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चिकारड़ा। दीपावली त्यौहार वर्ष भर चलने वाले त्योहारों में से सबसे बड़ा माना जाता है। इसको लेकर जहां एक और व्यावसायिक वर्ग समान की बिक्री को लेकर खरीदारी करने में व्यस्त रहता है। वही ग्राहक अपनी पसंद को लेकर विभिन्न दुकानों को टटोलता रहता है। इस संदर्भ में चिकारड़ा सहित क्षेत्र में दुकानदार दीपावली के निकट आने के साथ अपनी दुकान को सजाये बैठा है । दीपावली पर विशेष तौर से सजावटी सामान के साथ पशुओं के बांधने के लिए बेड़े , नाथ, रस्सी रंग रोगन के समान कलर पेंट साथ ही होटल रेस्टोरेंट व्यवसायी मिठाई बनाकर सजावट किए हुए हैं। वैसे दीपावली पर ग्रामीण क्षेत्र में अधिकतम जलेबी नमकीन का ही प्रचलन है। कपड़ा व्यवसाय भी जोरों पर है तो ज्वेलर्स व्यवसाईयों की ऊंची कीमत के चलते भी ग्रामीण क्षेत्र में इसका कोई ज्यादा खास प्रभाव देखने को नहीं मिला। मार्केट में हर व्यावसायिक के पास त्योहारों को देखकर भरपूर स्टॉक किया हुआ है। लेकिन ग्रामीण अंचल में खासकर किसान वर्ग अभी उलझन में फंसा हुआ है पकी पकाई फसल को घर लाना तथा नई फसल की बुवाई करना। इसके चलते बाजारों में चहल-पहल कम है। पिछले वर्षों को देखे तो दीपावली का त्योहार पांच दिवसीय मनाया जाता रहा है। लेकिन खाने को तो आज भी पांच दिवसीय त्यौहार ही माना जाता है लेकिन मुख्य रूप से एक दिन ही दीपावली का त्यौहार मनाने में ग्रामीणों को उत्साह दिखता है। खेखरा पर्व को लेकर मशीनरी युग के चलते विशेष उत्साह नहीं दिखता। प्रत्येक कार्य मशीनरी से होने लगे हैं। मवेशियों की संख्या दिन पर दिन घटती जा रही है। फिर भी ग्रामीण प्रथा को जीवित रखने के लिए त्यौहार मनाते हैं। दीपावली पर्व में अभी तक 3 दिन बकाया है। देखना है आखिर समय क्या रंग लाता है।