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सीधा सवाल। निंबाहेड़ा। विभिन्न अपराधों की रोकथाम के लिए सरकार अभियान चलाती है। इन अभियानों को चलाने के लिए जिम्मेदार अधिकारी केवल खानापूर्ति में व्यस्त हो जाते हैं। बड़ी बात यह है कि जब भी कोई अभियान चलता है तो छोटे-मोटे लोगों पर कार्रवाई कर जिम्मेदार वाहवाही लूटते हैं लेकिन हमेशा प्रभावशाली और बड़े स्तर पर नियम विरुद्ध काम करने वाले लोगों का बाल भी बांका नहीं होता है। फिर चाहे अतिक्रमण की कार्रवाई हो या फिर अवैध शराब की बिक्री का मामला, केवल खाना पूर्ति कर जिम्मेदार औपचारिकता पूरी कर लेते हैं। ऐसा ही हाल इन दोनों आबकारी विभाग का है। प्रतिदिन अवैध रूप से शराब की बिक्री पर कार्रवाई का टारगेट सामने आने के बाद विभाग के जिम्मेदार इसकी आड़ में एक और जहां छोटी-छोटी करवाई कर औपचारिकता कर रहे हैं वहीं सूत्रों का कहना है इसे लेकर जिम्मेदार अपने जुगाड़ जमाने में भी जुट रहे हैं। बीते कुछ दिनों से निंबाहेड़ा क्षेत्र में लगातार आबकारी विभाग अवैध शराब की बिक्री पर कार्रवाई का दम भर रहा है और कभी छः पव्वे तो कभी पांच- दस बोतल के मुकदमे पंजीकृत कर रहा है, वहीं दूसरी ओर इन अधिकारियों की नाक के नीचे लाइसेंसी शराब की दुकानों की आड़ में अवैध ब्रांचो पर शराब बेचने का खेल चल रहा है। संभावना जताई जा रही है कि इन ब्रांचो की आड़ में नकली शराब का खेल चल रहा है। मंदसौर में बड़ा हादसा होने के बावजूद नाक के नीचे चल रहे इस अवैध शराब के कारोबार को मानो जिम्मेदार शरण देते प्रतीत हो रहे हैं। लेकिन ना तो शराब बिक्री के लिए जिम्मेदार आबकारी विभाग और नाही पुलिस इस अवैध शराब के कारोबार पर कोई कार्रवाई कर रही है।
पहले पकड़ी गई नकली शराब बनाने की फैक्ट्रियां
जिले में पूर्व में नकली शराब बनाने की फैक्ट्रीया भी पकड़ी जा चुकी है और ऐसी कार्रवाइयों को ना तो जिले की पुलिस ने अंजाम दिया था, ना आबकारी ने इन कार्रवाइयों में कोई भूमिका निभाई थी, बल्कि प्रदेश की बड़ी जांच एजेंसियों ने सीधी कार्रवाई की थी। अब यह संभावना भी प्रबल हो जाती है कि जब पूर्व में नकली शराब का बड़ा कारोबार जिले में सामने आ चुका है तो ऐसे में शराब की एक दुकान की लाइसेंस की आड़ में अवैध रूप से ब्रांचो का संचालन कर नकली शराब को खपाने की कवायद की जा रही है। मंदसौर में हुए नकली शराब कांड में जनहानि होने के बाद भी आबकारी विभाग सबक लेने को तैयार नहीं है, यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अधिकांश मादक पदार्थ मध्य प्रदेश से निंबाहेड़ा के रास्ते जिले में प्रवेश करते हैं, ऐसे में वहां बनने वाली नकली शराब सरकार की सख्ती के बाद कही सीमा पार के इस निंबाहेड़ा कस्बे की ब्रांचो में तो नहीं बेची जा रही है। इसके लिए जरूरी है कि अवैध रूप से चलने वाली इन ब्रांचो को पूरी तरह से बंद करवाया जाए जिससे केवल सरकार की लाइसेंस की दुकान ही संचालित हो सके और अधिकृत रूप से राजस्थान में बेची जाने वाली शराब बेची जाए जिससे सरकार को राजस्व का भी फायदा हो सके।
नाक के नीचे अवैध ब्रांच, जिम्मेदार अनजान
ऐसा नहीं है कि अवैध ब्रांचो के संचालन की जानकारी आबकारी महकमे के जिम्मेदारों को नहीं है। निंबाहेड़ा उपखंड मुख्यालय क्षेत्र पर राष्ट्रीय राजमार्ग के समीप खुलेआम ब्रांच का संचालन किया जा रहा है, जो आबकारी थाने और निंबाहेड़ा सदर थाने से महज दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। न केवल यहां बल्कि निंबाहेड़ा के आसपास के क्षेत्र में कहीं 4 तो कहीं 8 से अधिक इन अवैध ब्रांच का संचालन लाइसेंसी दुकान की आड़ में किया जा रहा है। धड़ल्ले से संचालित होने वाली यह अवैध ब्रांचे सब की कमाई का जरिया बनी हुई है। सूत्रों का कहना है कि इस कमाई में शराब के व्यापारियों से लेकर सरकार के जिम्मेदारों और सरकार चलाने में शामिल जनप्रतिनिधियों के नुमाइंदों की भी हिस्सेदारी शामिल है। फिर चाहे सत्ता किसी भी दल की हो इस खेल पर लगाम लगाने की कोशिश कोई भी नहीं करता है, क्योंकि कहीं ना कहीं सभी के निजी हित इस कारोबार से जुड़े हुए हैं।
लोकल एक्ट की मार, सड़कों पर चलना दुश्वार
लोकल एक्ट को ले कर चल कर चलाई जाने वाले अभियानों के चलते स्थिति यह है कि लोकल एक्ट में होने वाली कार्यवाहीयां टारगेट बढ़ाने के लिए गाहे बगाहे पुलिस दल सड़कों पर खड़े हो जाते हैं और लोकल एक्ट की कार्रवाई पूरी करने के लिए वाहनों के चालान बनाए जाते हैं, जबकि हालत यह है कि आबकारी भी पुलिस महकमें के लोकल एक्ट में शामिल है लेकिन वहां कार्रवाई करने की बजाय पुलिस सड़कों पर चलने वाले वाहन चालकों को चालान बनाने के लिए परेशान करते दिखाई देती है, वहीं उच्च अधिकारी भी निचले अधिकारियों को केवल वाहनों के चालान बनाने तक उलझा कर रखते है। लेकिन मोटी कमाई के अवैध शराब बिक्री के इस कारोबार पर कोई कार्रवाई नहीं होती है।
आबकारी और पुलिस दोनों कर सकती है कार्रवाई
अवैध ब्रांचो के जरिए बिकने वाली शराब को लेकर आबकारी महकमें के लोग कार्यवाही करने से परहेज करते हैं, वहीं पुलिस भी इनसे दूरी बनाकर रखती है। नियमों की बात की जाए तो इन पर कार्रवाई करने के लिए पुलिस और आबकारी विभाग दोनों ही समान रूप से अधिकृत है, लेकिन इसके बावजूद अवैध रूप से संचालित होने वाली ब्रांच पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। ऐसे में पुलिस महकमें पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं।
रात्रि में बिकने वाली शराब पर नहीं कोई लगाम
वैसे तो नियमों के अनुसार एक लाइसेंस पर एक ही दुकान का संचालन किया जा सकता है, लेकिन इसके बाद कई ब्रांच खोलकर इस अवैध कारोबार को संचालित किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर रात में आठ बजे बाद शराब की बिक्री पर रोक होने के बावजूद धड़ल्ले से शराब बेची जा रही है। इन पर कार्रवाई करने के स्थान पर आबकारी महकमें के जिम्मेदार होटल और ढाबो पर छोटी-छोटी कार्रवाई कर आंकड़ों की खानापूर्ति में जुटे हुए हैं और वहां भी कोई बड़ी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, ऐसे में स्पष्ट है कि आबकारी महकमें के जिम्मेदार प्रदेश की जीरो टॉलरेंस वाली भजनलाल सरकार की मंशा पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहे हैं।