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सीधा सवाल। छोटीसादड़ी। बड़ीसादड़ी-नीमच रेल लाइन के लिए भूमि अधिग्रहण के मुआवजे को लेकर छोटीसादड़ी और आसपास के छह गांवों के किसान पिछले 39 दिनों से धरना-प्रदर्शनकर रहे हैं। किसानों का कहना है कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है, और उन्हें उनकी जमीन का उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा।
धरना स्थल पर जुटे किसानों ने बताया कि वर्ष 2014 में राष्ट्रीय राजमार्ग 113 के लिए प्रति आरी ₹1 लाख मुआवजा दिया गया था। लेकिन अब रेलवे परियोजना के तहत उनकी जमीन का मुआवजा इससे काफी कम तय किया गया है। किसानों ने मांग की है कि मुआवजे का निर्धारण 2014 के आधार पर किया जाए और उन्हें उनकी जमीन का सम्मानजनक मुआवजा मिले। इधर, धरने के चलते रेल्वे निर्माण कार्य रुकने से रेलवे परियोजना प्रभावित हो रही है।
आचार संहिता लागू होने के बाद दिया गया मुआवजा
किसानों का आरोप है कि भूमि अधिग्रहण का अवार्ड 28 फरवरी 2024 को जारी किया गया और 15 मार्च 2024 को मुआवजा वितरण किया गया, जबकि इस दौरान आचार संहिता लागू हो चुकी थी। इस प्रक्रिया में उन्हें अपनी बात रखने का अवसर तक नहीं मिला। किसानों ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा था, जिसके बाद मामला संभागीय आयुक्त बांसवाड़ा को भेजा गया। लेकिन कई महीने बाद भी समाधान न होने के कारण मामला पहले चित्तौड़गढ़ और अब जयपुर स्थानांतरित कर दिया गया है। इधर, किसानों ने बार-बार सुनवाई स्थानांतरित किए जाने पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि पहले प्रतापगढ़, फिर बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और अब जयपुर में सुनवाई हो रही है, जिससे किसानों को अनावश्यक परेशानियां हो रही हैं। उन्होंने मांग की कि सुनवाई को वापस प्रतापगढ़ या नजदीकी चित्तौड़गढ़ में आयोजित किया जाए। इधर, सर्दी के बावजूद किसान धरना स्थल पर डटे हुए हैं। ठंड से बचने के लिए अलाव का सहारा लिया जा रहा है। किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।