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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। गाइड और इतिहास के अध्यापक ही वो माध्यम हैं जो हमारे गौरवशाली अतीत को सही स्वरूप में नई पीढ़ी तक पहुँचा सकते हैं। उक्त विचार इतिहासकार एवं राजस्थानी भाषा के लिए संघर्षरत राजवीर चलकोई ने रविवार सायं चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर आयोजित कार्यशाला में व्यक्त किये। कार्यक्रम का आयोजन चित्तौड़गढ़ गौरव तीर्थ प्रन्यास एवं गाइड एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में हुआ।
राजवीर ने कई प्रामाणिक तथ्यों के साथ दुर्ग से जुड़ी भ्रांतियों का खंडन करते हुए कहा कि जायसी की पद्मावत के आधार पर रानी पद्मिनी को सिंहल देश की राजकुमारी बताना उचित नहीं है। उन्होंने सप्रमाण बताया कि पद्मिनी जैसलमेर के पूगल की राजकुमारी थीं। उन्होंने कहा कि चित्तौड़गढ़ के इतिहास को अक्सर केवल मध्यकाल तक सीमित कर दिया जाता है, जबकि यह इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि प्राचीन अभिलेखों में मध्यमिका (नगरी) का उल्लेख मिलता है। नकुल ने इसे जीता, दुर्ग स्थित भीमलत का संबंध भीम से है, और पतंजलि के महाभाष्य में भी इसका जिक्र है।
राजवीर ने मेवाड़ में धुलंडी पर शोक और रंगतेरस मनाने की परंपरा का ऐतिहासिक कारण भी बताया। उन्होंने कहा कि धुलंडी के दिन ही अकबर ने चित्तौड़ दुर्ग पर हमला कर करीब 30 हजार निर्दोष नागरिकों का नरसंहार किया था। ऐसे में इस दिन उत्सव कैसे मनाया जा सकता है, यह बात पर्यटकों को बतानी चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि बंगाल के क्रांतिकारी अरविंद घोष सिर्फ इसलिए चित्तौड़ आए थे ताकि यहां से स्वतंत्रता की अलख की चिंगारी ले सके। घोष ने लिखा कि चित्तौड़ की हवा में ही क्रांति का जोश है। उल्लेखनीय है कि चित्तौड़ को लेकर सर्वाधिक साहित्य बंगला भाषा में लिखा गया है, जिसमें रविंद्रनाथ टैगोर और उनके परिवार के लेखन का भी महत्वपूर्ण योगदान है।
कार्यशाला में राजवीर ने गाइडों से कहा कि आप इस मिट्टी के कण-कण से परिचित हैं, अतः आपकी कही बातें सबसे प्रामाणिक और प्रभावशाली होंगी।
कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत उद्बोधन गाइड संस्थान अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह चौथपुरा ने दिया। अध्यक्षता डॉ. ओमेन्द्र रत्नू ने की तथा गाइड संस्थान को किसी भी गौरव शाली कार्य करने के लिए धर्मांश फाउंडेशन से दस लाख तक के बजट की घोषणा की। विशिष्ट अतिथि के रूप में कर्नल रणधीर सिंह बस्सी, सूर्यपाल सिंह फाचर, श्याम सिंह हाड़ा, पुष्कर नराणिया उपस्थित रहे। पूर्व अध्यक्ष संजीव शर्मा ने आभार व्यक्त किया, जबकि संचालन डॉ. सुशीला लढ्ढा ने किया।
कार्यक्रम में 100 से अधिक गाइड, 20 इतिहास शिक्षक एवं सोशल मीडिया से जुड़े लोगों सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक शामिल हुए।