views

सीधा सवाल। निंबाहेड़ा। निंबाहेड़ा नगर में सात दिवस श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान गंगा यज्ञ सप्ताह का श्री श्री 1008 माधव प्रपन्नाचार्य जी महाराज रामानुज कोट उज्जैन मध्यप्रदेश के मुखारविंद से बुधवार को आरम्भ हुआ। सुबह आठ बजे से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु शोभायात्रा प्रारंभ स्थल पर एकत्रित हुए। भागवत कथा के आयोजक भराड़िया परिवार (मिठाई वाले)के तत्वावधान में श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिन चारभुजा मंदिर रेलवे स्टेशन से भव्य कलश यात्रा निकाली गई। कलश यात्रा विधि विधान एवं पूजा-अर्चना के साथ जल को कलश में लेकर नगर में मुख्य बाजारों में भ्रमण करते हुए कथा स्थल पर पहुंचे। बैंड-बाजे के साथ जय श्री राधे एवं देवी-देवताओं के नाम के उच्चारण जयघोष के साथ पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो गया।कलश यात्रा में बड़ी संख्या में छोटे-छोटे बच्चे, युवतियां व महिलाओं समाजजनों ने हिस्सा लिया। कलश यात्रा में सबसे आगे घोड़े पर समाज व परिवार के वरिष्ठ सदस्य ढोल नगाड़ों से झूमते हुए महिलाएं 351 कलश सर पर लिए हुए।भागवत जी को सिर पर उठाये परिवार के सभी सदस्य और समाज के बंधु चल रहे थे। और बग्गी में श्री श्री रंगनाथाचार्य जी महाराज रामानुज कोट उज्जैन से व श्री श्री सुदर्शनाचार्य जी महाराज ढ़गोई गुजरात एवं व्यास पीठ पर विराजित कथावाचक श्री श्री माधव प्रपन्नाचार्य जी महाराज हाथी पर विराजित होकर आशीर्वाद प्रदान करते हुए।कलश यात्रा में पीले वस्त्र धारण की हुई कन्याएं व महिलाएं सिर पर कलश लेकर मंगलगीत गाती चल रही थीं। कलश यात्रा का नगर में विभिन्न सामाजिक संस्थाओं विभिन्न समाजों ने जगह-जगह पर स्वागत किया गया और अल्पाहार व जलपान कराया गया। इस मौके पर शोभा यात्रा पर खुले आकाश से पुष्प वर्षा की गई। इसके बाद मंत्रोच्चारण के बीच भराडिया परिवार से शांति देवी कमला देवी द्वारा कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गई।
उज्जैन से आए हुए कथा वाचक महाराज श्री श्री माधव प्रपन्नाचार्य ने कहा कि भगवान की लीला अपरंपार है। वे अपनी लीलाओं के माध्यम से मनुष्य व देवताओं के धर्मानुसार आचरण करने के लिए प्रेरित करते हैं। श्रीमद् भागवत कथा मन की शुद्धि का साधन है। तन का स्नान तो लोग नाना प्रकार के साधन से कर लेते हैं, परंतु मन की शुद्धि के लिए सत्संग आवश्यक होता है। सत्संग श्रवण के लिए किसी उम्र सीमा की वैधता नहीं है। श्रीमद भागवत कथा के महत्व को समझाते हुए कहा कि भागवत कथा में जीवन का सार तत्व मौजूद है। आवश्यकता निर्मल मन और स्थिर चित्त के साथ कथा श्रवण करने की है। इस मौके पर भराड़िया परिवार से अमरजीत ,अर्जुनलाल ,मदनलाल , सत्यनारायण , देवकिशन , राकेश, विकास ,गगन, मंगल, दुर्गेश,भागीरथ,यश, सोमेश हितेश, युधिष्ठिर आदि ने पधारे हुए अतिथियों का स्वागत किया और आभार व्यक्त किया।