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पुलिस से लेकर चिकित्सा विभाग तक जांच की आंच

सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। जानलेवा रोग कैंसर से होने वाली काली कमाई को लेकर जैसे-जैसे जानकारियां सामने आ रही है वैसे-वैसे साफ होने लगा है कि चाहे खाकी हो या फिर चिकित्सा विभाग इस काली कमाई से सब के हाथ कालिख से रंगे हुए हैं। दर्दनाक मौत के इस खेल की सौदेबाजी में शिकायतों को लेकर मिली जानकारी के बाद साफ हो गया है कि एक पूरा गिरोह इस खेल को चल रहा है। और धीरे-धीरे इंश्योरेंस करने वाली कंपनी अभी इस गिरोह को पहचान चुकी है और संभावना यह है कि आने वाले समय में कई निजी कंपनियां जो हेल्थ, जनरल, और वाहन फाइनेंस जैसे काम करने के लिए जिले के कुछ विशेष क्षेत्र को प्रतिबंधित कर सकती है। जिसका खामियाजा उसे क्षेत्र में रहने वाले और भी लोगों को भुगतना पड़ेगा। ऐसे में एक और जहां कंपनियां पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं करवा रही है वहीं अपने स्तर पर इस बात की तैयारी कर रही है की विशेष क्षेत्र जहां एक्सीडेंट बताए गए इंश्योरेंस क्लेम जो उनकी कंपनी की जांच में कैंसर के निकले हैं उन क्षेत्रों को प्रतिबंधित किया जाए।
एक कंपनी ने पकड़े तीन फर्जी मामले
हेल्थ इंश्योरेंस के सेक्टर से जुड़ी मणिपाल सिगना हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने जब बड़े क्लेम की तथ्यात्मक जांच की तो खुलासा हुआ कि जिस व्यक्ति का एक्सीडेंट करंट या अन्य कारण से बताया गया है वह कैंसर के मरीज है। कंपनी के क्लेम की जांच करने वाले अधिकारी मोहित रस्तोगी ने बताया की चित्तौड़गढ़ जिले में कंपनी के पास तीन क्लेम प्राप्त हुए थे जिनमें गोविंद सिंह, जलाराम गाडरी और राम सिंह की उनके द्वारा जांच की गई तो तीनों एक्सीडेंटल डेथ के इंश्योरेंस क्लेम थे जो लगभग प्रत्येक 20 लाख से अधिक राशि का था उनकी जांच की गई तो तीनों ही क्लेम फर्जी पाए गए। हेल्थ इंश्योरेंस लेने से पहले कैंसर के रोगी थे जिनका नेक्सस द्वारा इंश्योरेंस करवाया गया और बाद में बड़ा क्लेम होने पर जब कंपनी ने जांच की दो खुलासा हुआ है। वही तीन अन्य क्लेम की जांच फिलहाल जारी है और प्रारंभिक रूप से उनमें भी गड़बड़ियां पाई गई है। ऐसे में यह सिर्फ एक कंपनी से जुड़ा मामला है जहां प्रकरण सामने आए हैं जिले भर में बड़ी संख्या में कंपनियां है जो इंश्योरेंस सेक्टर में काम कर रही है और इससे स्पष्ट हो जाता है कि फर्जी इंश्योरेंस क्लेम उठाने वाला गिरोह जिले में सक्रिय है।
सरकारी स्तर पर भी जांचे पेंडिंग, कार्रवाई का इंतजार
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केवल कंपनियां ही अपने स्तर पर जांच नहीं कर रही है,बल्कि इस मामले में विभिन्न सरकारी स्तर पर भी जांच की जा रही है जिनमें कुछ विभागीय जांचे प्रक्रियाधीन है। सूत्रों के अनुसार कपासन ब्लॉक में पुलिस विभाग और चिकित्सा विभाग में गलत पोस्टमार्टम रिपोर्ट जारी करने हैं और गलत तथ्यों पर जांच रिपोर्ट जारी कर इंश्योरेंस क्लेम उठाने के मामले में विभागीय स्तर पर जांच की जा रही है। हालांकि इन जांचों का निर्णय आना फिलहाल बाकी है लेकिन प्रारंभिक रूप से स्पष्ट हो गया है कि फर्जी तरीके से बीमा करवा कर राशि उठाने वाला गिरोह पुलिस और चिकित्सा विभाग को भी अपने साथ शामिल कर फर्जी लाभ उठाने में उनका सहयोग ले रहा है। बड़े स्तर पर जांच होने पर बांसवाड़ा की भांति बड़े गिरोह का खुलासा हो सकता है।
कंपनियां काम करना कर देती है बंद
जब किसी क्षेत्र से लगातार
अनियमितता की शिकायत आती है तो निजी कंपनियां उसे क्षेत्र को ब्लैकलिस्टेड घोषित करते हुए वहां काम करना बंद कर देती है और ऐसी स्थिति में वहां रहने वाले दूसरे लोगों को भी कंपनी के द्वारा दिए जाने वाले लाभ अथवा सेवाओं का उपयोग करने में समस्या उत्पन्न होती है इससे साफ है कि कुछ लोगों की वजह से जिले के कई ब्लॉक ब्लैक लिस्ट होने की स्थिति में है जिसका खामियाजा उसे क्षेत्र में रहने वाले अन्य लोगों को भुगतना पड़ेगा।
निजी ही नहीं सरकारी में भी झोल
ऐसा नहीं है कि इस नेक्सस के निशाने पर केवल निजी कंपनियां है बल्कि कई मामलों में सरकारी कंपनियां भी ऐसे लोगों को अपनी पॉलिसी बेच चुकी है जो गंभीर रोग से ग्रसित है और उनका रिकॉर्ड छुपाया गया है वहीं कहीं मामलों में उनका क्लेम भी उठाया जा चुका है ऐसे में बड़ी जांच होने पर ही स्पष्ट हो सकता है कि जिले में इस गिरोह द्वारा कपासन राशमी और भदेसर की अतिरिक्त और किन-किन स्थानों पर इस तरह के फर्जी क्लेम या तो करवा रखे हैं या फिर उनका भुगतान उठाया गया है।