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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। अखिल विश्व गायत्री परिवार चित्तौड़गढ़ द्वारा नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और संस्कारों से जोड़ने के लिए ‘कन्या कौशल कार्यक्रम’ का शुभारंभ किया गया है। इस अभियान का उद्देश्य बालिकाओं और किशोरियों को संस्कारवान, आत्मविश्वासी और समाजोपयोगी नागरिक के रूप में तैयार करना है।
कार्यक्रम की शुरुआत 27 जुलाई 2025 को गायत्री शक्तिपीठ, चित्तौड़गढ़ से हुई थी। इसके बाद जिले के विभिन्न विद्यालयों और छात्रावासों में लगातार शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। अब तक 3000 से अधिक बालिकाएँ और किशोरियाँ इस अभियान से जुड़ चुकी हैं।
शिविरों में दी जा रही शिक्षा
शिविरों में छात्राओं को गायत्री मंत्र लेखन और जप का महत्व बताया जाता है। महापुरुषों के प्रेरक प्रसंग सुनाए जाते हैं, व्यक्तित्व निर्माण और आत्मविकास के सूत्र समझाए जाते हैं तथा भारतीय संस्कृति और परंपराओं की झलक प्रस्तुत की जाती है।
इस अभियान का संचालन नवीन माली के मार्गदर्शन में किया गया। शांतिकुंज हरिद्वार से पधारीं देवकन्याएँ दुर्गा और सीमा ने बालिकाओं को विशेष प्रशिक्षण दिया। इसके साथ ही स्थानीय बहनों – किरण यादव, बीना छीपा, पार्वती शर्मा, दीपमाला, प्रभा पालीवाल, तारा माली, उर्मिला, माया सिंह, प्रज्ञा उपाध्याय और सुनीता भारती – ने शिविरों के सफल आयोजन में सहयोग दिया।
गायत्री शक्तिपीठ के प्रबंधक ट्रस्टी रमेशचंद्र पुरोहित ने बताया कि शिविरों को टोलियों में बांटकर पूरे जिले में सतत रूप से आयोजित किया जाएगा। साथ ही पुस्तक मेले भी लगाए जाएंगे, ताकि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य और माताजी के विचार घर-घर तक पहुँच सकें।
संस्कृति और नारी सशक्तिकरण की दिशा में कदम
गायत्री परिवार का मानना है कि जब ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की बेटियाँ संस्कृति और नैतिक मूल्यों से जुड़ेंगी तो समाज में नारी सशक्तिकरण और राष्ट्र निर्माण की दिशा में सकारात्मक परिवर्तन अवश्य दिखाई देगा। ‘कन्या कौशल कार्यक्रम’ केवल शैक्षणिक शिविर नहीं, बल्कि युवा शक्ति को जागृत करने और भारतीय संस्कृति से जोड़ने का अभियान है।