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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। भाद्रपद या भाद्रो मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पावन पर्व मनाया जाता है। इस दिन से उत्सव की शुरुआत होती है और अनंत चतुर्दशी पर इसका समापन होता है । भगवान गणेश को समर्पित यह त्योहार न सिर्फ देश के कई राज्यों में अपितु विदेश में भी धूमधाम से मनाया जाता है । इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, प्रीति योग, इंद्र योग और ब्रह्म योग आदि दुर्लभ संयोग बन रहे हैं, जिससे यह त्योहार और भी खास हो गया है । मान्यता है कि इन योगों के बनने से कुछ राशिगत लाभ मिलने के साथ ही करियर और कारोबार में तरक्की मिल सकती है एवं निवेश से लाभ हो सकता है ।
हिंदू पंचांग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया कि इस वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी मंगलवार,26 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 54 मिनट से आरंभ हो रही है, जो बुधवार,27 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट तक है। इस प्रकार उदया तिथि के आधार पर 27 अगस्त 2025, बुधवार को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी ।
गणपति स्थापना -पूजन का शुभ मुहूर्त:-
ज्योतिषीय मान्यताओ के आधार पर भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के समय हुआ था, अतः मध्याह्न के समय को गणेश पूजन के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है। हिन्दू पंचाग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की गणेश चतुर्थी के दिन गणपति पूजा एवं स्थापना के लिए सुबह 11:05 से दोपहर 01:40 बजे तक का समय सबसे उत्तम है। इसकी कुल अवधि 2 घंटे 34 मिनट है। साथ ही निम्नांकित समयानुसार भी गणपति स्थापना और पूजन कार्य किया जा सकता है :-
लाभ : प्रातः 06 :12 से 07 :47 तक ।
अमृत: प्रातः 7:47 से 9:22 तक ।
शुभ: प्रातः 10:57 से दोपहर 12:33 तक ।
सायंकाल मुहूर्त: 05:19 से 6:54 तक ।
इन बातो का रखे विशेष ध्यान :-
गणपति स्थापना से लेकर विसर्जन तक सामान्य नियमो की परिपालना कर लेनी चाहिए, जिसमे मुख्यतया मिट्टी से निर्मित बेठे हुए गणेश जी की मूर्ति एवं मूर्ति में दाईं ओर सूंड, मूषक और जनेऊ का होना जरुरी है । इसी प्रकार मूर्ति स्थापना मध्यान्ह काल के शुभ मुहूर्त में ही करें। गणेश मूर्ति को शुद्ध और पवित्र स्थल में लकड़ी के पाट पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर घर की उत्तर दिशा या ईशान कोण में ही स्थापित करें, जिसमे गणेशजी की मूर्ति का मुख पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए। गणेशजी की स्थापना कर रहे हैं तो विसर्जन तक प्रतिदिन सुबह-शाम पूजा आरती करें और भोग लगाएं ।
गणेश चतुर्थी के दिन न करें चंद्र दर्शन-
हिन्दू पंचांग के आधार पर मंगलवार 26 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 54 मिनट से रात्रि 08 बजकर 29मिनट तक चन्द्र दर्शन वर्जित रहेंगे । इसी प्रकार बुधवार 27 अगस्त को वर्जित चन्द्र दर्शन का समय प्रातः 09बजकर 28 मिनट से 08:57 रात्रि तक रहेगा मान्यताओ के अनुसार, चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन से बचना चाहिए। अगर चंद्रमा को देख लिया को झूठा कलंक लग सकता है। ठीक उसी तरह से जिस तरह से भगवान श्रीकृष्ण को स्यमंतक मणि चुराने का लगा था। कहा जाता है कि अगर किसी व्यक्ति ने भूलवश चंद्रदर्शन कर लिया हो तो कृष्ण स्यमंतक कथा को पढ़ने या सुनने से भगवान गणेश क्षमा कर देते हैं। साथ ही 'सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥' के मंत्र का जाप करने से दोष निवारण हो सकता है ।