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गंदगी का अंबार, जिम्मेदारों ने किया नजर अंदाज चित्तौड़ स्टेशन के हाल... बाहर मखमल में लगा रखा टाट का पैबंद

सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। चित्तौड़गढ़ की पहचान ऐतिहासिक दुर्ग के कारण है। दुर्ग भ्रमण के लिए देश-विदेश के पर्यटक प्रतिदिन आते हैं। ऐसे में पर्यटकों की और क्षेत्र के लोगों की सुविधाओं को लेकर चित्तौड़गढ़ के हेरिटेज रेलवे स्टेशन का काफी विस्तार हुआ है। एक तरह से यूं कहा जा सकता है कि चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन शहर की पहचान में से एक है। रेलवे स्टेशन पर साफ सफाई और यात्रियों के लिए सुविधा है। लेकिन रेलवे स्टेशन के गेट से बाहर कदम रखते ही ठीक बाहर का नजारा देखने पर ऐसा लगता है जैसे की मखमल में टाट का पैबंद लगा हो। स्टेशन के बाहर एक उद्यान है, जहां गंदगी का आलम ऐसा की रेलवे स्टेशन के भीतर तक बदबू जाती है। ऐसे में यहां का नजारा देख कर हर कोई नाक भौं सिकुड़ता हुआ नजर आता है। यहां साफ-सफाई और व्यवस्था को लेकर किसी का ध्यान नहीं जा रहा, जबकि समय-समय पर जनप्रतिनिधियों के साथ ही जिला मुख्यालय के आला अधिकारी भी स्टेशन पर आते रहते हैं। यहां गंदगी और बदबू से हर कोई परेशान है तथा इसकी शिकायतें भी की गई है, जिस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा।
जानकारी में सामने आया कि विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग भ्रमण करने के लिए आने वाले पर्यटकों के लिए रेलवे एक सुगम साधन है। यहां प्रतिदिन देश-विदेश के हजारों पर्यटक रेल के माध्यम से सफर करते हैं। एक तरफ चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन के भीतर साफ सफाई देखने को मिलती है। वहीं दूसरी और रेलवे स्टेशन के जो दोनों द्वार के मध्य में स्थित उद्यान अपनी बेबसी पर आंसू बहा रहा है। यह उद्यान कम और खड्डे का रूप ले चुका है। इसमें 24 घंटे गंदा पानी भरा रहता है और बदबू आती रहती है। ऐसे में रेलवे स्टेशन पर आने वाले पर्यटकों की जब नजर इस तरफ जाती है तो वह भी आश्चर्यचकित हो जाते हैं और चित्तौड़गढ़ की साफ सुथरी छवि लोगों के मन में नहीं आती है। इस उद्यान के तीन तरफ ठेले लगे हुवे हैं और फुटपाथ व्यवसायी है। वहीं एक और रेलवे स्टेशन की दीवार होकर पुराना भाप का इंजन रखा हुआ है। इस पूरे उद्यान में गंदगी फैली हुई है। यहां तक की रात के समय शराबियों का जम घट लगा रहता है। अंदर एक गहरा गड्ढा और नाली बनी हुई है। ऐसे में आस-पास फुटपाथ की दुकान लगाने वाले लोगों का जो गंदा पानी है वह उद्यान में ही आता है। साथ ही अन्नपूर्णा रसोई योजना (इंदिरा रसोई) का भी सारा गंदा पानी इसी गार्डन में आता है। ऐसे में यहां 24 घंटे गंदा पानी भरा रह कर बदबू रहती है और मच्छर पनपते हैं, जिससे कि बीमारियां फैलने की भी संभावना रहती है। रेलवे स्टेशन शहर के प्रमुख स्थानों में आता है लेकिन इसके बाहर सफाई और स्वच्छता को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।
इंदिरा रसोई तो बनाई लेकिन पानी की निकासी नहीं
अन्नपूर्णा रसोई योजना का कांग्रेस राज में नाम बदल कर इंदिरा रसोई योजना कर दिया था। कांग्रेस शासन में स्टेशन के बाहर उद्यान में इंदिरा रसोई योजना खोली थी। उद्यान में सबसे ज्यादा गंदगी इंदिरा रसोई योजना के कारण हो रही है। यहां तक रसोई के बर्तन धोने के लिए एक टैंकर को उद्यान में खड़ा किया हुआ है। इसमें बर्तन धोने से निकलने वाला गंदा पानी उद्यान में ही एकत्रित हो रहा है। तत्कालीन कांग्रेस सरकार के दौरान आनन फानन में इंदिरा रसोई योजना के नाम से रसोई शुरू की गई थी लेकिन तब यहां पानी की निकासी पर ध्यान नहीं दिया। ऐसे में सारा गंदा पानी इसी उद्यान में एकत्रित हो रहा है।
हर शुक्रवार आती है शाही ट्रेन
जानकारी में सामने आया कि पर्यटन सीजन के तहत प्रत्येक शुक्रवार को चित्तौड़गढ़ स्टेशन पर शाही ट्रेन आती है। इसमें देश-विदेश के सैलानी आते हैं। लेकिन यह सभी सैलानी प्लेटफॉर्म से बाहर आकर स्टेशन परिसर स्थित पार्किंग से ही बस में सवार हो जाते हैं। ऐसे में इनकी तो गंदगी पर नजर नहीं जाती है। लेकिन जो पर्यटक पैदल और निजी साधनों से स्टेशन की ओर आते हैं उनकी नजर सीधे इस गंदगी पर जाती है।
कांग्रेस बोर्ड में नहीं हुआ उद्यान का विकास
चित्तौड़गढ़ नगर परिषद में बोर्ड का कार्यकाल पूरा होने के बाद प्रशासक नियुक्त किया है। लेकिन कांग्रेस के बोर्ड में इस उद्यान का समुचित विकास नहीं हो पाया। सूत्रों की माने तो इस वार्ड में कांग्रेस समर्थित पार्षद है और कांग्रेस का बोर्ड होने के बावजूद भी इस वार्ड का समुचित विकास नहीं किया गया। इसके पीछे कारण जो भी रहे हो लेकिन इस उद्यान को व्यवस्थित करने की जहमत भी जिम्मेदारों ने नहीं उठाई।
क्या कागजों में हो रहे स्वच्छता सुधार के कार्य ?
जानकार सूत्रों की माने तो स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 के लिए जनवरी माह में प्री सर्वे करवाया गया था। इस सर्वे में 1 लाख से अधिक आबादी वाले 50 शहरों में शामिल चित्तौड़गढ़ को 11वां स्थान मिलने और दो स्थान सुधरने की बात कही जा रही थी। लेकिन रेलवे स्टेशन के सामने स्थित उद्यान के हालात देखें तो यही कहा जा सकता है कि केवल कागजों में रैंक सुधर रही है। वरना धरातल पर पांच सालों से शहर के हालात गंदगी को लेकर जस के तस बने हुवे हैं। नालों तक की सफाई नहीं हो पाई।
