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सीधा सवाल। चिकारड़ा। ऋषि पंचमी का व्रत हर्षोल्लास के साथ चिकारड़ा सहित से क्षेत्र में मनाया गया। इस पर्व पर अधिकांश महिलाओं ने व्रत उपवास रखे हैं। इस दिन विशेष रूप से उन चीजों का सेवन किया जाता है जो जमीन में बिना हल जोते और बिना बोए उगती है । ऐसी वनस्पति को मोरधन या हामा कहते है । ईस दिन व्रत धारी इसकी खीर बनाकर उपयोग में लेते हैं।
वही कही कही पुरुषों ने भी व्रत कायम रखा। यह व्रत महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है खासकर उन महिलाओं के लिए जो मासिक धर्म के दौरान हुई अशुद्धियों के कारण धार्मिक कार्यों में बाधा महसूस करती है। महिलाएं इस व्रत को करने से मासिक धर्म के दौरान लगने वाले दोष से मुक्ति पाने के लिए यह व्रत रखती है।
वैसे यह भी माना गया कि यह व्रत सप्त ऋषियों कश्यप अत्रि भारद्वाज वशिष्ठ गौतम जमदग्नि और विश्वामित्र के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए किया जाता है । इस दिन महिला सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो घर की साफ-सफाई कर पूजा स्थान पर चौकी बिछाकर उस पर लाल पीला कपड़ा बिछाकर सप्त ऋषि की तस्वीर स्थापित कर पूजा अर्चना कर कहानियां सुनी।