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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। स्थानीय अरिहंत भवन सेंथि में धर्म सभा को संबोधित करते हुए महासती विद्यावती जी ने कहा की वंदना से विनय आता है। शांति के लिए विनय की महिमा है । विनीत शिष्य अशांत गुरु को भी शांत बना देता है और अविनीत शिष्य शांत गुरु को भी अशांत बना देता है । क्रोध पर विजय के लिए मोन , शांत रहना एवं क्षमा भाव रहे । मन के भावो को सदा भगवान भक्ति में लगाए रखना ही पूजा है। वाणी पर ध्यान रखना है । सम्मानजनक वाणी से शांति रहती है। वर्तमान में सहनशीलता की कमी है। अतः वाणी व्यवहार में सावधानी बहुत जरूरी है । वाणी व्यवहार संयमित हो , आवश्यकता पड़ने पर बोले , बोलने से पहले विचार करें क्या बोलना है, कैसे बोलना है कि बात पूरी हो जाए और सामने वाले को मन में विपरीत विचार नहीं आवे। क्रोध की स्थिति नहीं बने । समता पूर्ण जीवन से स्व व पर का जीवन शांत प्रशांत रहता है जो वर्तमान में घर समाज देश में अति आवश्यक है । एक प्लॉट पर मकान उसमे कमरा , कमरे में तिजोरी और तिजोरी की चाबी रहती है। चाबी छोटी होती है पर कीमती सामान की रक्षा उसके पास होती है। सुरक्षा रहती है। ठीक वैसे ही पर्यूषण पर्व के 8 दिन है जो चाबी के समान महत्वपूर्ण है। ध्यान देना है इन दोनों में तो धर्म के लिए तब त्याग तपस्या का ही कार्य होना चाहिए जिससे क्षमा भाव को पोषण मिलता रहे । जीवन की सुरक्षा बनी रहे । शांत जीवन चलता रहे और लड़ाई झगड़ा से दूर रहे ताकि अगले भाव में कर्म उदय की स्थिति ना बने। मनुष्य जीवन में राग द्वेष से मुक्ति के लिए क्षमा करना और संयम से जीना जरूरी है। कदम-कदम पर जीव रक्षा के भाव रहे प्राणी मात्र से प्रेम रहे यही लक्ष्य रखकर तप त्याग नियम प्रत्यख्यान से जीवन सजाए। प्रतिदिन क्षमा भाव से रहे । क्षमा से मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करें । तपस्या से जीवन श्रेष्ठ बनता है । तपस्या करें और तपस्वी की सेवा करें। उदाहरणों कहानियां , गीतिका के माध्यम से धर्म बोध प्रदान किया ।
धर्म सभा में महासति श्री नमन श्री जी ने अंतगढ़ सूत्र का वाचन किया , प्रेरक प्रसंग सुनाए। महासति मर्यादा श्री जी ने हुक्म संघ के 9वे आचार्य श्री रामलाल जी महाराज साहब के जीवन के प्रेरक प्रसंग से धर्म बोध दिया। आचार्य श्री रामलाल जी महाराज साहब संयम के सजक प्रहरी हैं। शिष्य समुदाय एक आचार्य की निष्ठा में अनुशासन में है ।फक्कड़ साधक आगम अनुरूप संयम पालन करते हैं , कराते हैं। उनकी भावना सभी श्रावक श्राविकाएं ज्ञानवान क्रियावन हो इसलिए नए-नए आयाम के माध्यम से मार्गदर्शन कर रहे हैं। धर्म सभा में एकासन उपवास आयमबिल बेला तेला 5, 8, 9 उपवास आदि के प्रत्याख्यान हुए। श्रावक श्राविकाओं, युवा व बालक बालिकाओं ने भी बढ़-चढ़कर तपस्या करके कर्म निर्झरा अवसर का पूरा लाभ लिया। मंगल पाठ महासती विद्यावती जी ने सुनाया । सभी महासती जी ने संकल्प पत्र समर्पणा का वाचन किया। धर्म सभा का संचालन विमल कोठारी ने किया। सुमन श्री श्रीमान ने विचार व गुणानुवाद किय गुरुवार को सामूहिक पारणा अरिहंत भवन में होंगे। लाभार्थी बोरदिया परिवार चित्तौड़गढ़ रहेंगे। सभी से पारणा की सेवा लाभ का अवसर प्रदान करने की भावभीनी विनती की गई ।प्रवचन के पश्चात आलोचना पाठ महासती हर्षिता जी ने कराया। सभी श्रावक साध्विकों ने संवत्सरी संबंधी आलोचना पाठ किया। शास्त्री नगर स्थित समता भवन में शासन दीपिका महासती पुष्प लता जी, श्री जिन प्रभा जी , श्री सिद्ध प्रभा जी , श्री प्रतिज्ञा कुंवर जी म. सा. के सानिध्य में प्रार्थना स्वाध्याय कल्प सूत्र वाचन अंतर्गत सूत्र वाचन हुए। अरिहंत भवन में सामूहिक क्षमापना कार्यक्रम गुरुवार प्रात 7:15 बजे होगा एवं क्षमापना कार्यक्रम के पश्चात सामूहिक पारणा होगा।