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122 वर्षों के बाद दो ग्रहणों के दुर्लभ संयोग में बरसेगी पितरों की कृपा
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है । प्रतिवर्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से लेकर आश्विन अमावस्या तक पितृ पक्ष होता है और इन सोलह दिवसों में पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध किए जाते हैं । इस अवधि में पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने का विधान है।मान्यता है कि पितृ पक्ष में किए श्राद्ध कर्म से पितर तृप्त होते हैं एवं पितरो का ऋण उतरता है। हिंदी पंचांग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की इस वर्ष श्राद्ध पक्ष रविवार,7 सितंबर, 2025 से शुरू होकर रविवार, 21 सितंबर, 2025 को समाप्त होंगे । इस वर्ष पितृ पक्ष में 122 वर्षों बाद दो ग्रहणों का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जिसमें 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण और 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या यानी पितृ पक्ष के आखिरी दिन सूर्य ग्रहण लगेगा। यह दोहरे ग्रहण का योग ज्योतिषीय दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। सामान्यतः ग्रहण काल को अशुभ माना गया है, किन्तु ग्रहण पितरों के मोक्ष में बाधक नहीं बल्कि उनके लिए एक शक्तिशाली संयोग बनकर श्राद्ध, तर्पण और दान-पुण्य द्वारा उन्हें मुक्ति प्रदान करते है । भारत में चंद्र ग्रहण का प्रभाव मान्य होगा वही इसके विपरीत सूर्य ग्रहण का प्रभाव नहीं होगा ।
श्राद्ध मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष श्राद्ध पक्ष रविवार, 07 सितंबर 2025 से पूर्णिमा श्राद्ध के साथ प्रारंभ होकर रविवार, 21 सितंबर 2025 को आश्विन कृष्ण अमावस्या अर्थात सर्वपितृ अमावस्या पर समाप्त होगा । श्राद्ध संपन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण मुहूर्त अत्तिउत्तम माने गए है ।
कुतुप मूहूर्त – प्रातः 11:51 से 12:40 तक ।
रौहिण मूहूर्त – दिन में 12:40 से 01 :29 तक ।
अपराह्न काल – 01 :29 से 03:56 तक ।
सरल तर्पण विधि
सर्वप्रथम साफ जल, बैठने का आसन, थाली, कच्चा दूध, गुलाब के फूल, फूल की माला, कुशा, सुपारी, जौ, काले तिल, जनेऊ आदि अपने पास रखें । आचमन के बाद हाथ धोकर अपने ऊपर जल छिड़के, फिर गायत्री मंत्र से शिखा बांधकर तिलक लगा लें । फिर थाली में जल, कच्चा दूध, गुलाब की पंखुड़ी डाले, फिर हाथ में चावल लेकर देवताओें को याद करें । श्राद्ध के दौरान अनामिका उंगली में कुशा घास से बनी अंगूठी धारण करें, फिर सीधे हाथ से तर्पण दें । पितरों को अग्नि में गाय का दूध, दही, घी या खीर अर्पित करें । ब्राह्मण भोजन निकलने से पहले गाय, कुत्ते, कौवे के लिए खाना निकाल लें. दक्षिण की तरफ मुख करके और कुश, तिल और जल लेकर पितृतीर्थ से संकल्प करें और एक या फिर तीन ब्राह्मण को भोजन कराएं । तर्पण करने के बाद ही ब्राह्मण को भोजन ग्रहण कराएं और भोजन के बाद दक्षिणा और अन्य सामान दान करें और ब्राह्मण का आशीर्वाद प्राप्त करें ।
प्रार्थना मंत्र -पितृभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:। पितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:। प्रपितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।सर्व पितृभ्यो श्र्द्ध्या नमो नम:।।
पितृपक्ष की तिथिया
पूर्णिमा श्राद्ध: 07 सितंबर 2025, रविवार
प्रतिपदा श्राद्ध: 08 सितंबर 2025, सोमवार
द्वितीया श्राद्ध: 09 सितंबर 2025, मंगलवार
तृतीया श्राद्ध: 10 सितंबर 2025, बुधवार
चतुर्थी श्राद्ध: 10 सितंबर 2025, बुधवार
पञ्चमी श्राद्ध: 11 सितंबर 2025, बृहस्पतिवार
षष्ठी श्राद्ध: 12 सितंबर 2025, शुक्रवार
सप्तमी श्राद्ध: 13 सितंबर 2025, शनिवार
अष्टमी श्राद्ध: 14 सितंबर 2025, रविवार
नवमी श्राद्ध: 15 सितंबर 2025, सोमवार
दशमी श्राद्ध: 16 सितंबर 2025, मंगलवार
एकादशी श्राद्ध: 17 सितंबर 2025, बुधवार
द्वादशी श्राद्ध: 18 सितंबर 2025, बृहस्पतिवार
त्रयोदशी श्राद्ध: 19 सितंबर 2025, शुक्रवार
चतुर्दशी श्राद्ध: 20 सितंबर 2025, शनिवार
सर्वपितृ अमावस्या: 21 सितंबर 2025, रविवार