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नाम बड़े और दर्शन छोटे की कहावत हो रही चरितार्थ

सीधा सवाल। बेगूं। उपखंड क्षेत्र का सबसे बड़ा चिकित्सालय कहे जाने वाला बेगूं उप जिला चिकित्सालय आज चिकित्सकों की कमी से सिर्फ कागजो में क्षेत्र का बड़ा चिकित्सालय बना हुआ है। बेगूं उप जिला चिकित्सालय में चिकित्सकों के कुल स्वीकृत पदों में से आधे से ज्यादा पद रिक्त है। चिकित्सा सुविधाओं का हवाला देने वाले जनप्रतिनिधि आमजन की इस समस्या पर मौन धारण किए हुए है। इसके साथ ही उक्त समस्या पर आमजन का विरोध मुखर होने पर प्रशासन भी समझाइश के लिए तैयार रहेगा। जानकारी के अनुसार अस्पतालों की बिगड़ी व्यवस्था को पटरी पर लाने की सरकार की कोशिशों पर चिकित्सकों की कमी पानी फेर रही है।
चिकित्सकों की कमी से चिकित्सालय में मरीजों को इलाज की सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। इससे मजबूर होकर मरीज अन्य शहरों में जाकर इलाज कराने के लिए मजबूर है। चिकित्सकों की कमी का दंश मरीज व उनके तीमारदार झेल रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि बेगूं उपखंड क्षेत्र का सबसे बड़ा चिकित्सालय कहे जाने वाला बेगूं उप जिला चिकित्सालय आज चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है, जिस पर जिम्मेदारो द्वारा कोई खास ध्यान नही दिया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि बेगूं उप जिला चिकित्सालय में करीब 100 पद स्वीकृत है, जिसमें चिकित्सकों के स्वीकृत पदों मे से आधे से ज्यादा पद रिक्त होने का खामियाजा आमजनता को भुगतना पड़ रहा है। बेगूं उप जिला चिकित्सालय में चिकित्सकों के 20 स्वीकृत पदों मे से 7 पदों पर ही चिकित्सक कार्यरत है। सीनियर नर्सिंग ऑफिसर के 7 पद स्वीकृत है, जिनमें से 4 पद रिक्त और 3 पद पर सीनियर नर्सिंग ऑफिसर कार्यरत है। बताया गया कि चिकित्सा अधिकारी जैसे महत्वपूर्ण पद का जिम्मा भी इन्हीं 7 चिकित्सकों में से ड्यूटी समय में तैनात चिकित्सक द्वारा ही संभाला जाता है। बेगूं उप जिला चिकित्सालय में वर्तमान में शिशुरोग और सर्जन जैसे महत्वपूर्ण चिकित्सकों के पद रिक्त है, जो बेगूं चिकित्सालय में चिकित्सा व्यवस्था की कमियों को उजागर करते है। बेहतर इलाज के लिए गांवो से शहर पहुंचने वाले मरीजों का जब यहां की सच्चाई से सामना होता है, तो वे खुद को ठगा सा महसूस करने लगते है। सूत्रों ने बताया कि प्रतिदिन औसत 400 से 500 की ओपीडी वाले बेगूं उप जिला चिकित्सालय में चिकित्सकों की कमी आज आमजनता पर भारी पड़ रही है। इसी प्रकार स्वच्छता को लेकर भी चिकित्सालय प्रशासन द्वारा कोई खास ध्यान नही दिया जा रहा है। उप जिला चिकित्सालय परिसर के पीछे पड़े कचरे के ढेर चिकित्सालय की स्वच्छता व्यवस्था की पोल खोल रहे है। इसके साथ ही उप जिला चिकित्सालय भवन के निर्माण कार्य के चलते निकलने वाले वाहनों से उड़ते धूल के गुबार मरीजों के परिजनों के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डाल रहे है। इधर क्षेत्र के विभिन्न कार्यक्रमों ने चिकित्सा सुविधाओं की हवा हवाई बातें करने वाले जनप्रतिनिधि शायद आमजन की उक्त समस्या से अभी तक अनजान है।