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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अन्तर्गत आयोजित प्रथम पंक्ति प्रदर्शनों (तिलहन) में सरसो फसल की नवीन उन्नत किस्म आर.एच. 725 पर पंचायत समिति भैसरोड़गढ़ के गांव शम्भूनाथ जी का खेड़ा में सोमवार को प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें 32 कृषको ने भाग लिया। प्रशिक्षण में लाणमाता किसान प्रोड्युसर कम्पनी लिमिटेड, बोराव के निदेशक शिव लाल धाकड़ एवं मुकेश कुमार भी उपस्थित थे। साथ ही कृषको को सरसों के खेत का भ्रमण कराया।
केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. रतन लाल सोलंकी ने कृषको को प्रदर्शन खेत व कृषक पद्धति के खेतो में तुलना करते हुए अन्तर स्पष्ट किया उन्होने प्रदर्शन खेत के पौधो की वृद्धि व शाखाए अधिक तथा फलियों व दानो की संख्या स्थानीय किस्म से अधिक पाई गई, यह किस्म 130-135 दिन में पकती है एवं रेतीली एवं मध्यम भूमि क्षेत्रो के लिए उपयुक्त है, औसत पैदावार 17-20 क्विंटल प्रति हैक्टर, कम एवं मध्यम वर्षा वाले क्षेत्रो के लिए एकाधिक प्रतिरोधी किस्म है। इस किस्म में तेल की मात्रा 40.70 प्रतिशत होती है। साथ ही फसल में मोयला कीट नियंत्रण करने हेतु मैलाथियॉन 50 ई.सी. 1.25 लीटर या डाइमिथोइट 30 ई.सी. 875 मिलीलीटर प्रति हैक्टर की दर से पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
दीपा इन्दौरिया, कार्यक्रम सहायक ने किसानो को दैनिक जीवन में पोषाहार वाटिका की स्थापना व महत्व के बारे में विस्तार से बताया। संजय कुमार धाकड़ तकनीकी सहायक ने सरसों की खेती में पौध संरक्षण के बारे में तकनीकी जानकारी पर चर्चा करते हुए उत्पादित बीज को आगामी फसल की बुवाई के लिए भण्डारण कर स्वयं एवं पड़ोसी गांवो के अन्य किसानो को बीज के रूप में बेचकर आमदनी में वृद्धि करने के लिए प्रेरित किया। अन्त में धाकड ने प्रशिक्षण में उपस्थित सभी कृषको को धन्यवाद ज्ञापित किया।