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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। कृषि विज्ञान केन्द्र चित्तोडगढ में एक दिवसीय अनुसूचित जाति कृषक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा आयोजित एवं भाकृअनुप-भारतीय तिलहन अनुसंधान संस्थानद्ध, हैदराबाद द्वारा प्रायोजित प्रशिक्षण तिलहनी फसलो का सुरक्षित बीज भण्डारण तकनीकी पर आधारित था जिसमें जिले की बड़ीसादड़ी पंचायत समिति के पायरी, मुझवा, उन्ठेल आदि गाँवों से कुल 70 अनुसुचित जाति के कृषक एवं कृषक महिलाओ ने भाग लिया। कृषक एवं कृषक महिलाओ को भाकृअनुप-भारतीय तिलहन अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद द्वारा 70 बीज भण्डारण कोठी भी लघु व सीमान्त अनुसुचित जाति के किसानो को उपलब्ध कराई।
डॉ. रतनलाल सोलंकी, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, ने किसानों को प्रशिक्षण का महत्व व कृषि विज्ञान केन्द्र गतिविधियो की जानकारी देते हुए तिलहनी फसलो की उन्नत उत्पादन तकनीकी को अपनाकर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते है ताकि किसानो की आय में इजाफा हो सके, साथ ही भंडारण से पहले बीजों को पूरी तरह सुखाना सबसे महत्वपूर्ण है। आप इन्हें धूप में या हवादार जगह पर सुखा सकते हैं, लेकिन फूड डिहाइड्रेटर का उपयोग करने से बचें क्योंकि वह बीजों को नुकसान पहुंचा सकता है। भण्डारण से पूर्व कोठीया या भण्डार गृह को अच्छी तरह से साफ करें। कोठी बीज / अनाज को कीड़ो, चूहो या अन्या कीटो से बचाती है। बीज भण्डारण में कीड़े भगाने / बचाव करने के लिये हींग / नीम के पत्ते/तेजपत्ता/लहुसन और प्याज के छिलके जैसे प्राकृतिक चीजो की पोटली बनाकर कोठी में रखें।
ओ.पी. शर्मा, उप निदेशक, आई.पी.एम., चित्तौड़गढ़ ने तिलहनी फसलो के माध्यम से समन्वित कृषि प्रणाली द्वारा आय में बढ़ोतरी कैसे करे एवं साथ ही किसानों को तिलहनी फसलो में समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन का महत्व एवं आवश्यक पोषक तत्वों की जानकारी, पौधों पर पोषक तत्व की कमी के लक्षण एवं कमी को पूरा करने के उपाय के बारे में तकनीकी जानकारी दी। तिलहनी फसलो में खरपतवार नियंत्रण के बारे में जानकारी प्रदान दी।
शंकर लाल नाई, सहायक कृषि अधिकारी (सेवानिवृत) ने तिलहन फसलो के बीज उत्पादन से आय कैसे बढ़ाये उसके बारे में विस्तार से बताया एवं तिलहन फसलो में एकीकृत कीट प्रबंधन तकनीकी के बारे में तकनीकी जानकारी प्रदान की। संजय कुमार धाकड, कार्यक्रम सहायक ने कृषक एवं कृषक महिलाओं को कृषि विज्ञान केन्द्र की सजीव इकाईयां व बीज उत्पादन इकाई का भ्रमण कराकर तिलहनी फसलो में लगने वाले कीटो एवं बिमारियो के नियत्रंण के उपाय के तरीके बताये। प्रशिक्षण में प्रगतिशील कृषक हीरा लाल जाट, उन्ठेल एवं लाल सिंह मीणा, पायरी भी उपस्थित थे। अन्त में धाकड़ ने प्रशिक्षण में पधारे अतिथियो, कृषक एवं कृषक महिलाओं को धन्यवाद ज्ञापित किया।