाहिए। लेकिन फिलहाल पूरे मामले में ऐसी कोई जानकारी सामने नहीं आई है। सूत्रों का कहना है कि दो कार्मिकों के विरुद्ध नोटिस जारी किए गए थे, शेष लोगों पर अभी भी कार्रवाई का इंतजार है। वहीं पूरे मामले में महत्वपूर्ण बात यह है कि भूमि को लेकर एनओसी जारी करने वाले ग्राम पंचायत के सरपंच के विरुद्ध जांच रिपोर्ट में किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं की गई है। ऐसे में अब न्यायालय की शरण में जाकर जांच के आदेश जारी करवाने वालों को प्रदेश की भाजपा सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से इस भूमि आवंटन के मामले में कार्रवाई की उम्मीद है।
कांग्रेस नेता की भूमिका रही चर्चा में!
जिले के कनेरा घाटा क्षेत्र में हुआ भूमि का आवंटन क्षेत्र में चर्चाओं का विषय बना रहा है। सूत्रों की माने तो इस पूरे भूमि आवंटन घोटाले में कनेरा घाटा क्षेत्र से जुड़े कांग्रेस संगठन के एक बड़े पदाधिकारी की पूरी भूमिका है। सूत्रों का यहां तक कहना है कि संगठन से जुड़े इस पदाधिकारी का कांग्रेस के तात्कालिक निर्वाचित जनप्रतिनिधियों और जांच रिपोर्ट में दोषी पाए गए अधिकारियों के साथ सीधा प्रभाव रहा है, ऐसे में यदि पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की जाए तो कांग्रेस के संगठन से जुड़े इस पदाधिकारी का नाम भी सामने आ सकता हैं।
आवंटन निरस्त करने हेतु अतिरिक्त संभागीय आयुक्त कार्यालय में अपील की गई है। जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्मिकों के विरुद्ध नियम अनुसार कार्रवाई की जा रही है।
विकास पंचोली, उपखंड अधिकारी, निंबाहेड़ा