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भीलवाड़ा एमडी को दे दिया अतिरिक्त प्रभार - डेयरी चेयरमैन ने सहकारिता मंत्री पर लगाए गंभीर आरोप
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। प्रदेश में सरकार बदलने के साथ ही अपने चहेते अधिकारियों को लगाने और सहकारी संस्थाओं में अपनी मनमानी को लेकर खींचतान देखने को मिल रही है। चित्तौड़गढ़ में हजारों किसानों के हितों से जुड़ी सहकारी संस्था चित्तौड़गढ़ डेयरी में इन दिनों अच्छी खासी नूरा कुश्ती देखने को मिल रही है। सरकार बदलने के साथ ही मनमाना स्टॉफ लगाने और अपने हित साधने को लेकर खींचतान चल रही है। यही कारण है कि मात्र सात दिन में तीन प्रबंध संचालक (एमडी) के आदेश हुवे हैं। एक दिन पूर्व डेयरी फेडरेशन ने आदेश देकर हाल ही में लगाए भरतसिंह को हटा कर भीलवाड़ा एमडी को चित्तौड़ डेयरी का अतिरिक्त चार्ज दे दिया है। ऐसे में डेयरी के उच्च अधिकारियों की कार्य शैली किसी के समझ में नहीं आ रही है। वहीं चित्तौड़गढ़ जिले के जनप्रतिनिधि क्या चाह रहे हैं इसको लेकर भी चर्चाओं का दौर है। इधर, इन सभी को लेकर डेयरी चेयरमैन ने सहकारिता मंत्री पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
जानकारी में सामने आया कि राजस्थान कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड के महाप्रबंधक (कार्मिक एवं प्रशासन) ने सोमवार को एक आदेश जारी किया है। इस आदेश में चित्तौड़गढ़ डेयरी के एमडी भरतसिंह चौधरी का स्थानांतरण करते हुए उन्हें जैसलमेर लगा दिया है। इसी आदेश में भीलवाड़ा दुग्ध संघ के प्रबंध संचालक विमल कुमार पाठक को चित्तौड़गढ़ डेयरी का अतिरिक्त चार्ज दिया है। ऐसे में चित्तौड़गढ़ डेयरी से जुड़े कर्मचारियों के अलावा विभिन्न दुग्ध समितियों से जुड़े किसानों में भी यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि चित्तौड़ डेयरी में यह क्या हो रहा है कि 7 दिन में तीन एमडी के आदेश हो गए। वहीं वर्तमान में प्रदेश में भाजपा की सरकार है और लगातार डेयरी में एमडी बदलना भी कहीं ना कहीं भाजपा नेताओं की खींचतान को ही कारण माना जा रहा है।
17 को ज्वाइन किया था, 22 को हो गए रिलीव
जानकारी में सामने आया कि डेयरी के पूर्व एमडी सुरेश सेन ने फरवरी में कार्यभार संभाला था। वहीं गत 15 अक्टूबर को आदेश आया। चित्तौड़ डेयरी में एमडी भरतसिंह चौधरी को लगा दिया। चौधरी ने आदेश के बाद 17 अक्टूबर को ही ज्वाइन किया था। डेयरी फेडरेशन ने 21 अक्टूबर को एक और आदेश जारी किया तथा भरत सिंह का जैसलमेर स्थानांतरण कर दिया। इसके बाद भरतसिंह चौधरी मंगलवार को रिलीव भी हो गए भरतसिंह चित्तौड़ डेयरी में दूसरी बार लगे और केवल 7 दिन पद पर रहे।
किसानों के भुगतान सहित कई कार्य अटके
एक तरफ दीपावली का त्यौहारी सीजन है और कई योजनाएं जारी की है। वहीं दूसरी ओर जिले के लोगों को शुद्ध दूध, दही, मावा, घी आदि उपलब्ध कराना चित्तौड़ डेयरी की जिम्मेदारी है। लेकिन त्यौहारी सीजन में ही सात दिन में तीन एमडी के आदेश हो जाना कहीं ना कहीं यह स्पष्ट करता है कि डेयरी फेडरेशन में सब कुछ सही नहीं चल रहा है। इसका असर चित्तौड़गढ़ डेयरी के संचालन के साथ ही किसानों पर भी देखने को मिल रहा है। उत्पाद समय पर बाजार में नहीं जा पा रहे हैं। किसानों का भुगतान भी अटक रहा है। अनुदान भी कुछ माह का बलियात होने की जानकारी मिली है।
खोखले साबित हुवे पूर्व एमडी के दावे, कई लोग अब भी अंगूठा लगा कर जा रहे
चित्तौड़गढ़ डेयरी में एमडी रहे सुरेश सेन ने कई नवाचार और सुधार की बात कही थी। इसके अलावा आरपी सहित अन्य कर्मचारियों को भी कई कारणों का हवाला देकर निकाल दिया था। ऐसे लोगों की संख्या 45 से 60 तक हो सकती है। वहीं सूत्रों की माने तो आधा दर्जन से अधिक कार्मिक आज भी ऐसे हैं जो केवल अंगूठा लगा कर वेतन उठा रहे हैं। वह किसी भी तरह का डेयरी का कार्य नहीं कर रहे हैं। डेयरी संयत्र में केवल अंगूठा लगा हाजरी भरने जाते हैं। ऐसे कर्मचारियों पर रोक लगाने में तत्कालीन एमडी सुरेश विफल साबित हुए थे। इससे उनका यह दावा खोखला साबित हुआ दिख रहा है।
वर्जन...
सहकारिता मंत्री ने कर रखा है डेयरी को डिस्टर्ब
डेयरी सहकारी संस्था है। सहकारी संस्था में सरकार का इतना हस्तक्षेप पहले कभी नहीं हुआ। लगातार अधिकारी बदले जा रहे हैं। तत्कालीन एमडी सुरेश सेन ने चित्तौड़ डेयरी को काफी नुकसान पहुंचाया। लगातार एमडी बदलने के कारण डेयरी डिस्टर्ब हो रही है। किसानों को समय पर भुगतान नहीं हो रहा है। पशु आहार नहीं मिल रहा है। डेयरी में आरपी नहीं होने से किसानों को संभालने वाला भी कोई नहीं है। भाजपा के स्थानीय नेताओं में खींचतान चल रही है। मैनें सहकारिता मंत्री के सामने चुनाव लड़ा, इसलिए उन्होंने डेयरी को डिस्टर्ब कर रखा है। लड़ाई मुझसे है किसानों से नहीं। इन सभी में किसानों का नुकसान हो रहा है। यह भी सही है कि कुछ लोग अब भी केवल अंगूठा लगा कर जा रहे हैं।
बद्री जगपुरा, डेयरी चेयरमैन चित्तौड़गढ़