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खनन से दूषित नाडी-तालाब, रास्ते अवरुद्ध, कुओं का पानी खारा,ग्रामीणों ने की कार्रवाई की मांग

सीधा सवाल
पाली। भालेलाव गांव में पिछले पांच-छह वर्षों से चल रहा अवैध पत्थर खनन और इससे उत्पन्न दूषित पानी की समस्या ने ग्रामीणों का जीना मुहाल कर दिया है। गांव से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर खेतों में परंपरागत और निजी मार्गों पर चल रही इन अवैध खदानों से निकलने वाला दूषित पानी नाडी, तालाब और खेतों को प्रदूषित कर रहा है।
नाडी, जो पहले केवल बरसाती पानी से भरती थी, अब खदानों के दूषित पानी से भर रही है। यह पानी ओवरफ्लो होकर गौचर भूमि को नष्ट कर रहा है और गांव के मुख्य पीने के पानी के स्रोत, तालाब, को पूरी तरह दूषित कर चुका है। ग्रामीणों के अनुसार, यह पानी इतना प्रदूषित है कि पशु भी इसे पीने से कतराते हैं, और जो पशु मजबूरी में इसे पीते हैं, वे चर्म रोग और बांझपन जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं।
दूषित पानी को गांव की आबादी की ओर बहाया जा रहा है, जो मुख्य सड़क, मेघवाल बस्ती, राजकीय विद्यालय, और जीएल भाटी नाले से होते हुए खारडा बांध तक पहुंच रहा है। इससे मुख्य सड़क पर आवागमन मुश्किल हो गया है, बच्चों को स्कूल और आंगनवाड़ी पहुंचने में परेशानी हो रही है, और मछलियों सहित जलजीवों का जीवन संकट में है।
खदानों से निकलने वाले मलबे को अवैध रूप से डंपरों में भरकर बेचा जा रहा है, जिससे खेतों के रास्ते अवरुद्ध हो गए हैं और कीचड़ व गड्ढों की समस्या बढ़ गई है। रोजाना तीन-चार बार होने वाले विस्फोटों से गांव के मकानों में दरारें आ गई हैं, और खेतों में जाते समय ऊपर से पत्थर गिरने का खतरा बना रहता है।
सबसे चिंताजनक स्थिति यह है कि खनन के कारण गांव के सौ साल पुराने कुओं का पानी सूख रहा है और खारा हो रहा है, जिससे फसलें बर्बाद हो रही हैं। विस्फोटों से कुओं की दीवारें भी ढह गई हैं।
ग्रामीणों ने इस अवैध खनन और दूषित पानी के खिलाफ कई बार विरोध किया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि अवैध खनन को तुरंत बंद किया जाए, दूषित पानी की समस्या का समाधान किया जाए, और पर्यावरण व जल स्रोतों की रक्षा के लिए उचित कदम उठाए जाएं।
**ग्रामीणों की मांग:**
- अवैध खनन पर तत्काल रोक लगाई जाए।
- दूषित पानी को नाडी और तालाब में जाने से रोका जाए।
- कुओं और खेतों को हुए नुकसान की भरपाई की जाए।
- विस्फोटों से क्षतिग्रस्त मकानों और कुओं की जांच और मरम्मत की व्यवस्था की जाए। ग्रामीणों ने प्रशासन से इस गंभीर समस्या पर त्वरित कार्रवाई की गुहार लगाई है ताकि गांव का पर्यावरण, जल स्रोत और जनजीवन सुरक्षित हो सके।
