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रसूलपुरा मार्ग बंद करने को लेकर ग्रामीणों ने किया था प्रदर्शन
सीधा सवाल। निंबाहेड़ा। क्षेत्र में संचालित वंडर सीमेंट इकाई का रास्ता बंद करने का विवाद शुरू होने के बाद उपखंड अधिकारी की मौजूदगी में हुई बैठक के बाद एक बार थम गया है लेकिन कहीं ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब प्रबंधन की ओर से नहीं दिया गया उल्टे ग्रामीणों की जिम्मेदारी तय करते हुए उनके प्रदर्शन का अधिकार भी छीन लिया गया। बैठक में दोनों पक्षों को बुलाया गया था लेकिन जो परिणाम सामने आया उससे यह प्रतीत होता है कि बैठक के नाम पर ग्रामीणों को बरगला दिया गया। और ग्रामीण प्रबंधन की इस कूटनीतिक चाल को समझ ही नहीं पाए। दरअसल बुधवार को रसूलपुर संपर्क मार्ग पर वंडर सीमेंट प्रबंधन ने खुदाई कर दीवार निर्माण का काम शुरू किया था इसके बाद ग्रामीणों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिया, मामला बढ़ता देख प्रशासन ने काम रूकवाते हुए वार्ता के बाद कार्य शुरू करवाने की बात कही और इसके बाद गुरुवार को ग्रामीणों और प्रबंधन के अधिकारियों के बीच वार्ता हुई जिसमें ग्रामीणों के लिए रास्ता बंद नहीं करने पर सहमति बनी। वही ग्रामीणों की ओर से किसी प्रकार के हादसे की स्थिति में विरोध प्रदर्शन नहीं करने और प्रबंधन को जिम्मेदार नहीं ठहरने पर सहमति बनी।
यह था विवाद
राष्ट्रीय राजमार्ग से अंडरपास के जरिए वंडर सीमेंट, रसूलपुर क्षेत्र और वहां के खेतों में जाने के लिए रास्ता बना हुआ है जिस पर वंडर सीमेंट प्रबंधन द्वारा दिवार का निर्माण किया जा रहा था जिसकी जानकारी मिलने पर ग्रामीण एकत्रित हो गए और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, इसके बाद प्रशासन ने बैठक बुलाने की बात कहते हुए मामला शांत किया।
यह हुआ बैठक में निर्णय
दोनों पक्षों की बैठक उपखंड अधिकारी कार्यालय में आयोजित की गई जिसमे वंडर सीमेंट प्रबंधन की भविष्य में कभी भी रास्ता बंद नहीं करने की बात कही गई, वहीं आवागमन के दौरान किसी प्रकार का हादसा होने पर ग्रामीणों द्वारा सीमेंट इकाई का विरोध नहीं करने पर सहमति जताई गई।
इन सवालों के नहीं मिले जवाब
बैठक के दौरान सामने आया कि वंडर सीमेंट ने एक और यह कहा कि प्रबंधन द्वारा रास्ता बंद नहीं किया जाएगा तो फिर प्रबंधन द्वारा सड़क के किनारे की गई खुदाई के कार्य का कोई जवाब नहीं मिल पाया। इसी के साथ एक बड़ा सवाल यह भी है कि प्रबंधन द्वारा निर्माण कार्य से पहले यहां बोर्ड लगाए गए हैं जिसमें स्पष्ट रूप से बताया गया है कि यह सीमेंट इकाई का निजी मार्ग है इस पर आम लोगों का प्रवेश वर्जित है, इन बोर्ड को हटाने पर कोई चर्चा बैठक में नहीं की गई। इससे लगता है कि वंडर सीमेंट इकाई द्वारा पहले रोड बंद करने की तैयारी कर ली गई थी, लेकिन ग्रामीणों के आक्रोश के बाद उसे पीछे हटना पड़ा। इसी के साथ इस बात पर कोई ठोस चर्चा नहीं हुई की प्रबंधन इस दिशा में प्रयास करेगा कि ग्रामीणों को वहां से गुजरने वाले वाहनों के कारण हादसों का शिकार नहीं होना पड़े।
छीन लिया अधिकार, ग्रामीणों ने दी सहमति
इस पूरे प्रकरण में ग्रामीणों से भविष्य में विरोध का अधिकार भी छीन लिया गया, लिखित रूप से प्रबंधन ने इस बात की सहमति ग्रामीणों से ली है कि यदि कोई हादसा होता है तो ग्रामीण प्रदर्शन नहीं करेंगे और ना ही प्रबंधन को इस बात के लिए जिम्मेदार ठहराएंगे। ऐसे में साफ है कि सड़क हादसों को लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई बल्कि भविष्य में इस रास्ते को हादसों के कारण बंद करने की पूर्व नियोजित तैयारी को अंजाम दिया गया है।