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कमाओ- खा जाओ योजना के तहत हो रहा काम

सुभाष चंद्र बैरागी
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। मानव जीवन में एक शब्द का बड़ा महत्व होता है जिसे हिंदी में अवधि पार और अंग्रेजी में एक्सपायरी डेट कहते हैं। चाहे खाने की वस्तु हो या मानव जीवन रक्षक दवा अथवा कोई भी उत्पाद हो इसके उपयोग की एक समय अवधि निश्चित की जाती है। उसके बाद उसका उपयोग हानिकारक होता है। और कभी-कभी जानलेवा भी साबित होता है। इस साइड इफेक्ट के नाम से जाना जाता है। ऐसा ही साइड इफेक्ट चित्तौड़गढ़ डेयरी के साथ हो रहा है। जहां सरकारी नियम बाईपास करते हुए सरकार द्वारा निर्धारित आयु से अधिक आयु वर्ग के सेवानिवृत कार्मिक को ठेके पर काम पर रखा गया है। जिसका नतीजा यह हो रहा है की व्यवस्थाएं में बेपटरी हो रही है। ठेकेदारों की मनमानी नए वाहनों के स्थान पर पुराने वाहन लगाना मनमर्जी के तरीके से अलग-अलग स्थान पर दूध उतारना कई तरह की गड़बड़ियां लगातार सामने आ रही है। अब एक बड़ी गड़बड़ी सामने आई है जहां डेयरी के मार्केटिंग प्रभारी अरविंद गर्ग जिनकी भूमिका इस पूरे मामले में संदिग्ध प्रतीत हो रही है। उनका कार्य पर सरकार के नियमों को बाईपास करते हुए लगाया गया है। सरकार के नियमों में जहां सेवानिवृत्ति के बाद अधिकतम 65 वर्ष तक कार्य करवाया जा सकता है वही 65 वर्ष की आयु पर होने के बाद गर्ग को नियुक्ति दी गई है। ऐसे में नियुक्ति से लेकर डेयरी की गड़बड़ियां तक सारे तार आपस में जुड़ते प्रतीत हो रहे हैं। सेवानिवृत्त अनुभवी गर्ग जहां अपने सेवाकाल में भीलवाड़ा में अधिकांश समय पदस्थापित रहे हैं। वहीं दूसरी और ठेकेदारों की गड़बड़ियां चित्तौड़ और भीलवाड़ा दोनों ही डेयरी प्लांट में सामने आई है। ऐसी स्थिति में अनुभवी गर्ग की दोनों जगह मौजूदगी उनके अनुभव के फायदे को लेकर खुला इशारा कर रही है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि हाल ही में जिला कलेक्टर कार्यालय में संचालित रसद विभाग में इसी के चलते एक कार्मिक को हटाया गया है। नया मामला सरस डेयरी बूथ को लेकर सामने आया है जहां यह संभावना प्रबल हो गई है कि डेयरी के नाम पर आवंटन के बाद किराए चलाने और अन्य उत्पाद बेचे जाने का खेल चल रहा है। ऐसी स्थिति में मामले की पूरी जांच की आवश्यकता प्रतीत हो रही है।
कहीं किराए पर तो कहीं देने की तैयारी
चित्तौड़गढ़ नगर परिषद क्षेत्र की यदि बात की जाए तो यहां बड़ी संख्या में सरस के उत्पाद विक्रय करने के लिए केबिन लगाए जाते हैं। जहां केबिन, भूमि, यहां तक की लाइट कनेक्शन भी सरस के नाम पर होता है उनका आवंटन करवाने के बाद या तो उन्हें किराए पर दिया जा रहा है या उनके नियम विरुद्ध व्यावसायिक उपयोग हो रहा है। नाम मात्र की राशि जमा कर नगर परिषद जिन्हें आवंटन कर देती है और उनका मोटा किराया वसूल किया जा रहा है। मोटे तौर पर नगर परिषद क्षेत्र में दो दर्जन से अधिक बूथ ऐसे हैं जो आवंटित किसी और के नाम पर है और उनका संचालन किराए पर कोई और व्यक्ति कर रहा है। यदि ऐसी चीजों पर लगाम लगाई जाए तो डेयरी के विपणन में वृद्धि हो सकती है। परंतु अनुभवी गर्ग का अनुभव दूसरे स्थान पर काम आ रहा है और संभावित रूप से इसी वजह से विपणन के बजाय गड़बड़ियों में इजाफा हो रहा है। वर्तमान में सरस के कई बूथ किराए देने की तैयारी भी जारी है।
'सरस' के अलावा बिक रहा सब कुछ
नगर परिषद क्षेत्र में स्वीकृति सरस के उत्पाद बेचने के लिए ली गई है लेकिन सरस के उत्पादन के नाम पर केवल नाम मात्र की खरीद होती है उनके स्थान पर चाय बीड़ी गुटखा सिगरेट तंबाकू से लेकर साबुन सर्फ और तमाम चीजे बेची जा रही है। जानकार सूत्रों की माने तो लगातार नगर परिषद क्षेत्र में सरस के केबिन की संख्या बढ़ रही है लेकिन सरस के उत्पाद की मांग घटती जा रही है। ऐसी स्थिति में यह प्रतीत हो रहा है कि जिन लोगों को व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी दी है उनकी शह पर खाओ कमाओ योजना लागू कर दी गई है। और इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि रेवड़ियां सब में बांटी जा रही है।
बंद बूथ पर दूध, मिली भगत या लापरवाही
अवधिपार अनुभवी गर्ग के अनुभव की बानगी यह है की जिस कोड को बंद करते हुए नए व्यक्ति को आवंटन कर दिया गया उसकी डिमांड लेकर मौखिक आदेश पर दूध भी दिया गया और ठेकेदार ने पैसा भी ले लिया। जबकि ठेकेदार को नए कोड पर सप्लाई के लिए आदेश की प्रति दी गई है। दरअसल दुर्ग मार्ग पर कोड नंबर 3217 की डीलर नमीरा बानू नीलगर को कार्य नहीं करने के चलते हटा दिया गया था। उसके स्थान कपिल चतुर्वेदी को 3451 आवंटित किया गया। डेयरी का बूथ होने के बावजूद कब्जा नहीं दिया गया। एक और जहाँ नया आवंटी लगातार कब्जा दिलाने की कवायद कर रहा है इस पर अनुभवी गर्ग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है वहीं 29 जुलाई को नमीरा बानो के नाम पर आवंटित कोड में मौखिक आदेश पर दूध सप्लाई कर दिया गया। और जिस ठेकेदार राजेश काकड़ा को नया कोड शुरू होने की लिखित सूचना दी गई थी उसने दूध सप्लाई भी कर दिया और भुगतान भी उठा लिया। इससे साफ हो जाता है कि ठेकेदारों की गड़बड़ियों के लिए डेयरी में किसकी शह मिली हुई है। लेकिन इसके बावजूद इन गड़बड़ियों की जाँच के लिए संबंधित अधिकारी गर्ग मोह में धृतराष्ट्र बने हुए हैं। इससे स्पष्ट हो जाता है कि जांच के नाम पर केवल लीपा पोती करते हुए नए टेंडर में यह ठेकेदार शामिल हो पाए इसकी कवायद की जा रही है।
